कितनी रातें तुम्हे पुकारते गुज़री हैं
कितने दिन तुम्हे ढूंढते निकले हैं
कोई अनुमान नहीं है
कितने आंसू चादरों ने पीये
कितने तुम्हारी तस्वीर ने
कोई हिसाब नहीं है
तुम्हे ढूंढ़ता हुआ खुद को
कहाँ रख कर भूल गया हूँ
ज़रा सोचूँ दिल-ए-जाना कैसा होगा
तेरा लौट कर आना कैसा होगा
पलकोंं की कोर में जो
दूरीआें की मिट्टी जमी है
सुकून के आँसू उसे ऐसे धोएँगे
जैसे बारिश में पत्तीआँ धुली हों
जैसे शाम के धुएँ में #ਕਵਿਤਾ
Half Poet 💔💕
@https://youtu.be/EvHleX9nLq0
Half Poet 💔💕
@dutryuvraj
@halfpoet
Half Poet 💔💕
Half Poet 💔💕
मुझे लगा मैं उसे रास्ता दिखा रहा था
मगर मैं तो उसके रास्ते मे आ रहा था
उससे बिछड़ कर यह एहसास हुआ अचानक
मैं तो खुद से भी बहुत दूर जा रहा था
उसे समझा नहीं सकता उसे समझ नहीं सकता
खुद समझ गआ दिल को समझा रहा था #शायरी