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sushantsingh4799
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Sushant Singh

राख ही बची है बस आगलगी के बाद अब, और है सितम कि हम आग से भी बच गए।

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Sushant Singh

था कहाँ कुछ अपना खोने के लिए,
जो आँखों में पानी आता रोने के लिए,
आप उनसे मिले हो? अरे उन्हीं से,
वो जो होते हैं ना.. ना होने के लिए।

©Sushant Singh comedy of life

#Joker

comedy of life #Joker #Comedy

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Sushant Singh

अभी फ़र्ज़ की दरिया में हम पतवार थामे हैं,
मिलेंगे कभी आपसे वक़्त के किसी किनारे पर।

©Sushant Singh #Rose
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Sushant Singh

है इनायत वक़्त कि हमको मुबारक़ तुम तुमको मुबारक़ हम,
और मुहब्बत तिलस्मी हमारी आदत तुम तुम्हारी आदत हम,

©Sushant Singh
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Sushant Singh

इतनी नुहूसत अपनी नेकी ना दरिया लेती है,
बह कर कई बार को हम किनारे लग गए।
राख ही बची है बस आगलगी के बाद अब,
और है सितम कि हम आग से भी बच गए।

©Sushant Singh #soulmate
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Sushant Singh

तुम से रौशन हैं दीप मेरे, तुम से जगमग घर बार मेरा,
तुम से ही हर पल ज़िंदा हूँ, तुझ में है ज़िंदा प्यार मेरा.

©Sushant Singh #तुम
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Sushant Singh

किस के खातिर भाग दौड़ किस खातिर जीना मरना,
  किस के लिए पन्ने स्याह हों किस के लिए आहें भरना,
  दिल के उम्मीदों के चराग बड़ी देर बुझा कर आए हम,
  अपने तो अपने हुए नहीं गैरों से क्या शिकवा करना.

©Sushant Singh #MereKhayaal
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Sushant Singh

एक बयार आज फिर, शाख से उतर गई,
ज़िंदगी एक ज़िंदगी के आँख से उतर गई,
हम हरेक एहसास पे सवाल करते रह गए,
और रूह जिस्म से निर्झरी-सी झर गई,

©Sushant Singh #OneSeason
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Sushant Singh

हम तुम  ➖ वो मैं रहा➖ 

ज़रा उलझा सा, परेशान सा,
हर इक बात पर हैरान सा,
अज्ञानी सा, अन्धकार सा,
कभी ब्रह्मांड का सार सा,
कई युगों से चलता रीत है,
कभी पार्श्व का कोई गीत है,
कभी बुरा, अच्छा कभी,
एक छोटा सा बच्चा कभी,
कभी सुलझा समझदार है,
खुद में कई किरदार है,
लोहा कभी, कभी बर्फ है,
कभी बेबुनियाद सा तर्क है,
कहीं पथरीला कहीं रेत सा,
बंजर कभी किसी खेत सा,
फूलों की महकती डाली में,
तेरे होंठों से लगी किसी प्याली में,
मगर मेरे हमनफस....
थोड़े से फासले में जो तय रहा,
वो मैं रहा, वो मैं रहा।
               ✒️सुशांत

©Sushant Singh

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Sushant Singh

दरिया की धारा मत रोको, बहने देते हैं,
दुनिया कुछ भी कहती है, कहने देते हैं,
ऐ चाँद सितारोँ तुमसे मैं ना रौशन हूँगा,
तुम भी थक गए होगे ना, रहने देते हैं.

©Sushant Singh #CalmingNature
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Sushant Singh

** नींद**
                         सुशांत ✒️                      
                          
रातों को नींद नहीं आती,
जाते क्यूँ नहीं बिस्तर पर,
किसी ख्वाब ने नींदें छीनी हैं,
या यादों से बैठे हो छिप कर,
                             सरदर्द जब बढ़ता जाता है,
                             कुछ याद नहीं रख पाते हो,
                             कुछ समझ नहीं आता है जब,
                             खुद को कैसे समझाते हो,
आँखें जब भट्ठी होती है,
वजनी बदन हो जाता है,
चेहरे पे जो घेरे बढ़ते हैं,
आईने मॆं नज़र क्या आता है,
                              सो जाया करो रातों को,
                              यादों से डरा नहीं करते,
                              रातों को जागते रहने से,
                              मेहबूब नहीं लौटा करते.
शिकवा नहीं है ख्वाबों से,
यादों से कोई गिला नहीं,
     कुछ हसरत रेत सी थी मेरी,
        झोंके से उडा फिर मिला नहीं,
                            सो जाएंगे, सो जाएंगे,
                                  नींद आयी है पायताने तक,
                            चैन का सौदा कर बैठे,
                                     अब सोयेंगे चैन आ जाने तक,

©Sushant Singh #paper
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