Nojoto: Largest Storytelling Platform
shubhambarnwal9171
  • 20Stories
  • 124Followers
  • 120Love
    0Views

Ziddi_babaji

Ishq de mere mitra pehchaan ki, mit javay jadoon zid apnan di

  • Popular
  • Latest
  • Video
3f7dedd9933d0ea0c0d9eab17bf3a1ad

Ziddi_babaji

तेरा क्या जवाब है,
तू तो उभरा हुआ गुलाब है।

बातें नहीं आती मुझे करने,
लेकिन तेरा क्या जवाब है।

तेरा गुस्सा मुझे डराता नहीं,
बल्कि साहस देता है।

क्योंकि
 दिल कहता है ये सब ख्वाब है।

3f7dedd9933d0ea0c0d9eab17bf3a1ad

Ziddi_babaji

इन बारिशों से दोस्ती अच्छी नहीं

पर आज कच्चा तेरा मकान है

कुछ तो ख्याल कर

3f7dedd9933d0ea0c0d9eab17bf3a1ad

Ziddi_babaji

सुना है,लोग उसे आंँख भर के देखते हैं

तो इसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं

अगर वो बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं

अगर ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं। copy paste

copy paste

3f7dedd9933d0ea0c0d9eab17bf3a1ad

Ziddi_babaji

रिटर्न टिकट  तो कन्फर्म है 
इसलिये
 मन भरकर जीयें
मन में भरकर  ना जीयें।

छोड़िए शिकायत
शुक्रिया अदा कीजिये

जितना है पास
पहले उसका मजा लीजिये

चाहे जिधर से गुज़रिये
मीठी सी हलचल मचा दीजिये

उम्र का हर एक दौर मज़ेदार है
अपनी उम्र का मज़ा लीजिये

3f7dedd9933d0ea0c0d9eab17bf3a1ad

Ziddi_babaji

Please stay away and be happy 
That if you come 
I will not let you go it's just a line

it's just a line

3f7dedd9933d0ea0c0d9eab17bf3a1ad

Ziddi_babaji

शर्ट-पैंट का फैशन आया,
धोती और लंगोट नदारद।
खुले-खुले परिधान आ गए,
बंद गले का कोट नदारद।।
आँचल और दुपट्टे गायब,
घूंघट वाली ओट नदारद।
महंगाई का वह आलम है,
एक-पांच के नोट नदारद।।
लोकतंत्र अब भीड़तंत्र है,
जनता की पहचान नदारद।
कुर्सी पाना राजनीति है,
नेता से ईमान नदारद।। 
गूगल विद्यादान कर रहा,
मास्टर का सम्मान नदारद। akki aman barnwal Ritika suryavanshi

akki aman barnwal Ritika suryavanshi #poem

3f7dedd9933d0ea0c0d9eab17bf3a1ad

Ziddi_babaji

इक दिन फुरसत पायी
सोचा .......
खुद को आज रिझाऊं

बरसों से जो जोड़े हैं
वो लम्हे कुछ खर्च आऊं।

खोला बटुआ..लम्हे न थे
जाने कहाँ वक्त के साथ रीत गए!

मैंने तो कभी खर्चे नही
जाने कैसे बीत गए !! akki aman barnwal Ritika suryavanshi

akki aman barnwal Ritika suryavanshi

3f7dedd9933d0ea0c0d9eab17bf3a1ad

Ziddi_babaji

फुरसत थोड़ी मिली थी सोचा 
चलो खुद से ही मिल आऊं।

आईने में देखा जिसे
पहचान ही न पाऊँ।

ध्यान से देखा एक लम्हा बालों पे
चांदी सा चढ़ा था,

था तो मुझ जैसा पर,
जाने कौन सा शख्श आइने में खड़ा था। akki aman barnwal Ritika suryavanshi

akki aman barnwal Ritika suryavanshi #poem

3f7dedd9933d0ea0c0d9eab17bf3a1ad

Ziddi_babaji

दिल में इक धक-धकी सी जारी है
आपने   आँख   जबसे   मारी   है.
 
हम  बहुत  दूर  हैं  हक़ीक़त  से
ज़िन्दगी  ख़्वाब  में  गुज़ारी  है.

कर्ज़  जबसे  चढ़ा  है  माथे  पर
हो  चुका  बोझ  सर पे  भारी  है.

गालियाँ   ख़ूब   दीजिए   साहब!
आपकी  गालियाँ  भी  प्यारी  है

देखिए   भूल   जाइयेगा   मत
एक   बोसा  अभी   उधारी   है.

वस्ल   देखे   हुए   हुई   मुद्दत
एक  अरसे  से  हिज्र  तारी  है.

3f7dedd9933d0ea0c0d9eab17bf3a1ad

Ziddi_babaji

ख़ुदा  जाने  ये  कैसी  ज़िंदगी  है हमारे   पास  केवल   तिश्नगी  है.

मुहब्बत जुगनुओं से क्यूँ करूँ मैं मुक़द्दर में  लिखी जब  तीरगी है.

किसे मतलब यहां दिल की लगी से जिधर देखो  उधर बस  दिल्लगी है.

यही..यों ही मुझे कमज़र्फ़ कहना यही   तो  जान   तेरी  सादगी  है.

इसी  आवारगी से  मैं  हूँ  कामिल मेरे  दिल  में  जो  ये  आवारगी  है.

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile