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viyogimanav2166
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viyogi manav

कवि लेखक

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viyogi manav

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viyogi manav

#गुरुपूर्णिमा     सवैया💕
**************    ******
श्री गुरु के पद-पंकज ही हर 
          दुर्गुण के प्रतिरोधक होते।
जीवन को सत मार्ग दिखाकर 
          मोचक वो भव-बोधक होते।
प्राण बना शुचि सुन्दर शोभित
         ज्ञान प्रदायक शोधक होते।
आगत के सब कष्ट निवारक
          आतप के अवरोधक होते।।

****************************

ईश यही धरती पर सुन्दर
        सत्य सनातन ज्ञात सदा हो।
माथ रहे गुरु हाथ बना यदि
        मंजुल जीवन-गात सदा हो।
सूर्य-सुधाकर ज्यों सुखदायक,
             दें शुभता दिन-रात सदा हो।
भाव-विभूषित त्यों अति प्रेरक,
         प्रेम दया हिय-व्याप्त सदा हो।।

*****************************
आप आत्मीयजनो को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई।अपने जन्मदाता-गुरु,ईश्वर को सादर सप्रेम नमन करते हुए लौकिक-अलौकिक समस्त गुरुजनाे को कोटिश: नमन। गुरु कृपा बनी रहे,आजीवन स्नेहाशीष प्राप्त होता रहे।💕😊🙏🏻🌺🌺

 सदैव शुभ हो।🙏🌹

    #शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'❤️✍️

©viyogi manav
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viyogi manav

आपस में है, तकरार तो, मनुहार करना सीख।
है दौर नफ़रतों का तनिक प्यार करना सीख।।
जो तेरे हैं, हर हाल में,तेरे ही रहेंगे।।ये सत्य है, इस सत्य को, स्वीकार करना सीख।।
✍🏽 वियोगी मानव

©viyogi manav #Childhood
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viyogi manav

एक मुक्तक 🌹

एक मुक्तक 🌹

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viyogi manav

अब सांप आस्तीन में, पाले न जायेंगे।
गद्दार हैं वो देश से निकाले जायेंगे।।
हमने तो मोहब्बत दी, और तुमने,जख्म दिया।
अब और घाव हमसे, संभाले न जायेंगे।।

©viyogi manav #together
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viyogi manav

आज का मुक्तक 🌹
अब सांप आस्तीन में, पाले न जायेंगे।
गद्दार हैं, वो देश से निकाले जायेंगे।।
हमने तो मोहब्बत दी, और तुमने ज़ख्म दिया।
अब और घाव हमसे, संभाले न जायेंगे।।
©® ✍🏽 वियोगी मानव शाहजहांपुर

©viyogi manav आज का मुक्तक देश के गद्दारों को चेतावनी

#melting

आज का मुक्तक देश के गद्दारों को चेतावनी #melting

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viyogi manav

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viyogi manav

पंख खोल आलस्य त्यागकर पंक्षी ढ़ूढ़ ठिकाना।
तुझे दूर तक जाना,   बहुत दूर तक जाना।।
सोता रहा पड़ा तो ,अकर्मण्य  वोला जायेगा।
कायरता में तेरा पौरुष तब तोला जायेगा।
तुझे स्वयं आगे बढ़कर,इस दुनियां से लड़ना है।
अपने श्रम की चावी से इतिहास नया गढ़ना है।
आगे बढ़ कुछ कठिन नहीं है,जग में मंजिल पाना।
तुझे दूर तक जाना,बहुत दूर तक जाना।
जो भी पथ पर बढ़ा,सदा बाधायें आड़े आयीं।
चलता रहा निरंतर,पर विचलित न उसे कर पायीं।
गिरते उठते, उठ उठ गिरते, मंजिल पा जाते हैं।
जग के मानचित्र पर ऐसे प्राणी छा जाते हैं।
पग पखारता सिंधु, उन्ही को झुकता सदा जमाना।
तुझे दूर तक जाना, बहुत दूर तक जाना।

©viyogi manav Dr Arun Pratap Singh Bhadauria Anupriya Das Anupriya Das Anupriya Das Anupriya Das

Dr Arun Pratap Singh Bhadauria Anupriya Das Anupriya Das Anupriya Das Anupriya Das

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viyogi manav

🌹 मुक्तक 🌹
शरद की पूर्णिमा से रंग ये गोरा चुराया है।
तुम्हें फूलों की खुश्बू ने, और मादक बनाया है।।
घटाओं से चुरा कर रंग, बने दो नयन कजरारे।
बिधाता ने तुम्हें फुर्सत के मौसम में बनाया है।

स्वर्ग का पथ कोई पूछे, तो घर तेरा बता दूंगा।
पुष्प पूजा के तेरे रूप यौवन पर चढ़ा दूंगा।।
अगर मिल जाय जीवन में, सिरहना तेरी बाहों का।
एक जीवन नहीं, सौ जिंदगी सो कर बिता दूंगा।‌।

©viyogi manav #Thoughts

Thoughts

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