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tariqueusmani3603
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Tarique Usmani

लफ्ज़ में दिल का खून समो दो, हुसने गजल हो जाएगा पत्थर को तुम आसू दे दो, ताजमहल हो जाएगा। लखनऊ Phone : 7266068833

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Tarique Usmani

White 
घर क्यों नेमत है?
उन से पूछें जिन्हें ज़िंदगी के तवील सफ़र में
कोई महफूज़ ठिकाना न मिला 

घर क्यों आबाद हैं?
उन से पूछें जिन का किसी को इंतज़ार नहीं 
जिन्हें किसी का इंतज़ार नहीं

घर क्यों ज़रूरत हैं ?
उन से पूछें जिनकी आंख में कोई ख़्वाब नहीं। 
जिन के लब पे कोई सवाल नहीं

घर क्यों जन्नत हैं?
बस वहीं जानें जिन्हें इक छत और
चार दीवारी का सुकूँ कभी मयस्सर न हुआ।

©Tarique Usmani #Free
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Tarique Usmani

White कभी कभी...
ख़ामोशियों में बहुत कुछ एक साथ..बिखर 
जाता है ....
रिश्ते भी, सपने भी और कुछ अपने भी ।

©Tarique Usmani #sad_quotes
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Tarique Usmani

नफ़्स वो कुत्ता है जो इंसान से ग़लत काम करवाने के 
लिए उस वक्त तक भौंकता रहता है जब तक वो 
ग़लत काम करवा न लें। 

और जब इंसान वो ग़लत काम कर लेता है तो ये कुत्ता 
सो जाता है लेकिन सोने से पहले इंसान के ज़मीर को 
जगा देता है।

©Tarique Usmani
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Tarique Usmani

मौत हो जाए 'ताल्लुक़' की तो मिट्टी डालो,
घर में देर तक जनाज़ा नहीं रखा करते ।

©Tarique Usmani
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Tarique Usmani

जब ताक़त बंधी हुई हो तो 
हुनर की कोई कीमत नहीं होती...

©Tarique Usmani
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Tarique Usmani

White जब आप लोगों में कुछ बांटने वाले बन जाते हैं 
तो अल्लाह सबसे ज़्यादा वो चीज़ आपको ही 
देता है। अब आप पर है, चाहे आप ख़ैर बांटें 
या शर, खुशियां बांटें या नफ़रतें, मोहब्बतें 
बांटें या बुग्ज़ (बुराई)।

©Tarique Usmani #GoodMorning
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Tarique Usmani

White मैं हज़ार बार लिखने के बावजूद उस चीज़ को 
नही लिख पाता जो मैं कहना चाहता हूँ।
जिन्हें रास्ता नही पता होता है वो मंज़िल तक भटकते-भटकते पहुँच जाते है। कुछ भटकते हुए 
मर के चले जाते है। 
जबकि मैं तमाम ग़ैरज़रूरी बाते लिखता हूँ उस 
बात को कहने के लिए जो कह नही पा रहा। 
गहरे गड्ढे को खोदने के लिए दूर तक गैरज़रूरी 
मिट्टी हटानी होती है।
लोग कहते है क्या ग़म है तुमको, ये वाक़ई मैं 
नही जानता। किसी ने चलते हुए मेरे साथ ये 
गठरी बांध दी है। मैं फेंक नही सकता।
एक रिटायर्ड पड़ोसी है ऑपरेशन के बाद उनके 
घुटने सही हो गए। मैं कहता हूं अब आप क्यो 
स्टिक लेकर चलते है। वो कहते है पता नही 
लेकिन स्टिक कि ऐसी आदत हो गई है की 
हाथ में न लो तो खाली-खाली सा लगता है। 
जैसे साखू की लकड़ी उनकी ज़िदंगी का एक 
अहम हिस्सा बन गई हो वैसे ही तुम मेरे लिए।

©Tarique Usmani #love_shayari
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Tarique Usmani

White ऐसा अक्सर ही होता है,
बैठे -  बैठे  खो  जाते हैं! 
तन्हाई  में , तुम  होते हो,
भीड़ में तन्हा हो जाते हैं!


ایسا ،  اکثر  ہی ، ہوتا ہے،
بَیٹھےبَیٹھےکُھوجاتےہیں!
تنہائی میں ، تم  ہوتے ہو،
بھیڑ میں تنہاہوجاتےہیں!

©Tarique Usmani #Sad_shayri
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Tarique Usmani

White  भूला दिया है हूनर उस ने ज़िंदा रहने का  
  यही सबब है जो मैं ज़िंदगी से डरता हूं।  

 ये और बात के बेरंग हो गई है हयात  
 ये और बात के मैं खुदकुशी से डरता हूं।

©Tarique Usmani #love_shayari
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Tarique Usmani

White  बदन कजला गया तो दिल की ताबानी से निकलूँगा ,
मैं सूरज बन के इक दिन अपनी पेशानी से निकलूँगा !!

नज़र आ जाऊँगा मैं आँसुओं में जब भी रोओगे ,
मुझे मिट्टी किया तुम ने तो मैं पानी से निकलूँगा !!

तुम आँखों से मुझे जाँ के सफ़र की मत इजाज़त दो ,
अगर उतरा लहू में फिर न आसानी से निकलूँगा !!

मैं ऐसा ख़ूबसूरत रंग हूँ दीवार का अपनी ,
अगर निकला तो घर वालों की नादानी से निकलूँगा !!

ज़मीर-ए-वक़्त में पैवस्त हूँ मैं फाँस की सूरत ,
ज़माना क्या समझता है कि आसानी से निकलूँगा !!

यही इक शय है जो तन्हा कभी होने नहीं देती ,
मर जाऊँगा मैं जिस दिन परेशानी से निकलूँगा !!

©Tarique Usmani #love_shayari
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