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pratikrajput6317
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Pratik Rajput

🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳 Pen Loveर. Quote creator with new ideas of Life ✍️लिखना 📓लिखना ✍️लिखना बस यही रह गया है 🕵️मुझमे..... हल 🕚पल एक छोटी सी 💯कोशिस की कुछ 🔠 नया लिख पाउ। I am the person of forward thinking, And have guts to narrates my opinions at any cost if I right. Probably I am not a professional writter and there is no any writing background,But it was in my passion since childhood. Now,I am passionate about my Writtings and the interaction of mine and Pen-Paper can't be detached for a single day. it's look like very strange when I thought that how I become Penoholic. Thankyou for visiting my Profile,Do Check and Rate my Writtings too,that's encourage me for describing myself in much better way. 🙏🙏🙏✍️✍️

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Pratik Rajput

चुप तो सब है, इस जद में
खामोशियां कुछ हवा दे।
जो चंद शब्द सुनने को जी रहे
उनको ख़ामोशी क्या दवा दे।।

©Pratik Rajput #SAD
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Pratik Rajput

रात की तन्हाई  रात पहरों में टूट रही 
अँधेरा बढ़ रहा है ।
कहि दूर छिटकी चांदनी पर
मोहबत्त का, रंग चढ़ रहा है ।।

आज चांद भी है खाली
आशिक़ी से कहि दूर।
फिर भी झलक रही
चेहरे से खिलती नूर।।

इस वक़्त के तकाज़े में
फंस गए बेतरतीब से।
भटक रहे दरबदर
उसके थोड़े करीब से।।

उस करीबी के आलम में
फासलों की बंदिश है।
गुमनाम खामोशियाँ और
ढ़ेर सारी रंजिश है।।

©Pratik Rajput रात पहरों में टूट रही 
अँधेरा बढ़ रहा है ।
कहि दूर छिटकी चांदनी पर
मोहबत्त का रंग चढ़ रहा है ।।

आज चांद भी है खाली
आशिक़ी से कहि दूर।
फिर भी झलक रही

रात पहरों में टूट रही अँधेरा बढ़ रहा है । कहि दूर छिटकी चांदनी पर मोहबत्त का रंग चढ़ रहा है ।। आज चांद भी है खाली आशिक़ी से कहि दूर। फिर भी झलक रही #शायरी

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Pratik Rajput

आंखे  खुली...
और सांसे जमी लग रही है।
कुछ तो है ...इन सर्द हवाओं में
आज थोड़ी नींद की कमी लग रही है।।

©Pratik Rajput आंखे खुली, 
और सांसे जमी लग रही है।
कुछ तो है ...इन सर्द हवाओं में
आज थोड़ी नींद की कमी लग रही है।।
#stairs #latest #रात  #नींद

आंखे खुली, और सांसे जमी लग रही है। कुछ तो है ...इन सर्द हवाओं में आज थोड़ी नींद की कमी लग रही है।। #stairs #latest #रात #नींद #अनुभव

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Pratik Rajput

बैठे है इन्तेजार में उस वक़्त का,
और बंदिशें जुबानी है।
कोई सुने या ना सुनें,
इसमें भी,
 मेरी एक कहानी है।
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Pratik Rajput

"भगवा" से है पहचान मेरी,
"भगवा" से मिलती शक्ति है।
"भगवा" में है दुनिया का सार,
"भगवा" ही मेरी भक्ति है ।। "भगवा"  से है पहचान मेरी,
"भगवा"  से मिलती शक्ति है।
"भगवा"  में है दुनिया का सार,
"भगवा"  ही मेरी भक्ति है ।।
#bhagwa #ram #jaishreeram

"भगवा" से है पहचान मेरी, "भगवा" से मिलती शक्ति है। "भगवा" में है दुनिया का सार, "भगवा" ही मेरी भक्ति है ।। #Bhagwa #Ram #JaiShreeRam #बात

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Pratik Rajput

क्यों ढूंढते वफ़ाये ?
उम्मीदों के किताब से;
जहाँ रिश्ते बनते हों,
जरूरतों के हिसाब से। क्यों आश लगाए हो,
उम्मीदों के किताब से;
जहाँ रिश्ते बनते हों,
जरूरतों के हिसाब से।

#poem #pratikrajput #logoutpratik #ishq #duniya #jarurat #pyar

क्यों आश लगाए हो, उम्मीदों के किताब से; जहाँ रिश्ते बनते हों, जरूरतों के हिसाब से। #poem #pratikrajput #logoutpratik #ishq #duniya #Jarurat #Pyar #विचार

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Pratik Rajput

माना हम रुतबे का नही, दिलो की बात करते है,
अपनी हैसियत से परे,ख़्वाबो से मुलाकात करते है,
ये कॉफी वाफी सब बेजान हो जाएंगी....
आओ कभी नुक्कड़ पे,चाय से शुरुआत करते है। माना हम रुतबे का नही, दिलो की बात करते है,
अपनी हैसियत से परे,ख़्वाबो से मुलाकात करते है,
ये कॉफी वाफी सब बेजान हो जाएंगी....
आओ कभी नुक्कड़ पे,चाय से शुरुआत करते है।

💐💐💐
#chai #swad #pyar

माना हम रुतबे का नही, दिलो की बात करते है, अपनी हैसियत से परे,ख़्वाबो से मुलाकात करते है, ये कॉफी वाफी सब बेजान हो जाएंगी.... आओ कभी नुक्कड़ पे,चाय से शुरुआत करते है। 💐💐💐 #chai #Swad #Pyar

