Nojoto: Largest Storytelling Platform
ashok4213941897928
  • 13Stories
  • 3Followers
  • 109Love
    5.7KViews

Ashok

  • Popular
  • Latest
  • Video
38a62cce73296a89c406a764b5c2b9f1

Ashok


कोचिंग वाला लड़का भाग 2
*******************
उस लड़के के सारे अधिकार मात्र अपनी पढ़ाई में फ़ोकस तक ही सीमित थे,  लेक़िन उम्र का पड़ाव कुछ और ही चाहता है वैसे भी कहा जाता है कि 15वीं साल से लड़को औऱ लड़कियों में शारीरिक बदलाव शुरू हो जाते हैं विज्ञान की भाषा में कहें तो हार्मोन्स में उबाल शुरू हो जाता है औऱ ये उबाल अक़्सर लड़कों लड़कियों को उग्र बना देता है फ़िर  16-17वी साल का पड़ाव जीवन में एक ऐसा पड़ाव होता है जहाँ किसी भी लड़के लड़की की ज़िंदगी में विषयों की केमिस्ट्री के अलावा वास्तविक जीवन की केमिस्ट्री के विचार भी उमड़ने लगते हैं, इस उम्र में लड़के लड़की भविष्य के स्वप्न महल बुनना शुरू कर देते हैं भविष्य में नौकरी से लेकर जीवनसाथी तक के स्वप्न इन कोचिंग औऱ कॉलेगों में खोजने शुरू हो जाते हैं वैसे भी कोचिंग संस्थान औऱ कॉलेज तो 17वीं साल में जीवन की दशा औऱ दिशा को बदलने में अग्रिम भूमिका निभाते हैं ये वो दुनियां होते हैं जहाँ लड़के लड़कियां अनगिनत स्वप्न बनाते हैं, जहाँ भविष्य की नोकरी से लेकर जीवनसाथी तक मन ही मन चुन लिए जाते हैं।

तो पूरी ग़लती उस लड़के की भी नही थी आधा कसूर तो उम्र का भी था, उस ख़ास शख्स की नज़रों में छाने के लिए लड़के ने उस ख़ास शख़्स को पढ़ाई में अपना प्रतिद्वंद्वी मान लिया क्योंकि लड़के को लगता था कि वो पढ़ाई में अपनी कोचिंग में अव्वल रहेगा तो उस शख़्स की उस लड़के पर नज़र जरूर पड़ेगी औऱ शायद यह मानना ग़लत भी नही था क्योंकि हमारे समाज ने जो चित्र बनाया है उसमें होशियार छात्रों को सभी सम्मान के जानते हैं, वह लड़का अपनी उस केमिस्ट्री की कोचिंग में अब्बल तो रहना चाहता था लेकिन हमेशा दूसरे स्थान पर क्योंकि प्रथम स्थान पर तो वो लड़का हमेशा ही अपने उस ख़ास शख़्स को रखना चाहता था। 
समय बीतता गया हफ़्ते दर हफ़्ते, महीने दर महीने, कोर्स भी आगे बढ़ रहा था बाकि सारि क्लास भी लेकिन वो लड़का कहीं अटक कर रह गया किसी पंक्षी की तरह, जैसे किसी शिकारी के बिछाये जाल में फसा हुआ पक्षी बाहर निकलने की लाख कोशिशों के बाबजूद भी वो जाल से निकल नही पाता उसी तरह वो लड़का अपने ही ख्वाबों में बनायी हुई उस दुनियां में फंसकर रह जाता है जहाँ वो लड़का एक शिल्पकार की तरह उस ख़ास शख़्स की मूरत को एकटक निहारता हुआ दुनियाँ भूल गया हो।
देखते ही देखते पूरी साल निकल गयी, वो लड़का जो किसी से डरता नही था लेकिन उस ख़ास शख़्स से बात करने की भी हिम्मत नही जुटा पाया, वह कुछ सोचता फिर रह जाता सिलसिला यूँहीं चलता रहा औऱ कोर्स कम्पलीट हो गया एग्जाम हो गये कोचिंग छूट गयी।
लेक़िन उस लड़के की उस ख़ास शख़्स को देखने औऱ बात करने की उम्मीद नही छुटी, क्योंकि उम्मीदों पर ही सारे संसार की खुशियां टिकी हैं औऱ उन्ही खुशियों में से एक ख़ुशी उस लड़के के लिए उस शख़्स के साथ टिकी थी........

©Ashok
  #कोचिंग वाला लड़का 2

#कोचिंग वाला लड़का 2 #लव

38a62cce73296a89c406a764b5c2b9f1

Ashok

एक कोचिंग वाला लड़का भाग  1
*************************
ये कहानी उस लड़के की है जिसने अपनी जिंदगीभर अपनों की ख़ुशी के लिए अपनी ही जिंदगी से हर रोज़ नए समझौते किये, उस लड़के के दिल में अरमां बहुत थे लेकिन उन अरमानों को पूरा करने का जज़्बा होने पर भी वह अपनों से हार कर केवल ज़िन्दगी समझौतों में जीता रहा, अक़्सर मध्यम वर्ग के लडकों लड़कियों को अपनी सारी ज़िन्दगी समझौतों के साथ ही जीनी पड़ती है, पहले वो अपने वर्तमान से समझौता करता है फ़िर भविष्य से समझौता करके वह अपनी सारी जिंदगी समझौतों में ही बदल देता है। वैसे भी हमारे मिडिल क्लास के लड़के लड़कियाँ को ये समाज एक अवसर की तरह देखता है, अग़र लड़के या लड़की ने समय रहते अपनी पढ़ाई पूरी कर कोई सरकारी नोकरी ले ली तो वह लड़का या लड़की बहुत ही संस्कारी मेहनती औऱ समझदार कहलाता है औऱ अग़र वह नाकामयाब रहता है तो नालायक चरित्रहीन औऱ परिवार का नाम डुबाने वाला कहलाता है। इस कहानी का लड़का भी उसी समाज का हिस्सा है जहाँ उसकी सफ़लता औऱ असफलता उसके संस्कार औऱ परवरिश को प्रमाणित करते हैं, वो लड़का नही चाहता कि उसके द्वारा उठाया हुआ कोई भी कदम उसके लिए या उसकी उम्र के अन्य लड़कों लड़कियों के लिए ग़लत साबित हो। अब इस तरह उस लड़के की कहानी शुरू होती है, वो लड़का अपने भविष्य को सुदृण करने औऱ अपनी पढ़ाई के जुनून को सही दिशा दिखाने के लिये दसवीं के बाद ग्यारवीं में गणित विषय को चुनता है यह चुनाव भी वह सरकारी नोकरियों में गणित विषय की अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए करता है क्योंकि सरकारी विभागों में एक साधारण सी नौकरी के लिए भी 12वीं में गणित विषय अनिवार्य था, इस तरह वह लड़का 05 जुलाई 2005 को पहली बार केमिस्ट्री के टीचर पालीवाल जी की कोचिंग क्लास में पहुँचता है, चूँकि लड़का पढ़ने में ठीक था विषयों की समझ भी उसकी ठीक ही थी तो अन्य विषयों की तरह ही केमिस्ट्री पर भी उसकी पकड़ धीरे धीरे अच्छी होने लगी औऱ धीरे धीरे वो लड़का अपनी क्लास के होशियार बच्चों में गिना जाने लगा।

यूँ तो कोचिंग क्लास में बहुत छात्र छात्रायें थे लेकिन उन सभी छात्र छात्राओं में कोई था जो उस लड़के के लिये बहुत ख़ास था, बहुत ख़ास होने पर भी उस शख़्स को यह ख़ास एहसास नही था कि वो उस लड़के के लिये कितना ख़ास है। उस शख़्स की खासियत का अहसास अब उस लड़के के दिल में धीरे धीरे घर कर ही रह था, वो लड़का भी अन्य हम उम्र शागिर्दों की तरह ख़्वाब बुन ही रहा था कि तभी उस लड़के को अपनी वास्तविक जिंदगी नज़र आयी जहाँ उस लड़के को पढ़ाई के अलावा औऱ कुछ भी सोचने का अधिकार ही नही था, उस लड़के को ये अधिकार नही था कि उन हालातों में वो कोई ऐसा ख़्वाब बुने जहाँ वो औऱ उसकी वो ख़ास शख़्स एक दूसरे की आंखों में आँखे डालकर इस दुनियाँ को भुलाते हुए कहीं खो गये हों।

©Ashok

38a62cce73296a89c406a764b5c2b9f1

Ashok

अब न राम के जैसा नर है कोई, न अब सीता जैसी नारी है
सौतेली माँ के आदेश से, अब किसने वन में रात गुजारी है
अब मर्यादा पालन की ख़ातिर , अब किसने बात विचारी है
अब पितृवचन को कर्तव्य मान, यहाँ किसने खुशियां हारी है

अब हर युवा दुश्शासन बनता, उसकी चीरहरण की तैयारी है
अब न द्रौपदी की लाज बचाने,  नही आते अब मुरलीधारी है
अब भीष्मपिता से धर्महठी बन, देखें मूक सभी व्यभिचारी है
अब यहाँ धर्म अधर्म संघर्षों में, अब अधर्म का पलड़ा भारी है

अब सँसार बचाने की ख़ातिर, अब न हलाहल कोई भी पीता है
अब अपनों को छुरा झोंपकर,  मनुष्य  ख़ुद के लिये ही जीता है
धर्म स्थापन की बातें हैं धुँधली, अब न ज्ञानमयी कोई भी गीता है
अब न राम के जैसा नर है कोई, नाही नारी में अब कोई सीता है

©Ashok
  #राम
38a62cce73296a89c406a764b5c2b9f1

Ashok

हर शख़्स को दिल से बच्चा समझता रहा
मैं दुनियाँ में सबको अच्छा समझता रहा

जिनके दिमाग़ों में भरी थीं चालाकियां
फ़ितरत से उन्हें भी सच्चा समझता रहा

जब से लौटा हूँ समझदारों की महफ़िल से
अब ख़ुद को अक़्ल से कच्चा समझता रहा
38a62cce73296a89c406a764b5c2b9f1

Ashok

हर शख़्स को दिल से बच्चा समझता रहा
मैं दुनियाँ में सबको अच्छा समझता रहा

जिनके दिमाग़ों में भरी थीं चालाकियां
फ़ितरत से उन्हें भी सच्चा समझता रहा

जब से लौटा हूँ समझदारों की महफ़िल से
अब ख़ुद को अक़्ल से कच्चा समझता रहा

©Ashok #walkalone
38a62cce73296a89c406a764b5c2b9f1

Ashok

लड़का बनना आसान हो या नही, लडक़ी बने रहना कठिन है
*******************************************************
कितने आसानी से कह दिया तुमने की लड़का बनना आसान नहीं है, तो क्या लडक़ी बने रहना आसान है ?
हाँ जानती हूँ कि लड़के जन्म से पहले ही बना दिये जाते हैं इंजीनियर, डॉक्टर या कलेक्टर,
दिया जाता है इन्हें बस्ता उठाने से पहले ज़िम्मेदारी उठाने का एहसास,
लेकिन लड़की होने से पहले करा दी जाती है जाँच, घर में पहले से हुई दो लड़की तो तीसरे की करा दी जाती है 
भ्रूण हत्या, नही लेने दिया जाता है जन्म, जन्म हो भी गया तो नही मनाई जाती ख़ुशी, छा जाता है मातम
बना दिया जाता है उसे दहेज़ का बोझ, दो चार दस लाख की गठरी
बेच दिया जाता है उसके हिस्से का खेत ज़मीन औऱ बाँध दी जाती है किसी लड़के के खुटे पर गाय की तरह

हाँ मानती हूँ कि लड़कों को पूरे करने पड़ते हैं मां बाप के वो अधूरे सपनें, जो पूरे न हुए
थोप दिये जाते हैं लड़कों पर ज़ागीर की तरह बचपन से ही लड़कों को बता दिया जाता है 
बड़े होकर तुम्हें करनी है बहन की शादी बनवाना है तुम्हें घर, खरीदनी है गाड़ी
तुम्हें करना है अपने खानदान का नाम रोशन, तो लड़कियों को सपनें देखने की नही दी जाती आज़ादी
उन्हें पलना बढ़ना होता है किसी मर्द की छाँव में, रहना होता है किसी बाप भाई या पति के नाम के नीचे

हाँ जानती हूँ लड़की को दी जाती है सुन्दर सी गुड़िया औऱ बता दिया जाता है , की तुम्हें बनना है गुड़िया सी राजकुमारी,
औऱ लड़कों को बचपन से ही थमा दी जाती है बंदूक  औऱ बता दिया जाता है कि तुम्हें बनना है, पुलिस या फ़ौजी
करनी है तुम्हें इस देश की रक्षा औऱ लड़ते ही रहना है ज़िन्दगीभर
लेकिन बताओ लड़की को बन्दूक न देकर गुड़िया थमाई किसने? क्यों नहीं दिया उसे बॉर्डर पर लड़ने का अधिकार
क्यों दूर रखा उसे देश पर बलिदान होने से, जब भी लड़की को अधिकार मिला है, तो वो मर्दों से आगे खड़ी रहीं हैं
लक्ष्मीबाई, चेन्नमा, इंदिरा से लेकर फौगाट बहने साक्षी मलिक औऱ मीरा बाई चानू तक
जितनो को अधिकार मिले हैं उनने मर्दों के आगे मर्दानी होने के सबूत दिये हैं

हां जानती हूँ कि स्कूल में लड़की को केवल टेबल पर खड़ा कर दिया जाता है
औऱ वहीं लड़कों को बना दिया जाता है मुर्ग़ा औऱ रख दी जाती है कोई क़िताब  पीठ पर
गिरने पर दिये जातें हैं उसमें डंडे, फ़िर कह दिया जाता है, तुम लड़के हो रो नही सकते
लेकिन लड़की ने कब किया मना सज़ा पाने के लिए, ये तो शिक्षक की मानसिकता थी जिसने लड़की को कमज़ोर समझा
शिक्षक ने नही माना कि लड़की भी लड़को से ज़्यादा सामर्थ्यवान है, वो झेल सकती है लड़कों की तरह हर परेशानी, 
लड़की को दबाया कुंठित समाज ने, क्यों लड़की जब होती है बीस साल की तो शुरू हो जाती हैं उसकी शादी की तैयारियां ?
वहीं लड़के जब होते हैं 18 साल के शुरू हो जाती है किसी नौकरी की तलाश उन्हें खड़े होना है अपने पैरों पर, 
करना है काम उन्हें कमाना है बहन की शादी के लिए, मां बाप के ईलाज़ के लिये 
फ़िर कमाना है पत्नी के श्रृंगार के लिये फ़िर बच्चों की पढ़ाई के लिये 
उसे कमाते ही रहना है जिंदगीभर अपने सपनों औऱ आराम को छोड़कर
लेकिन लड़की को नही जाने दिया दूसरे शहर नौकरी तलाशने के लिए
क्यों समझ लिया जाता है नौकरी करने वाली को बदचलन चालबाज़
क्यों नहीं लड़की को दी जाती आज़ादी लड़को की तरह देर रात तक काम करने की
क्यों नहीं दिया जाता लड़की को भाई की शादी का ज़िम्मा ?
इसलिए ये समझ लो कि लड़का बनना आसान हो या नही, लेकिन लड़की बने रहना ज़्यादा कठिन है

©Ashok #लड़की #लड़के
38a62cce73296a89c406a764b5c2b9f1

Ashok

लड़का बनना आसान नहीं है
**************************
लड़के जन्म से पहले ही बना दिये जाते हैं 
इंजीनियर, डॉक्टर या कलेक्टर,
दिया जाता है इन्हें बस्ता उठाने से पहले
ज़िम्मेदारी उठाने का एहसास,
मां बाप के वो अधूरे सपनें, जो पूरे न हुए
थोप दिये जाते हैं लड़कों पर ज़ागीर की तरह
बचपन से ही लड़कों को बता दिया जाता है 
बड़े होकर तुम्हें करनी है बहन की शादी
बनवाना है तुम्हें घर, खरीदनी है गाड़ी
तुम्हें करना है अपने खानदान का नाम रोशन

लड़की को दी जाती है सुन्दर सी गुड़िया
औऱ बता दिया जाता है 
की तुम्हें बनना है गुड़िया सी राजकुमारी,
लड़कों को बचपन से ही थमा दी जाती है बंदूक 
औऱ बता दिया जाता है कि तुम्हें बनना है
बन्दूकदारी पुलिसवाला या फ़ौजी
करनी है तुम्हें इस देश की रक्षा
औऱ लड़ते ही रहना है ज़िन्दगीभर

स्कूल में लड़की को केवल टेबल पर खड़ा कर दिया जाता है
औऱ वहीं लड़कों को बना दिया जाता है मुर्ग़ा
औऱ रख दी जाती है कोई क़िताब  पीठ पर
गिरने पर दिये जातें हैं उसमें डंडे, 
सूजा दिया जाता है उसका अंग अंग
फ़िर कह दिया जाता है, तुम लड़के हो रो नही सकते

लड़की जब होती है बीस साल की
शुरू हो जाती हैं उसकी शादी की तैयारियां
वहीं लड़के जब होते हैं 18 साल के
शुरू हो जाती है किसी नौकरी की तलाश
उन्हें खड़े होना है अपने पैरों पर, करना है काम
उन्हें कमाना है बहन की शादी के लिए
मां बाप के ईलाज़ के लिये
फ़िर कमाना है पत्नी के श्रृंगार के लिये
फ़िर बच्चों की पढ़ाई के लिये
उसे कमाते ही रहना है जिंदगीभर
अपने सपनों औऱ आराम को छोड़कर

इसलिये कहता हूँ
लड़का बनना आसान नहीं है

©Ashok
  #लड़के
38a62cce73296a89c406a764b5c2b9f1

Ashok

वीर पांड्या कट्टाबोम्मन 
****************************************
(भारतीय नौसेना पोत आई एन एस कट्टाबोम्मन जिनके नाम से पड़ा है उस वीर पांड्या कट्टाबोम्मन का जन्म 3 जनवरी 1760 को तिरुनेलवेली के पांचालांकुरिचि में हुआ था, उन्होंने अंग्रेज़ो के विरुद्ध 1796 में पॉलीगर (पुदुकोटाई) का युद्ध शुरू किया जो लगभग 3 वर्ष 1799 उनकी मृत्यु तक चलता रहा, उन्हें 16 अक्टूबर 1799 को कयाथार तिरुनेलवेली के चौराहे पर फाँसी दी गयी थी। उस शूरवीर कट्टाबोम्मन को उनकी पावन धरती तिरुनेलवेली में श्रधांजलि देने के लिये भारतीय नौसेना ने आई एन एस कट्टाबोम्मन नामक वी एल एफ स्टेशन की 20 ऑक्टोबर1990 में स्थापना की)

उसी वीर पांड्या कट्टाबोम्मन को समर्पित मेरी कुछ पंक्तियाँ

"वीरपांड्या कट्टाबोम्मन"

जंजीर गुलामी की जकड़ी, विषबेल हर जगह फैली थी 
अंग्रेजों की गंदी करतूतों से, हुई भारत की संस्कृति मैली थी
जब एक एक कर अंग्रेजों ने, राज्य हड़पना शुरू किया
सम्पूर्ण भारत की भूमि में दुःखों ने उमड़ना शुरू किया

बंगाल हो या गुजरात केरल हो या राजस्थान
मद्रास से लेकर दिल्ली तक औऱ गोआ से गोहाटी तक
हर राज्य हड़पने के मंसूबे दिलों में गोरों के पनप रहे
मातृभूमि खोने के बादल, अब तिरुनेलवेली पर भी उमड़ पड़े

तब पँचलंकुरिची के योद्धा ने, अंग्रेजों पर कहर बरपाया था
वह वीरापंड्या कट्टाबोम्मन, दक्षिण समुराई कहलाया था
अंग्रेजों को भूमि न दूँगा, उसने शपथ उठायी थी
अंग्रेजों से धूल चटाने की, खुली ललकार लगायी थी
पॉलीगर का प्रथम युद्ध उसने अंग्रेज़ो से ठान लिया
मातृभूमि की रक्षा में, कुटुम्ब सहित बलिदान दिया

वह थका नही वह रुका नही, नित नरमर्दन करता जाता
सर काट काट अंग्रेजों के, हुंकार वह भरता जाता
लेक़िन घायल हुआ युद्धभूमि में, जब अपनो ने धोखे से वार किया
तिरिचिरापल्ली के विजया रघुनाथ ने, जब दोस्ती में विश्वासघात  किया
बंगाल के मीर जाफर से, हर राज्य में ही ग़द्दार हुए
हार गये हम हर एक राज्य, जब अपनों ने ही वार किए।

16 अक्टूबर 1799 को कायथार की भूमि काँपी थी
जब कायथार के चौराहे पर कट्टाबोमन की हुई कुर्बानी थी
उस समय के तमिल रजवाड़े, अगर वीरा का साथ  निभा जाते
दासता की जंजीरों से तमिल मुक्ति तो पा जाते
मरते मरते कट्टाबोमन ने, माटी का कर्ज उतार दिया
चढ़ गया वह हँसकर फाँसी पर,तमिल भूमि को मान दिया

वह कट्टाबोमन तो चला गया, लेक़िन प्रश्न आज भी यह जिंदा है
अपनों की ही ग़द्दारी पर कब तक हम शर्मिंदा हैं, कब तक हम शर्मिंदा हैं??

अशोक शर्मा

©Ashok #Light
38a62cce73296a89c406a764b5c2b9f1

Ashok

लड़का बनना आसान हो या नही, लडक़ी बने रहना कठिन है
*******************************************************
कितने आसानी से कह दिया तुमने की लड़का बनना आसान नहीं है, तो क्या लडक़ी बने रहना आसान है ?
हाँ जानती हूँ कि लड़के जन्म से पहले ही बना दिये जाते हैं इंजीनियर, डॉक्टर या कलेक्टर,
दिया जाता है इन्हें बस्ता उठाने से पहले ज़िम्मेदारी उठाने का एहसास,
लेकिन लड़की होने से पहले करा दी जाती है जाँच, घर में पहले से हुई दो लड़की तो तीसरे की करा दी जाती है 
भ्रूण हत्या, नही लेने दिया जाता है जन्म, जन्म हो भी गया तो नही मनाई जाती ख़ुशी, छा जाता है मातम
बना दिया जाता है उसे दहेज़ का बोझ, दो चार दस लाख की गठरी
बेच दिया जाता है उसके हिस्से का खेत ज़मीन औऱ बाँध दी जाती है किसी लड़के के खुटे पर गाय की तरह

हाँ मानती हूँ कि लड़कों को पूरे करने पड़ते हैं मां बाप के वो अधूरे सपनें, जो पूरे न हुए
थोप दिये जाते हैं लड़कों पर ज़ागीर की तरह बचपन से ही लड़कों को बता दिया जाता है 
बड़े होकर तुम्हें करनी है बहन की शादी बनवाना है तुम्हें घर, खरीदनी है गाड़ी
तुम्हें करना है अपने खानदान का नाम रोशन, तो लड़कियों को सपनें देखने की नही दी जाती आज़ादी
उन्हें पलना बढ़ना होता है किसी मर्द की छाँव में, रहना होता है किसी बाप भाई या पति के नाम के नीचे

हाँ जानती हूँ लड़की को दी जाती है सुन्दर सी गुड़िया औऱ बता दिया जाता है , की तुम्हें बनना है गुड़िया सी राजकुमारी,
औऱ लड़कों को बचपन से ही थमा दी जाती है बंदूक  औऱ बता दिया जाता है कि तुम्हें बनना है, पुलिस या फ़ौजी
करनी है तुम्हें इस देश की रक्षा औऱ लड़ते ही रहना है ज़िन्दगीभर
लेकिन बताओ लड़की को बन्दूक न देकर गुड़िया थमाई किसने? क्यों नहीं दिया उसे बॉर्डर पर लड़ने का अधिकार
क्यों दूर रखा उसे देश पर बलिदान होने से, जब भी लड़की को अधिकार मिला है, तो वो मर्दों से आगे खड़ी रहीं हैं
लक्ष्मीबाई, चेन्नमा, इंदिरा से लेकर फौगाट बहने साक्षी मलिक औऱ मीरा बाई चानू तक
जितनो को अधिकार मिले हैं उनने मर्दों के आगे मर्दानी होने के सबूत दिये हैं

हां जानती हूँ कि स्कूल में लड़की को केवल टेबल पर खड़ा कर दिया जाता है
औऱ वहीं लड़कों को बना दिया जाता है मुर्ग़ा औऱ रख दी जाती है कोई क़िताब  पीठ पर
गिरने पर दिये जातें हैं उसमें डंडे, फ़िर कह दिया जाता है, तुम लड़के हो रो नही सकते
लेकिन लड़की ने कब किया मना सज़ा पाने के लिए, ये तो शिक्षक की मानसिकता थी जिसने लड़की को कमज़ोर समझा
शिक्षक ने नही माना कि लड़की भी लड़को से ज़्यादा सामर्थ्यवान है, वो झेल सकती है लड़कों की तरह हर परेशानी, 
लड़की को दबाया कुंठित समाज ने, क्यों लड़की जब होती है बीस साल की तो शुरू हो जाती हैं उसकी शादी की तैयारियां ?
वहीं लड़के जब होते हैं 18 साल के शुरू हो जाती है किसी नौकरी की तलाश उन्हें खड़े होना है अपने पैरों पर, 
करना है काम उन्हें कमाना है बहन की शादी के लिए, मां बाप के ईलाज़ के लिये 
फ़िर कमाना है पत्नी के श्रृंगार के लिये फ़िर बच्चों की पढ़ाई के लिये 
उसे कमाते ही रहना है जिंदगीभर अपने सपनों औऱ आराम को छोड़कर
लेकिन लड़की को नही जाने दिया दूसरे शहर नौकरी तलाशने के लिए
क्यों समझ लिया जाता है नौकरी करने वाली को बदचलन चालबाज़
क्यों नहीं लड़की को दी जाती आज़ादी लड़को की तरह देर रात तक काम करने की
क्यों नहीं दिया जाता लड़की को भाई की शादी का ज़िम्मा ?
इसलिए ये समझ लो कि लड़का बनना आसान हो या नही, लेकिन लड़की बने रहना ज़्यादा कठिन है

©Ashok #UskiAankhein
38a62cce73296a89c406a764b5c2b9f1

Ashok

लड़के जन्म से पहले ही बना दिये जाते हैं इंजीनियर, डॉक्टर या कलेक्टर,
दिया जाता है इन्हें बस्ता उठाने से पहले ज़िम्मेदारी उठाने का एहसास,
मां बाप के वो अधूरे सपनें, जो पूरे न हुए थोप दिये जाते हैं लड़कों पर ज़ागीर की तरह
बचपन से ही लड़कों को बता दिया जाता है  बड़े होकर तुम्हें करनी है बहन की शादी
बनवाना है तुम्हें घर, खरीदनी है गाड़ी तुम्हें करना है अपने खानदान का नाम रोशन

लड़की को दी जाती है सुन्दर सी गुड़िया औऱ बता दिया जाता है 
की तुम्हें बनना है गुड़िया सी राजकुमारी, लड़कों को बचपन से ही थमा दी जाती है बंदूक 
औऱ बता दिया जाता है कि तुम्हें बनना है बन्दूकदारी पुलिसवाला या फ़ौजी
करनी है तुम्हें इस देश की रक्षा औऱ लड़ते ही रहना है ज़िन्दगीभर

स्कूल में लड़की को केवल टेबल पर खड़ा कर दिया जाता है 
औऱ  वहीं लड़कों को बना दिया जाता है मुर्ग़ा
औऱ रख दी जाती है कोई क़िताब  पीठ परगिरने पर दिये जातें हैं उसमें डंडे, 
सूजा दिया जाता है उसका अंग अंग फ़िर कह दिया जाता है, तुम लड़के हो रो नही सकते

लड़की जब होती है बीस साल की शुरू हो जाती हैं उसकी शादी की तैयारियां
वहीं लड़के जब होते हैं 18 साल के शुरू हो जाती है किसी नौकरी की तलाश
उन्हें खड़े होना है अपने पैरों पर, करना है काम उन्हें कमाना है बहन की शादी के लिए
मां बाप के ईलाज़ के लिये फ़िर कमाना है पत्नी के श्रृंगार के लिये
फ़िर बच्चों की पढ़ाई के लिये उसे कमाते ही रहना है जिंदगीभर
अपने सपनों औऱ आराम को छोड़कर

इसलिये कहता हूँ 

लड़का बनना आसान नही है

©Ashok
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile