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naveengoswami1901
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Naveen Goswami

यकीन करोगें तो साफ-साफ नजर आऊंगा मैं . जो हूं वही नजर आऊंगा मैं . धुंधले आईने में अपना चेहरा भी साफ नहीं दिखता . कमाल करते हो तुम वक्त अगर गर्दिश में हो तो - अपना ही हाथ नहीं दिखता . inst id - #nvngoswami32

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Naveen Goswami

White टूटा हुआ शीशा घर में रखा था 
उसे फेंक दिया .
टूटे हुए दिए जो उम्र भर जलते रहे 
उसके लिए 
उन्हें भी फेंक दिया .

मगर 
इस घर में एक आदमी रहता है 
जिसके पास टूटी हुई उम्मीदें हैं 
बहुत सारे टूटे हुए हौसले
और टूटी फूटी सोच भी
 
वो उन सबको बाहर फेंक सकता है 
जो अपशगुन हो उसके लिए 
कुछ भी 

मगर खुद के अंदर पड़े मलबे को नहीं.

©Naveen Goswami
  #sad_shayari
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Naveen Goswami

White दिन भर की थकान- जुस्तजू
एक सुकून जब खुला आसमान 
छत से देखता हूं .
अनेकों तारों का झुंड बतिया रहा हो 
या गा रहा हो खुशियों के गीत 
अनजाने प्यार में .

अंधेरों को चिरता हुआ प्रकाश 
मानो वहां हर रात कोई 
त्यौहार का उत्सव होता है 
खुशियों का भी
दुख का भी उत्सव .

और दूसरी तरफ हम हैं 
हमें खुशियां तय करने में वक्त लग जाता है 
अड़ोस - पड़ोस समाज और फिर रिश्तेदार 
कौन सी खुशियां कैसी और कब मनाएं .
और रात - 
खुद में अधूरी सी होकर सिमट जाती है .
उन सबको -
खुशियां तय करने में वक्त लग जाता है.
इसलिए दीए नहीं जलते हमारे यहां 
थकान में उठते हैं 
और थकान में ही सो जाते हैं.

©Naveen Goswami #sawan_2024
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Naveen Goswami

White धरातल के 
अनेकों पटल के 
अनेकों परिवर्तन का 
निर्माण का भी 
विनाश का भी 
साक्षी हो तुम .

है - नभ 
कुछ तो बोलो 
क्यों - इतने मौन हो तुम .

जल - थल 
शून्य - शौर 
रजनी और भोर 
हर अंग में शामिल हो तुम .
क्या तुमने ऐसा देख लिया 
जिससे डर गए .
क्या कोई निज को खो दिया 
जो  शून्य पटल पर खो गए .
सही गलत का फर्क कुछ तो बोलो 
क्यों इतने गुमसुम से खड़े हो तुम ..

है - नभ 
कुछ तो बोलो 
क्यों - इतने मौन हो तुम .

©Naveen Goswami
  #Poetry #Love #Hindi
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Naveen Goswami

White जब आदमी का पेट 
भूखा रहता है 
ज़रूरतें अदमरी सी 
नींद अधखुली सी 
तब ...
सब कुछ प्रत्यक्ष होता है .

और जब ...
अथाह दौलत  
सभी ज़रूरतें भर जाती है 
तब वह जीवन .....
विचार बन जाता है.

©Naveen Goswami
  #weather_today
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Naveen Goswami

White ख्वाहिशों की पतंग से 
लिपटकर रोता था 
मैं .
रहती थी 
ख्वाहिश सागर की .

दो घूंट चखी 
और 
मिट गई 
ख्वाहिश सागर की .

अब लगता है 
पहले अच्छा था .
वक्त में लौट जाना 
कहां हद में है  
आदमी की .
यही तो जिद हैं 
आदमी की.

©Naveen Goswami
  #good_morning_quotes
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Naveen Goswami

White देखने निकले तो 
जिंदगी के आईने 
चेहरे सब साफ थे 
धुंधले थे आईने .

अब थक चुका हूं 
बताते बताते उनको 
कौन - कितने 
अपने हैं आईने .

©Naveen Goswami #goodnightimages 
#Poetry #Love
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Naveen Goswami

White अपनी अपनी अदाकारी हैं 
इस रंगमंच पर - आख़िर .

कितने किरदार चले गए 
और कितने 
हुंनरबाज बाक़ी - आख़िर .

©Naveen Goswami
  #Love #Poetry

Love Poetry #विचार

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Naveen Goswami

Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कुछ रंग बनाउं ऐसे जो दिलों को रंग दे
हाथों से चेहरों पर लगाए रंग धुल जाते हैं
न जाने रंगों पर कितने रंग चढ़ जाते हैं 
फिर कहां वो असल चेहरे रह पाते हैं .


फिर एक काम करना 
तुम कुछ पानी भी लेकर आना 
दिलों पर जमा द्वेष-मैल को भी धोते जाना 
सब फर्क दिलों के मिटाना 
हां -एक होली ऐसे भी मनाना .२-२

©Naveen Goswami
  #holi2024
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Naveen Goswami

#Nojoto
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Naveen Goswami

प्रेम ही वह उत्तर है -
जहां प्रश्नों के ढेर  में दबा पड़ा है आदमी ।

विषमता के बोझ में -
डरा खड़ा है आदमी ।

#Nojoto #Poetry

प्रेम ही वह उत्तर है - जहां प्रश्नों के ढेर  में दबा पड़ा है आदमी । विषमता के बोझ में - डरा खड़ा है आदमी । Poetry

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