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saeedanwar5310
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Saeed Anwar

IAS

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Saeed Anwar

तोड़ डालो उम्मीदों का गुरूर
ध्वस्त कर दो सपनों के मकान
पाई-पाई नोंच लो कमाई की
बुलडोजर से रौंदकर दो इनाम

लटका दो ताले न्यायालय पर
हर इंसाफ अब बुलडोज होगा
जब नई नस्लें आयेंगी हमारी
शर्म उनको हम सब पर होगा

कहना हम चुप थे क्योंकि
ये ‘उनका’ था मकान
मजा आ रहा था हमें
मर चुका था ईमान.... !!!!

©Saeed Anwar
  #TereHaathMein
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Saeed Anwar

चल के तेरे रास्तों पे अपना अंजाम करना है
मुझे तो अब तेरे शहर ही कयाम करना है।

बना के जो रखना है एक तुझी से वास्ता
इसी गर्ज में दुनियां से हर ताल्लुक नाकाम करना है।

मेरे दिल में तो तुम हो, तुम्हीं हो
बस मैंने तेरे दिल में अपना मकाम करना है।

और बहुत डर लिया दुनियां से अब नहीं डरना
मुझे ईश्क बेतहसा तुझे सरेआम करना है..!!

©Saeed Anwar #hands
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Saeed Anwar

तेरी आजमाइश से हु बेखबर
यह मेरी नज़र का कसूर है,

तेरी राह में कदम कदम पर 
कही अर्श है कही तूर है।

यह बजा हैं मालिक दो जहा, 
मेरी बंदगी एक फितूर है...

यह बता मै तुझसे मिलू कहा,
मुझे मिलना तुझसे ज़रूर है! 

मेरी बख्श दे मालिक हर खाता
 तू गफूर है तू रहीम है...

©Saeed Anwar #baarish
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Saeed Anwar

हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते 
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते 

अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है 
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते !!

अब के मायूस हुआ यारों को रुख़्सत कर के 
जा रहे थे तो कोई ज़ख़्म लगाते जाते !!

रेंगने की भी इजाज़त नहीं हम को वर्ना 
हम जिधर जाते नए फूल खिलाते जाते 

मैं तो जलते हुए सहराओं का इक पत्थर था 
तुम तो दरिया थे मेरी प्यास बुझाते जाते 

मुझ को रोने का सलीक़ा भी नहीं है शायद 
लोग हँसते हैं मुझे देख के आते जाते !!

हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे 
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

©Saeed Anwar #FindingOneself
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Saeed Anwar

वो शाम तो मुझे याद नहीं
पर मुझे याद है मेरे हाथों में तेरा हाथ आज भी है.. 
मुझे याद है वो हर लम्हे में महसूस होता तेरा साथ आज भी है। 
मेरे होंठो को  तेरी गालों की नरमी का अहसास आज भी है।
मेरे सांसों को लगता है  तू मेरे पास आज भी है।
वो मेरा हाथ पकड़ते ही तेरा यूं बेफिक्र हो जाना..
वो मुझसे निगाहें मिलाते ही तेरा  यूं बेजिक्र हो जाना।
वो मेरे लिए उठी थी उस दिन 
वो तेरी हर एक नज़र याद है मुझे..  
वो मेरी उंगलियों ने जो किया था  तेरी मुलायम जुल्फों का 
वो सफ़र याद है मुझे..
वो हर एक लम्हा  वो हर मंज़र
वो गुस्ताखी  वो हर एक जुर्रत  वो आरजू  वो हर गुफ्तगू  
वो हर ईश्क का पल  जो तेरे साथ जिया था  याद है मुझे 
तो फ़िर क्या फ़र्क पड़ता है अगर वो शाम मुझे याद नहीं..

©Saeed Anwar #diary
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Saeed Anwar

चाँद में ढलने सितारों में निकलने के लिए 
मैं तो सूरज हूँ बुझूँगा भी तो जलने के लिए 

मंज़िलो तुम ही कुछ आगे की तरफ़ बढ़ जाओ 
रास्ता कम है मेरे पाँव को चलने के लिए 

ज़िंदगी अपने सवारों को गिराती जब है 
एक मौक़ा भी नहीं देती सँभलने के लिए
 
मैं वो मौसम जो अभी ठीक से छाया भी नहीं 
साज़िशें होने लगीं मुझ को बदलने के लिए
 
वो तेरी याद के शोले हों कि एहसास मिरे 
कुछ न कुछ आग ज़रूरी है पिघलने के लिए 

ये बहाना तेरे दीदार की ख़्वाहिश का है 
हम जो आते हैं इधर रोज़ टहलने के लिए 

आँख बेचैन तेरी एक झलक की ख़ातिर 
दिल हुआ जाता है बेताब मचलने के लिए

©Saeed Anwar #mentalhealthday
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Saeed Anwar

सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं 
जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं 

ज़िंदगी को भी सिला कहते हैं कहने वाले 
जीने वाले तो गुनाहों की सज़ा कहते हैं 

फ़ासले उम्र के कुछ और बढ़ा देती है 
जाने क्यूँ लोग उसे फिर भी दवा कहते हैं 

चंद मासूम से पत्तों का लहू है 'सईद' 
जिस को महबूब की हाथों की हिना कहते हैं

©Saeed Anwar #mask
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Saeed Anwar

जहन पर जोर देने से भी याद नहीं आता कि हम क्या देखते थे
सिर्फ इतना पता है कि हम आम लोगों से बिल्कुल जुदा देखते थे।

तब हमें अपने पुरखों से विरसे में आई हुई बद्दुआ याद आई
जब कभी अपनी आंखों के आगे तुझे शहर जाता हुआ देखते थे।

किसको पता है कि वक़्त उसकी आँखों से किस तरह पेश आया
हम इकट्ठे थे  हंसते​ थे  रोते थे  एक दूसरे को बड़ा दखते थे।

सारा दिन रेत के घर बनते हुए और गिरते हुए बीत जाता
शाम होते ही हम दूरबीनों में अपनी छतों से खुदा देखते थे।

सच बताएं तो तेरी मोहब्बत ने खुद पर तवज्जो दिलाई हमारी
तू हमें चूमता था तो घर जाकर हम देर तक आईना देखते थे।

©Saeed Anwar #lily
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Saeed Anwar

वो मेहंदी वाली हाथ दिखा कर रोई
आज मैं हुं किसी और की ये बात बता कर रोई।

कल तक जो कहती थीं की जी नहीं सकते तेरे बिन
आज वो बात दोहरा कर रोई..

कैसे करूं उसकी मोहब्बत पर सक
वो भरी महफ़िल में गले लगा कर रोई

©Saeed Anwar #parent
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Saeed Anwar

हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है,
हम अब तनहा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है।

और अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मूझे कुछ नहीं होगा,
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है ।

©Saeed Anwar #motherlove
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