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deepakgupta7474
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Deep Kushin

Social work trainee from BRAC (Delhi University)

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Deep Kushin

हरेक घर के हरेक कोने में घुली होती हैं कुछ कहानियां
अक्सर जिसे बड़ी बेरहमी से दबा देते हैं,
हम और हमारे जैसे सैकड़ों लोग हर रोज़।
हर घर अलग है, अलग लोग हैं,
सोच अलग है पर एक-सी है कोनों की कहानियां।
वो कोना साफ़ है, सजा है रंगोली से
पड़ेगी दृष्टि आगंतुक के, बैठक जो है।
वहीं एक कमरे में पड़ा है करकट-कूड़ा कुछ बचकर
कुछ नहीं व्यक्तिगत है ये जो।
कुछ कोने घर के लगे हैं तश्विरों से
बने हैं विचित्र आकृति के आलेखन,
तश्वीरों के सामने रखे हैं फूल, पत्ती, दूब कुछेक
और धुआं उड़ा रही हैं अगरबत्तियां।
एक कोना वो सीढ़ियों के नीचे
हां हां वही सबसे उपेक्षित और अंधेरे वाला,
वहां तो होते हैं कुछ लोहे-लक्कड़,
कुछ वो जो उपयोग में नहीं अब।
वो कोना चौके का बेचारा
घिरा होता है बर्तनों से हर वक्त,
हैं कुछ और भी सामान रखे हुए
जैसे तेल, मसाले, और चूल्हा भी।
वह कोना जरूर भरा होगा तेज़ाब और कूंचे से
सिलियां पैखाने की साफ़ करने को,
और एक कोने में रखा होगा बर्तन टूटा हुआ अवस्यमेव।
स्नानघर के कोने गीले हैं जल से
कभी नहाने से, कभी बस हाथ धोने से,
और उसी के आस-पास कहीं होगा साबुन झाग में सना।
और छत के कोने बहुत अलग होते हैं
कहानियां वहां खुले आसमान में तोड़ती हैं दम अपना,
कुछ कवक, कुछ शैवाल लग जाते हैं
और गंदा कर देते हैं उस भोले-भाले कोने को,
तभी तो बचे-खुचे सामान भी पड़े होते हैं उसी कोने में
वे भी जिनका काम है और वे भी जिनका बिलकुल नहीं।
हर कोने की कहानी कोना सुनाता है ख़ुद हीं,
रोता है ख़ुद हीं, हंसता है ख़ुद हीं,
और गाता-गुनगुनाता भी है चहक-चहककर,
दुर्भाग्य है, कोई सुनता नहीं, समझता नहीं!
उसके आवाज़ को, उसकी भाषा को।

©Deep Kushin #Poetry #philosophy
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Deep Kushin

तिल-तिल करके जब जली उमा
कब शिव तपन से बच सके?
मजबूर बैठे सब वहां
कुछ सोचकर ना कह सके;
रूप नीलकंठ का जल रहा
अब रोष सबपर बह जाएगा,
प्रेम विजय पर था उनका
अब काम कुछ ना कह पाएगा।
वो जल रही, वो तप रही
और धरा विभूषण खो रही,
मदमस्त शिव ने हुंकार ली
तब भद्र ने धरती फाड़ ली।
शिव का यह काज सबल करना
हर शक्ति को दुर्बल करना,
काली को भी अब होश कहां?
सती जली है रोष वहां।
देव, निशाचर, सैनिक सबको
रणचंडी ने फांस लिया,
काट गला फेंका कुंड में
भद्र ने अब जाकर चैन का सांस लिया।
पर रोष थमा ना शिव का अब भी
प्रेम ने मन में उफान लिया
उठाया शूल और चलें धरा पर
फिर सती के शव को थाम लिया।
शिव वैरागी उड़ चले गगन में
सती-सती चिल्लाते हैं,
कहां गई तुम, क्यों गई तुम?
कह-कहकर उन्हें बुलाते हैं।
शक्ति के बिन शिव कहां अमर है?
वापस आ जाओ हे प्रिए,
शिव हूं, शव हो जाऊंगा
तुम बिन ना मेरा आधार प्रिए।
शिव धर्ता जग के, कर्ता जग के
उन बिन प्रलय आ जाएगा,
गुहार भरी देवों ने नारायण से
सोचो कौन कहां पर जाएगा!
विष्णु ने फिर चक्र उठाया
बोला  इक्यावन भाग कर दो,
शिव तप रहे हैं सती के बिन
अब शांत इनकी आग कर दो।
चक्र ने अपना काम किया
सती का इक्यावन भाग किया,
सब शक्तिपीठ बन गए धरा पर
यह शिव के तपन पर काम किया।
पर शिव वैरागी हो चले
ख़ुद को ख़ुद से वो भूल चले,
कैलाश छोड़ सब ओर गए
सती में ख़ुद को घोल गए।
एक प्रेम कथा हुआ ऐसा भी
जिसमें शिव को रोना आया था,
शक्ति मजबूर हो चली थीं जिसमें
और जग ने रोया गया था।

©Deep Kushin #प्रेम #शिव #शक्ति #कविता #नज़्म

#प्रेम शिव शक्ति कविता नज़्म

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Deep Kushin

#Quotes #oneliner 

#WeTheChange
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Deep Kushin

'What the change you can bring'?
The soldier snatched the sword from his sheath and stabbed it in dictator's abdomen.

'The change revealed itself'.

©Deep Kushin #Change #is #Required #Within #Self
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Deep Kushin

इरादे बुलंद कर लो
तुम्हारे साथ ये हवा और ज़मीन जाएगी,
बेशक दूर रहोगे तुम सबसे मगर
तुम्हारी ज़ुबान तुम्हारे अपनों के ही गीत गुनगुनाएगी।

©Deep Kushin #अपने #तो #अपने #होते_हैं
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Deep Kushin

मेरे मन की हर बातों को निकलवाया ना करो
जब जान ही गए हो तो बताया ना करो,
पता नहीं मन के किस कोने में मैं मिल जाऊं तुम्हारे
इसलिए अपने मन को किसी से छिपाया ना करो।

©Deep Kushin #मन #की #बात
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Deep Kushin

किससे, कब, क्या, कितना, और कैसे बोलना है सब तय कर लो,
जरूरी नहीं कि जिससे भी आप बात करो वो आपसे प्यार करता हो।

©Deep Kushin #mind_it 
#decide_it
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Deep Kushin

आज कलम मेरे हाथ में है और किताब मेरे सामने
कहो तो कुछ लिखकर सब कुछ बदल डालूं,
मैं क्या हूं, क्या कर सकता हूं, उनको दिखाकर
इम्तियाज़ को उनके कुचल डालूं।
फिर सोचता हूं कि क्यों
जो अंधे हैं मन के उनसे भिड़ना?
आज कलम मेरी है, किताब मेरा है, अल्फ़ाज़ भी मेरे हैं
तो क्यों ना कुछ लिखकर ऐसे लोगों में अकल डालूं।

©Deep Kushin #power #wordporn #people
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Deep Kushin

कहीं उसकी बालियां टूटी हुई थीं
उसके शरीर पर निशान दिख रहे थे,
कपड़े भी कुछ सिकुडे हुए-से, फटे हुए-से थे
उसके आवाज में एक सिहरन, एक डर-सा था;
उसका हुलिया बता रहा था कि उसके साथ जबरदस्ती हुई है!

©Deep Kushin #Demestic_violence
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Deep Kushin

They will blame you for the cause,
never ever lose your smile in front of them if you are not guilty.

©Deep Kushin #Smile #guilt #blame
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