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Pratik Rajput

रात तो गहरी हुई पर
कुछ बात अधूरी रह गयी,
लाखो गिले-शिकवे भी हुए
जज्बात जरूरी रह गयी।

कोशिश में शायद कमी ना रहा,
अश्क़ गिरे, उनमे नमी ना रहा,
हम बताते रहे जमाने को
उनके समझ में मेरी जमी ना रहा।

रुकने वाला समय ना जाने क्यों ?
आज लम्बा सा होने लगा,
नींद तो आँखों से गायब हुई
चैन दिल का खोने लगा।

अंदर से  रोते रहे रात भर
चेहरे पर शिकन ना आया,
नक़ाब में ढ़लना तो सिख लिए
पर नाक़बी चेहरा काम ना आया।

दो चार कदम ही सही
खुलके चलना सिख जाना है,
इस रात की मोहब्बत को
दिलों में दफ़्न कर दिखाना है। रात तो गहरी हुई पर
कुछ बात अधूरी रह गयी।
लाखो गिले-शिकवे भी हुए
जज्बात जरूरी रह गयी

कोशिश में शायद कमी ना रहा,
अश्क़ गिरे, उनमे नमी ना रहा,
हम बताते रहे जमाने को

रात तो गहरी हुई पर कुछ बात अधूरी रह गयी। लाखो गिले-शिकवे भी हुए जज्बात जरूरी रह गयी कोशिश में शायद कमी ना रहा, अश्क़ गिरे, उनमे नमी ना रहा, हम बताते रहे जमाने को

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Pratik Rajput

★करने को शायद, कुछ बात बाकी है★

चौथा पहर,हल्का बिखरता उजाला
लगता है फिर भी,सारी रात बाकी है।
नींद गायब,मन बेचैन, थमती सांसे 
करने को शायद, कुछ बात बाकी है।।

आज दूनिया के रंग, लग रहे बेरंग 
बिखरते अरमानो का, साथ बाकी है।
उम्मीदों से पल पल उलझती जिंदगानी में
करने को शायद, कुछ बात बाकी है।।

कोई माने ना माने, एक घुटन है अजीब सी
इस चुभती घुटन से मुलाकात बाकी है।
समझ लेना फिर भी,अगर कह ना पाउ
करने को शायद, कुछ बात बाकी है।। करने को शायद, कुछ बात बाकी है

चौथा पहर,हल्का बिखरता उजाला
लगता है फिर भी,सारी रात बाकी है।
नींद गायब,मन बेचैन, थमती सांसे 
करने को शायद, कुछ बात बाकी है।।

आज दूनिया के रंग, लग रहे बेरंग

करने को शायद, कुछ बात बाकी है चौथा पहर,हल्का बिखरता उजाला लगता है फिर भी,सारी रात बाकी है। नींद गायब,मन बेचैन, थमती सांसे करने को शायद, कुछ बात बाकी है।। आज दूनिया के रंग, लग रहे बेरंग #Quote #Baat #Raat #Hath #khel #duniya #pratikrajput

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Pratik Rajput

बात उन दिनो की है,
जब मैं विचलित था,
अपने ही मन के,
कुविचारों से कुचलित था।
दुनिया की सारी समझ उस दिन परे था,
न जाने क्यों मेरा दिल अंदर से डरे था।

फिर सोचा की चलो शेयर करते है,
उनसे,जो मेरा सबसे ज्यादा केअर करते है,
पर मैं गलत था,कोई काम ना आया।
उस दिन मदद को मेरी
आगे कोई नाम ना आया।
गुमान से भरा जीवन,एक पल में झुक गया,
जैसे आसमां आकर मेरे, पैरों में रुक गया।

जब पहली बार उस दिन 
दुनियादारी की आहट सी लगी,
सारे रिस्ते,दोस्त,नाते
अकेलेपन की मर्माहट सी लगी,
व्याकुल मन थम कर बैठ गया;
एक अजीब सा रुआसीपन 
सिने पर ऐंठ गया ।

उस दिन समझ को ये समझ हुआ,
जब मैंने दिल को हौले से छुआ, gf
समझाया ऐसी उम्मीद ना कर,
मतलबी है दुनिया, परछाई से डर,
मैं उस दिन डरा,और डरता चला गया
एहसासों को दफ़्न कर, और मरता चला गया।

अब सुलझी सुलझी सी है जिंदगी, 
न शिकवा ना शिकायत है,
उम्मीदों के किरण में भी
एक धुंधली इनायत है,
तो एक बात आज अपने तजुर्बे से कह दूँ
मुसीबतों का साझा,खुद से ही कर लेना,
खुद में ही जीना,और खुद में ही मर लेना ।

6जुलाई 2018 4pm बात उन दिनो की है,
जब मैं विचलित था,
अपने ही मन के,
कुविचारों से कुचलित था।
दुनिया की सारी समझ उस दिन परे था,
न जाने क्यों मेरा दिल अंदर से डरे था।

फिर सोचा की चलो शेयर करते है,

बात उन दिनो की है, जब मैं विचलित था, अपने ही मन के, कुविचारों से कुचलित था। दुनिया की सारी समझ उस दिन परे था, न जाने क्यों मेरा दिल अंदर से डरे था। फिर सोचा की चलो शेयर करते है,

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