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romitashrivastav4989
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Romita Shrivastava

मैं ख़ुद की अभिमान हूँ

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Romita Shrivastava

कभी ख़ुशनुमा ख्याल हूं 
कभी उलझा सा सवाल हूं 
कभी शाम की कड़क चाय हूं 
कभी मोहल्ले की बावल हूं 
गुजरा हुआ साल हूं 
मैं बहकी बहकी सी चाल हूं 
कभी काम से बेहाल हूं 
कभी दुआओं से निहाल हूं 
मैं ज़ज्बा में बेमिसाल हूं 
कला से मलामाल हूं 
मैं ख़ुशनुमा ख्याल हूं 
कभी उलझा सा सवाल हूं।
Romishri

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Romita Shrivastava

अपने पूरे जीवन में मैंने प्रेम में इंतजार लिखी है
मेरे हिस्से में प्रेम इंतजार बन कर ही आया
और सच कहूँ तो इस इंतजार के सिवा और कुछ जिया भी नहीं मैंने
मैं कभी प्रेम में साथ होना महसूस नहीं कर पाई
मैं कभी ये जान ही नहीं पाई कि कैसा लगता होता है
 जब आप टूटा हुआ सा महसूस कर रहे हों 
और कोई आप को अपनी मजबूत बाहों में भर लें 
मुझे सच में नहीं पता कि अपनी खुशियों को 
किसी एक खास के साथ बाँटना क्या होता है
किसी के होंठो का माथे पर स्पर्श क्या होता है
मुझे तो ये भी नहीं पता कि मन में चल रही उधेड़बुन का हल
 बिना कहे ही मिलता भी है या नहीं.. 
मैंने तो बस इंतजार ही किया अपने हिस्से के प्रेम का

Romita Shri

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Romita Shrivastava

सुनो
तुम्हारे आँगन में जो तुलसी का पौधा है ना
मैं रोज सुबह उसे अपने हाथों से सींचना चाहती हूँ
तुम्हारे घर की छत पर जो तार बंधे है  ना
मैं रोज उनपर कपड़े सुखाना चाहती हूँ,
तेरे घर की रसोई है ना
मैं चाहती हूँ उसपर सुबह की पहली चाय की महक हो वो मेरे हाथ की हो
तुम्हारें रूम में वो जो अलमारी है ना
उसमे आधा हिस्सा मेरा हो
तुम्हारे ऑफिस जाने के लिए लंच बनाना चाहती हूं 
तेरे चहरे पर जितनी मुस्कुराहट हो
मैं चाहती हूँ उसकी वजह मैं बनूँ
  मैं जानती हूँ ये कभी पूरा नहीं होगा
पर फिर भी मैं चाहती हूँ मैं ये सपना रोज देखूँ
Romita Shri

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Romita Shrivastava

तुम कभी मुझे किसी किताब में शामिल मत करना
 जिसकी जगह किसी अलमारी में हो
और बड़ी मशक्कत के बाद वो ढूंढी जाए

मुझे बनाना अपनी डायरी का हिस्सा
जिसमें सिर्फ तुम और तुम्हारी लिखी बातों में मैं रहूं, 
जिसमें लिखीं हों हमारे तुम्हारे दरमियाँ अनकही सी बात 
और वो डायरी रखी हो तुम्हारे सिरहाने 
किसी तकिए के नीचे।
Romita Shri

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Romita Shrivastava

अलमारी में कुछ तस्वीरें मिली,
जो यादों के पिटारे में बंद थी 
वो हवा में कुछ इस तरह घुली। 

वो शरारतें, वो मस्तियाँ,
वो बचपन की मासूम सी बेकुफियां
कुछ रिश्ते भी पुराने मिले, 
कुछ दोस्त जिन से बिछड़े ज़माने हुए। 

वो तस्वीरें आज की तस्वीरों से कुछ अलग थी। 
फिल्टर और हैचटैग  के ज़माने में 
उन तस्वीरों में अलग ही चमक थी ।

उस में एक चीज़ थी जो न बदली थी,
वो थी मेरी मुस्कुराहट 
जो किसी बच्चे की तरह आज भी 
उन यादों के पीछे चल दी थी।

Romita Shrivastava #MessageToTheWorld
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Romita Shrivastava

सुनो,
कुछ इस कदर प्यार है हमारा कि हमारे बीच झगड़ा नहीं होता,
कितना भी परेशान करूं तुम्हें  तुम नाराज ही नहीं होते मुझसे,
एक दफ़ा यूं हमारे दरमियां बातों-बातों में पता चला मुझे तुम्हारी कमजोरी,
इसलिए कभी- कभार तुम्हें परेशान कर दिया करती हूं,
पर मुझे क्या पता था कि इस बार नजरों में रख कर, 
मुझे नज़रअंदाज किया जाएगा। 
माना तुम्हारा नाराज़ होना लाजमी था,
पर क्या तुमने कभी सोचा है कि बिना मिले तुम पर इतना यक़ीन की तुम्हारी हर बात को मुस्कुरा कर मान लिया करती हूं,
तुम नाश्ता कर के ऑफिस गये हो या नहीं,
 और अपने कामों के बीच में तुम्हारा लंच करना भूल जाना और तुम्हें याद दिलाना,
ये बेइंतहा तुम्हारे लिए प्यार है मेरा। 
हर पहर घड़ी पर नजर टिकाये रहना कि,
कब रात होगा और तुम ऑफिस से आओगे और हमारी बातें होगी। 
यूं तुम्हारा इंतजार करना मुझे तुम्हारे पास होने का एहसास दिलाता है 
सुनो,
ख़ुद से ज्यादा तुमपे यक़ीन है, बशर्ते तुम नज़रअंदाज मत किया करो।

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Romita Shrivastava

अपनी चंचलता से अपनी गंभीरता तक बदल रहीं हुं मैं।
अपनी दुविधाओं से अपनी उपलब्धियों तक बदल रहीं हुं मैं।
अपने बेबाकपन से अपनी ख़ामोशियों तक बदल रहीं हुं मैं।
अपने विचारों से अपनी सोच तक बदल रहीं हुं मैं।
अपने अधिकारों से अपने जिम्मेदारियों तक बदल रहीं हुं मैं।

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Romita Shrivastava

#RajasthanDiwas उसके पसंद के झूमके पहन बाल खुला कर लेती हूं...

उसे पसंद है मेरा लाल कुर्ती पहन 
काली बिंदी लगाना
कुछ इस कदर उसके पसंदो को अपना कर 
ख़ुद को संवार लिया करती हूं।
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Romita Shrivastava

आसान नहीं होता प्रतिभाशाली स्त्री से प्रेम करना,
क्योंकि उसे पसंद नहीं होती जी हुजूरी,
झुकती नहीं वो कभी 
जबतक न हो  
रिश्तों में प्रेम की भावना।
 तुम्हारी हर हाँ में हाँ और न में न कहना वो नहीं जानती,
क्योंकि उसने सीखा ही नहीं झूठ की डोर में रिश्तों को बाँधना।
वो नहीं जानती स्वांग की चाशनी में डुबोकर अपनी बात मनवाना,
वो तो जानती है बेबाक़ी से सच बोल जाना।
 फ़िज़ूल की बहस में पड़ना उसकी आदतों में शुमार नहीं,
 लेकिन वो जानती है तर्क के साथ अपनी बात रखना।
वो क्षण-क्षण गहने- कपड़ों की माँग नहीं किया करती, 
वो तो सँवारती है स्वयं को अपने आत्मविश्वास से, 
निखारती है अपना व्यक्तित्व मासूमियत भरी मुस्कान से।
तुम्हारी गलतियों पर तुम्हें टोकती है,
तो तकलीफ़ में तुम्हें सँभालती भी है।
उसे घर सँभालना बख़ूबी आता है,
तो अपने सपनों को पूरा करना भी।
 अगर नहीं आता तो किसी की अनर्गल बातों को मान लेना।
 पौरुष के आगे वो नतमस्तक नहीं होती,
झुकती है तो तुम्हारे निःस्वार्थ प्रेम के आगे।
और इस प्रेम की ख़ातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है।
हौसला हो निभाने का तभी ऐसी स्त्री से प्रेम करना, 
क्योंकि टूट जाती है वो धोखे से, छलावे से, पुरुष अहंकार से,
फिर जुड़ नहीं पाती।
Romita Shrivastava

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Romita Shrivastava

यादों की किताब उठाकर देखी थी मैंने,,
पिछली दिवाली इन दिनों तुम मेरे थे।

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