जब मैं दूल्हा बनकर आऊंगा तो तुम तुम्हारे घर की जैसे खिड़की से मुझे चुपके से देखना....
जब तुम्हारी भाभी मेरी नाक खिंचे तो तुम भी देख हंसना....
और जब मैं तोरण के तलवार लगाऊ तो तुम्हारी पायल की आवाज़ सुन सकूं इतने करीब रहना.....
जब तुम घुघंट में अपनी सहेलियों के साथ वरमाला के लिए आओगी तो सबकी नजरें तुम पर होगी और एक तुम्हारी मुझपर.....
मैं बाकियों की तरह तुम्हें हाथ पकड़ अपने पास खड़ा नहीं करूंगा....
मैं सबके सामने बाहें फैलाकर तुम्हारे ही घर तुम्हारा स्वागत करूंगा....
मैं खुद चलकर आऊंगा तुम्हारे पास और अपने प्यार का इजहार करूंगा..... हां लेकिन मैं घुटनों पर नहीं बैठूंगा..... मेरी शेरवानी खराब हो जाएगी...... तो बस तुम्हारे करीब आकर बिना घूंघट उठाए तुम्हारा सिर चुमुंगा......
और हाथ थाम तुम्हें तुम्हारी सहेलियों से आगे ले आऊंगा.....