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durgeshwarimahto4429
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दुर्गेश्वरी

किताबें कलम कॉफ़ी और कविताऐं..🥀 [ Instagram Page:- @shabdon.ki.udaan @durgeshwari_radicalfeminist Facebook/Twitter : - durgeshwari_mahto]

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दुर्गेश्वरी

जुही के पीले फूल जब तुम मेरे जुड़े में सजाते हो,
सच कहती हूँ जानां..
उस वक़्त तुम और भी मेरे हो जाते हो!
©️ दुर्गेश्वरी 💕 जूही के पीले फूल 🍃

जूही के पीले फूल 🍃

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दुर्गेश्वरी

नहीं!अनिवार्यता तो नहीं है,
लेकिन तुम यदि हाल-ख़बर
 पूछ लोगे हमारा तो
अच्छा लगेगा यक़ीनन! -
-© Durgeshwari_mahto

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दुर्गेश्वरी

World Poetry Day 21 March आत्मा के क्रन्दन को,
जीवन के स्पन्दन को, 
स्निग्ध स्मृतियों को, 
विषम परिस्थितियों को,
अनुभव और अनुभूतियों को, 
जब आखर-आखर 
संचित सृजित करता है कवि
तब जाकर यथेष्ठ होता है
 एक अमर, कालजयी काव्य-कृति, 
जो अपने अमरत्व से रचनाकार को 
सदा- सर्वदा लिए अमर कर देता है 
अनंत काल तक! 
©-दुर्गेश्वरी💕 #love #lifeisgood #ishqiya#pen
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दुर्गेश्वरी

तुम्हारे जन्मदिन पर 
  WhatsApp, Instagram,
या फिर Facebook पर तुम्हें
जन्मदिन की बधाई नहीं दूँगी... 



बल्कि मैं तुम्हें बधाईयाँ दूँगी
 तुम्हारे माँ के हाथों से बनी
 तुम्हारी मनपसंद खीर से,
तुम्हारे पिता के हाथों दी हुई उस कलम से, 
तुम्हें पास बिठाकर तुमसे ढेरों बातेँ करके, 
तुम्हारे मन को टटोल कर, 
तुम्हारे मन को छूकर, 
मैं तुम्हें ढेरों शुभकामनाएं दूँगी 
© Durgeshwari_mahto Love#lifequotes #zindagigulzarhai#dearzindagi #lifequotes #pankti #shabd
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दुर्गेश्वरी

मैं तुमसे ये नहीं कहूँगी कि...
तुम्हारी घड़ी बड़ी अच्छी है,
तुम्हारी ब्लैकशर्ट अच्छी लग रही है,
तुम्हारी आँखें बहुत प्यारी है,
या फिर तुम्हारे होंठ बहुत सुर्ख़ हैं.. 


बल्कि मैं तुमसे ये कहूँगी कि 
तुम बहुत अच्छे लग रहे हो,
(क्योंकि) तुम अच्छे हो,
और (इसलिए) तुम मुझे अच्छे लगते हो!
♥️
© Durgeshwari_mahto Love #lifequotes #zindagigulzarhai #dearzindagi  #instagram
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दुर्गेश्वरी

वो तरह-तरह के हवसज़दा
हथकंडों का इस्तेमाल करेगा,
तुम्हारा ज़िस्म नोचने को, 
वो पाक मुहब्बत का भी हवाला देगा, 
मग़र मेरी प्यारी सखी, 
तुम अपने आत्मसम्मान पर अड़े रहना,
अड़े रहना अपने स्वाभिमान पर तुम!
© Durgeshwari_mahto



शब्दों की उड़ान 🥀 #love #life #vichar#shabd #lifequotes #zindagigulzarhai #dearzindagi#instagram
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दुर्गेश्वरी

