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vsdixit4430
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vs dixit

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vs dixit

#मन
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vs dixit

White स्वरचित गीत............................

बदलते रिश्ते 
..................

जब वो हमारे न रहे
हमको किसी बात की
शिकायत भी ना रही
हम तो हम ही रहे
रिश्तों में पर वो
गर्माहट ना रही...

हमने 
ज़माने को कुछ यूं है
बदलते देखा
अपनी सुविधा से
लोगों ने
जब खींच ली 
नई रेखा...

न बात रही
न बात की औकात ही रही
हर जगह स्वार्थ
की मैली गंगा जो है बह रही...

झुकी नजरें
बेरुखी अजीब सी
कह देती उनकी कहानी सारी
समझने की कुछ भी
जरुरत ही ना रही
हमको किसी बात की
शिकायत भी न रही...

जब वो हमारे ना रहे
सब समझ बूझ कर भी
हम गले लगाते ही रहे
मुस्कुराते भी रहे...
@वीएस दीक्षित

©vs dixit #बदलतेरिश्ते
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vs dixit

#नादानी
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vs dixit

पलटा पलटी 
....….......................
चवन्नी पलटती तो है
मगर उसकी 
कुछ कीमत  होती है...

नेता पलटता है तो
वो सिर्फ पलटता ही नहीं
खुद को लोगों की 
नजरों से भी गिरा लेता है
लोगों की आशाओं को 
अचानक जमीन में
सौ गज नीचे गाड़ देता है...

क्या मजबूरी है?
जो आजकल
नेता ही नहीं 
उनके आचार विचार भी
रातों रात पलट जाते हैं
जनता के प्रति जिम्मेदारी
भूल जाते हैं
जिनके वोट लेकर जीतते हैं
उन्हीं को धोखा दे देते हैं...

नेता बेशर्म होकर 
खुद को पलट कर
मंच पर
पटका पहनकर 
दांत निपोरता है
सब राष्ट्र की खातिर
उसकी इमानदार कोशिश है
ऐसा कहता है
कुछ तो मजबूरी है
जनता का क्या
वो तो बेचारी है...

रातों रात पलट कर 
भ्रष्ट भी बन जा रहे इमानदार 
कह रहे
करेंगे इमानदारी से 
देश की सेवा और रखवाली
पता नहीं कौन सी 
ऐसी वाशिंग मशीन है निराली...
@वीएस दीक्षित

©vs dixit
  #पलटापलटी
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vs dixit

तमाशा
............
तमाशा बनाना
तमाशा बनना
तमाशबीनों का होना
तालियों का गरजना
तमाशे पर थिरकना
सब तमाशा है
दरअसल तो कुहासा है
झूठा दिलासा है
दीवारों पर तो साफ साफ लिखा है
लोग पढ़ना ही भूल सा गया है
आंखों पर पट्टी बांध लिया है
मुंह सी लिया है
केवल तमाशा ही तमाशा है |
V.s. Dixit

©vs dixit
  #तमाशा
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vs dixit

सामने से गुजरती हुई लहरों
को देखकर लगता है 
कि कभी बड़ी पहचान थी इनसे
बेरूखियां इनकी सावधान सी
करती हैं किसी बड़ी सुनामी से
यह कोई महज इत्तेफाक नहीं
हर बार की हकीकत है।

©vs dixit
  #बेरुखी
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#शब्द
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#लहरें
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#बात
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#assikisham
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