Nojoto: Largest Storytelling Platform
nojotouser9451785186
  • 99Stories
  • 272Followers
  • 700Love
    0Views

परिलोक

एक गुस्सा ही तो है जो इन्सान को अपने होना का यकीन दिलाता है वरना दुनिया आपका Existence आपके जीते जी दफना देती है

  • Popular
  • Latest
  • Video
5b7e1842af0f7ff6b337e88b8a866a51

परिलोक

कुछ उड़ानों से गिर कर हाँथ पाँव मल रहा हूँ,
मैं खुद अपने सुहाने ख्वाबों में पल रहा हूँ...

इस दोपहर की शाम शायद कभी होती होगी,
दोपहर सी जिंदगी में नंगे पाँव चल रहा हूँ...

- परिलोक
5b7e1842af0f7ff6b337e88b8a866a51

परिलोक

ख़फ़ा और तुमसे रहूँगा नहीं अब
शिकायत भी कोई करूँगा नहीं अब

खुले जख्म या फिर छिले जिस्म मेरा 
किसी शर्त पे भी रूकूँगा नहीं अब 

अकेला शजर हूँ भले दश्त में मैं 
गिरूँ या कटूँ पर झुकूँगा नहीं अब

भले जोर कितना हवाएं लगा ले
सहर होने तक तो बुझूँगा नहीं अब 

घडी दो घडी बस रूको पास मेरे 
सुनो इससे ज्यादा कहूँगा नहीं अब 

नहीं आरजू अब शब-ए-वस्ल की भी
सितम हिज्र के भी सहूँगा नहीं अब 

जगह मिल गई परी दिल में अगर तो
जियूँ ना जियूँ पर मरूँगा नहीं अब

- परिलोक
5b7e1842af0f7ff6b337e88b8a866a51

परिलोक

तुमसे इक दिन कहीं मिलेंगे हम
खर्च खुद को तभी करेंगे हम

धुप निकली है तेरी बातों की
आज छत पर पडे रहेंगे हम

किस ने ये रस्ते में उम्मीद रखी
इस से टकरा के गिर पडेंगे हम

आसमानों में घर नहीं होते
मर गए तो कहाँ रहेंगे हम

रोक लेंगे हमे तेरे आँसू 
ऐसे पानी पे क्या चलेंगे हम

- परिलोक
5b7e1842af0f7ff6b337e88b8a866a51

परिलोक

मैं कितने चेहरे पढा करूँ 
माँ तुझसा कोई मिलता ही नहीं.. 

हर लम्हें में इक हिसाब नज़र आता है, 
तेरा चेहरा ही इस जिंदगी की 
किताब नज़र आता है..!!

- परिलोक #mothers_day
5b7e1842af0f7ff6b337e88b8a866a51

परिलोक

दर्द चरागों से मिला
 किताबों से नहीं...

बदन चाँद से जला 
आफताबों से नहीं..!!
5b7e1842af0f7ff6b337e88b8a866a51

परिलोक

Dil Shayari  मज़ाक़ सहना नहीं है हँसी नहीं करनी 
उदास रहने में कोई कमी नहीं करनी 

ये ज़िंदगी जो पुकारे तो शक सा होता है 
कहीं अभी तो मुझे ख़ुद-कुशी नहीं करनी 

गुनाह-ए-इश्क़ रिहा होते ही करेंगे फिर 
गवाह बनना नहीं मुख़बिरी नहीं करनी 

बड़े ही ग़ुस्से में ये कह के उस ने वस्ल किया 
मुझे तो तुम से कोई बात ही नहीं करनी 

- परिलोक
5b7e1842af0f7ff6b337e88b8a866a51

परिलोक

कधीतरी वाटतं पुरुन घ्यावे स्वतःला मातीमधे 
एखाद्या बीजाप्रमाणे,
आणि पुन्हा उगवावे निरागस रोपट्यासारखे !!
खरंच किती महाग करून ठेवलय...
आयुष्य, आपण उगाचच...!!
कितीतरी गाॅगल्स बदलून पाहिले 
पण रंगीत स्वप्न पडली नाहीत,
चांदणे फुकट मिळतं पण त्याची किंमत नाही,
आपलीच निर्थकता दाबत असते 
आपल्याच क्रयशक्तीला...!!!
आणि आपल्याला वाटत आपण
पुढे चाललोय परंतू, 
प्रत्येक क्षण आपल्याला ढकलत असतो
आपल्याच अपेक्षांच्या खोल काळोखात.. 
ज्याला अंत नसतोच कधी संपण्यासाठी
आपण संपलो तरी
आपण संपलो तरी.....

©️परिलोक ✍🏻 #footsteps
5b7e1842af0f7ff6b337e88b8a866a51

परिलोक

नुक्स बहोत है माना मुझमें, 
पागल कोई दिवाना मुझमें 
आग लगी हो गली मोहल्ले,
मौसम हो शायराना मुझमें 

बाहर से हूँ मैं भीड़ का हिस्सा, 
अंदर एक जमाना मुझमें 
कलम उठाकर ढूँढ रहा हूँ, 
शक्स वो कहाँ पुराना मुझमें 

अक्स मेरा आईने के अंदर, 
बाहर कोई बेगाना मुझमें 
दरवाजे पर फूल है टाँगे, 
काटों का तहखाना मुझमें 

उमर गवाई सफर में परि, 
था जब मेरा ठिकाना मुझमें 

- परिलोक
5b7e1842af0f7ff6b337e88b8a866a51

परिलोक

माझं मन...

जणू दवबिंदू...थंडीत कुडकुडणार्...उन्हात वाळणार
पायवाटेने चालणार्याच्या पायावर बसून दूरदूर जाणारं..
माझं मन...

जस् कोवळ्या उन्हात फुलं उमलणार...अन्
सायंकाळी पानांच्या कुशीत अलगद विसावणार..
माझं मन...

कधी वास्तवात तर कधी स्वप्नांत वावरणार 
जणू फुलपाखरूचं...स्वच्छंदी..बेधुंद..अस् 
माझं मन...

सर्वांमध्ये मिसळणारं...सर्वांना समावून घेणार..
कुणालाही आपलंस करणार..एकांतात हुंदके भरणार
माझं मन...

असंच वेड,
कुणालाही आपलंस वाटणार..
पण तिला मात्र न कळणार...
असंच...माझं मन...

- परिलोक #मन
5b7e1842af0f7ff6b337e88b8a866a51

परिलोक

तुम्हें हुस्न पर दर सरस्त है 
मोहब्बत वोहब्बत बडा जानते हो 
तो फिर ये बताओ की तुम उसकी 
आँखों के बारे में क्या जानते हो 
ये इंजीनियरिंग प्लानिंग फलसफा वगैरा 
ये सब जानना भी अहम है 
पर जरा ये बताओ क्या तुम 
उसके घर का पता जानते हो...?

- परिलोक

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile