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rohitsingh8449
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Rohit Singh

@blissful_sensation insta account

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Rohit Singh

कुछ लिखे नगमों को,
ज़िन्दगी समझ बैठा था राहगीर!

अन्धेरी रातों के चंद ख्वाबों को,
डगर समझ बैठा था राहगीर!

कुछ धुंधली यादों को,
सफर समझ बैठा था राहगीर!

चंद लुभावनी बातों को,
ज़िन्दगी समझ बैठा था राहगीर!

समय आया‌ इम्तिहान देने को,
तो अनजान बैठा है राहगीर!!

©Rohit Singh #hindi_poetry #lovepoetry #hindi_shayari #kvishalapoetry #kavi 

#Smile
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Rohit Singh

वक़्त बड़ा नाजुक होता है साहब,

न जाने कब कलम के सहारे ख्यालों में उतरजाए!!!


                                     रोहित सिंह गुलिया #NightPath
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Rohit Singh

खवाबों के इन्तहा में जो हैं दफ़न,
जी रहा था, उन ख्वाइशों के संग,

कम्बख्त उस रोज़ कर गयी दीवाना,
जिस रोज़ हुआ उसका, निहारना संग मुस्कुराना!


                                        रोहित सिंह गुलिया #Moon
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Rohit Singh

बयां तो कर दास्ताँ-ऐ-मोहब्बत,
बह रही जो अश्रुओं की तर्ज़ पर,

बयां कर उस बेगैरत अहसास को,
सफर कराया जिसने शिखर से क़यामत तक!!


                                 रोहित सिंह गुलिया #waiting
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Rohit Singh

सुनी पड़ गयी थी गलियां शहर की,
 कतारें लगी, मयखानों के खुलते ही,
गरीब का रोना, ना खुलवा पाया जो दरवाज़े,
मदिरा क्या थिरकी, खुल गए सब आशियाने!!

चिल्लाता रहा पीड़ित प्रवाशी,
था जब मदिरा में चूर, शहर का वासी,
क्या करे रुक कर वो ऐसे बेगाने शहर में,
जहाँ खुलते हैं दरवाज़े मयखानों की तर्ज पर!!

                            रोहित सिंह गुलिया #Lockdown_3
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Rohit Singh

सुन भूखे पेट बच्चे का रुदन,
माँ अश्रु पिलाती, पानी जैसे लौटा गगन,
कड़ी धुप में, सहती सूदन,
कहती, मौला रहम कर मुझ मुफ्लिश पर,

ना खाने को रोटी, ना पीने को पानी,
कहाँ जाऊं मैं मुसाफिर बेगानी,
कहने को बहुत मददगार जग में,
फिर राहें मेरी क्यों पड़ गयी हैं सुनी,

इस शहर को समझ अपना,
भूल बैठी थी गावं अपना,
लौटने दो मुझको, उस आशियाना,
जहाँ लगता मुझको, अब वजूद अपना!! #Art
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Rohit Singh

ख्वाबों के साये में मेहफ़ूज़ रहकर,
ये ख्यालों की रात, गुजर जाने दे,
अगली सहर तो आ जाने दे,
चंद्र ढल, सूरज तो उग जाने दे!!

क्यों होता है अति आतुर,
इन लम्हों की कीमत तो अदा करने दे,
ख्वाबों की बोली, लग जाने दे,
मुहब्बत के इम्तिहान की घडी आ जाने दे!!


                              रोहित सिंह गुलिया #Love
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Rohit Singh

संकुचित होता बुद्धि का दायरा,
पड़ती मन पर, जब मोह की छाया,
छंटने दे मोह के बादल,
ढंका है जिनसे मन का अम्बर!!


                      रोहित सिंह गुलिया #Morning
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Rohit Singh

यूँ ही चलते चलते,
राहों में रुकते-रुकते,
किस और तेरा बसेरा,
थक गए पूछते-पूछते!!

                    रोहित सिंह गुलिया #Heart
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Rohit Singh

यूँ ही चलते चलते,
राहों में मिलते-जुलते,
कहीं प्यार न होजाए तुमसे,
कुछ कह नहीं सकते!!

                       रोहित सिंह गुलिया #Love
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