वो हर्फ़-दर-हर्फ़ पिरोता और तराशता है मुझे,
उसके रग-रग में बसती हूँ मैं, 
वो अपनी कलम से सींचता है मुझे! 
उसके लिए  हर तन्तु क़ीमती है मेरा, 
वो अपने स्नेहमय मन के संदूक में
 सहेजता है मुझे! 
वो  गाता है,सुनाता है,पढ़ता है मुझे, 
उसके पहलू में बेलौस, बेख़ौफ़, 
संवरती, बिखरती और निखरती हूँ मैं! 
वो सोचता है, महसूसता है,लिखता है मुझे! 
उसके और मेरे दिल का राबता, 
ईन क़लम रूपी तार से मुस्तकिल हैं! 
ग़र मुझसे वो है, तो उससे हूँ मैं 
वो शायर है जनाब उसकी कविता हूँ मैं! ©-DURGESHWARI_MAHTO 


शब्दों की उड़ान 🥀 #love #life #vichar #shabd#zindagi #lifequotes #zindagigulzarhai #dearzindagi #instagram
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दुर्गेश्वरी

एकदम नयी क़िताब थी,
क़िताब मेरी थी
क़िताब का बाहरी हिस्सा बिल्कुल श्वेता था,
मैंने अभी क़िताब पूरी नहीं पढ़ी थी,
किसी कारण वो क़िताब मुझसे अलग हो गयी,
उसके बिछड़ने पर मैंने उसे बहुत याद किया, 
बहुत...
कई दिनों बाद ये क़िताब मेरे पास वापस लौटी, 
लेकिन..
लेकिन वो क़िताब अब श्वेत नहीं लगता,
अब ये बहुत धुंधला और गंदला सा हो गया है,
सियाही से जहाँ तहाँ निशान लगे हुए हैं, 
कुछ पन्ने मुड़े हुए है, 
और... 
और कुछ फटे हुए,
ऐसा नहीं है कि वो क़िताब किसी ने बिना पूछे ली थी,
क़िताब मैंने ही दी थी, अपनी ईच्छा से,
क़िताब अब मेरे पहलू में है, जब मैंने उसे छुआ,
तो मेरी छुअन को वो क़िताब मानो महसूस रहा है,
और उसका हर तन्तु मुझसे सवाल किए जा रहा है 
कि
क्यों तुमने मुझे अपने आप से दूर कर दिया?
क्यों नहीं तुमने मुझे अपने पास ही रहने दिया?
मुझे उसके हाथों में सौंपने से पहले 
कम-से-कम एक बार
 मुझसे भी तो मेरी मर्ज़ी पूछ लेते,
की अखिर मेरी मर्ज़ी क्या है?
देखो ना,
उसने मेरी ये क्या हालत कर दी है दोस्त?
क़िताब की हालत मेरी ईन आँखों ने देखी,
और वेदना हृदय में हुई!
-Durgeshwari_mahto #feelings #books #love #hindilove
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दुर्गेश्वरी

अच्छा सुनो,
जब मेरी आँखों में काजल की अनुपस्थिति 
होगी, 
क्या मैं तुम्हें तब भी अच्छी लगूंगी..
उम्र के उस पड़ाव पर, 
शायद ये पथराई हुई आँख 
तुम्हें ठीक से नहीं देख पाएगी,
क्या तब भी तुम मुझे आँख भर कर देखोगे, 
क्या तब भी मैं तुम्हें इतनी ही अच्छी लगूंगी.. 
क्या उम्र के उस पटल पर भी 
मेरे माथे पर अपने इन होंठो से स्नेह छिटकाओगे..

-Durgeshwari_mahto

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दुर्गेश्वरी

सुनो,
इन्हें{प्रकृति को} माता अपनी कह कह कर,
हर वक़्त जब शोर मचाने हो!
फिर क्यों तुम अपनी माता का,
हर अंग निचोड़े जाते हो!
पानी हवा और धरा को तुम,
फकत दूषित करते ही जाते हो! 
अपनी इस प्यारी माता का, 
बस प्राण निकाले जाते हो! 
बोलो ना... ज़वाब दो, 
अपनी माता के असहनीय तड़पन से, 
ह्रास, पतन और विघटन से, 
मेरे दोस्त भला क्या पाते हो! 
© Durgeshwari_mahto 

शब्दों की उड़ान 🥀 #love #life #vichar#shabd #lifequotes #zindagigulzarhai ######

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