कुछ पन्ने अपनी ज़िंदगी के फिर से पलटना चाहती हुँ,
उन्हे फिर से जीना चाहती हुँ,
रह गई है जो ख्वाहिशें अधूरी, उसे अकेले ही पुरा करना चाहती हुँ,
ना लोगों का डर ना खुद से हार जाने की झिझक,
बस लम्हों को खुल के जिना चाहती हुँ,
मन की घुटन को अपनी प्यारी सी मुस्कान से मिटाना चाहती हुँ, कुछ पन्ने अपनी ज़िंदगी के फिर पलटना चाहती हुँ,उन्हे फिर से जीना चाहती हुँ,
सुना था मैंने की वक्त रेत की तरह हाथों से फीसल जाता है, #poem#कविता#nojotohindi#nojotofficial#lovehim#sahibaspeaks