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sanjaysaxena1835
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Sanjai Saxena

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Sanjai Saxena

हमने जो तेरी आँखों मे मोहब्बत देखी,
उंसको तेरे लबो पर बरकरार देखा,
मरमरी लबो की थिरकन ने जो कहा,
उंसको मेरी आँखों ने खूब सुना।

written by:-
संजय सक्सेना
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #NationalSimplicityDay
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Sanjai Saxena

दुनिया कहे तो कहे कोई बात नही,
उसने कह दिया तो हंगामा हो गया।
बात जज्बातों की हो तो मौन ही अच्छा,
जाने क्यो दिन में अंधेरा हो गया।

संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #WritingForYou
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Sanjai Saxena

न उनसे जफ़ा की उम्मीद,
न उनसे वफ़ा की उम्मीद,
हमें तो उनकी नज़र भरी,
प्यारी मुस्कान की उम्मीद।

संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena प्रेम कविता

प्रेम कविता

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Sanjai Saxena

तिश्नगी का रस परछाइयों से नही मिलता,
जाम-ए-उल्फ़त का रस, चाहत से नही मिलता।

संजय सक्सेना।

©Sanjai Saxena #TereHaathMein
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Sanjai Saxena

बैचैन रहते है उल्फत के लिये,
जो रहते है हरदम उल्फत में।

संजय सक्सेना
प्रयागराज

©Sanjai Saxena #Tuaurmain
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Sanjai Saxena

रिश्तों में जब शर्ते आ जाती है,
रिश्ते तब व्यापार बन जाते है।
रिश्तों में जब जिम्मेदारी घट जाती है,
रिश्तों में तब तल्खी आ जाती है।

संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #humantouch
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Sanjai Saxena

तुमने क्यो ओढ़ ली चेहरे पर यह शिकन,
कभी उसके लिये जीवन जी लिया होता।

कभी तपिश, कभी ठंडी बयार भी तो थी,
दुश्वारियों में भी कुछ मुस्कुरा लिया होता।


संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #dhoop
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Sanjai Saxena

White खरा सोना नही, तेरे दिल की ख्वाइश का,
दीवानगी भरा, दरख़्त-ए-सुकून भी तो था।
रास्ते-ए-मंज़िल पर छांव बन साथ चला जो,
कभी प्यार से उंसको गले लगा लिया होता।


संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #Romantic
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Sanjai Saxena

चलो रिश्तों को संजो कर रखते है,
एक दूसरे से कुछ मतलब रखते है।

खून है अपना, जो आया है दूर से,
अपनी रोटी उससे दूर ही रखते है।

है  अज़ीज हमको हमारे माता पिता,
चलो उनको बृद्धाश्रम में रखते है।

अजीज़ था अपना,चला गया दूर,
दुश्मनी तो हम आज भी रखते है।

तेरे जाने के बाद याद करूँ तुझको,
यह ख़्वाब तो अब बेमानी लगते हैं।

ऐसा है दुनिया का दस्तूर-ए-इनायत 'संजय'
इंसानियत से हम अक्सर दूर ही रहते है।

संजय सक्सेना
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #Childhood
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Sanjai Saxena

White मंज़िले नफरत में जीते तो जीत कैसी?
नफरत में कुचले चेहरे भी याद आएंगे।

कर लो तमाम ख्वाइशें अपनी पूरी,
दूर रहकर भी हम तुमको याद आएंगे।

तुम्हारी ख्वाइश है दुख देना हमको,
तुम्हारे जमीर को हमारे दर्द याद आएंगे।

खुशी का नूर चमकेगा जब तुम्हारे चेहरे पर,
मज़लूमो के चेहरे भी याद आएंगे।

संजय सक्सेना
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena #nightthoughts
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