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pushpendranaruka2349
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pushpendra naruka

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pushpendra naruka

ये तूफ़ान,ये बारिशें कहां मेरा रास्ता रोक पाती है, 
इक तेरी ख़ामोशी मेरे गाल गीले कर जाती है।

 ज़ख्मों को बड़े करीने से सजाता हूं ज़ेहन में, 
मगर तेरी याद सब कुछ बेतरतीब कर जाती है।
                                   @ पीयू'प्रीत'

©pushpendra naruka #यादें
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pushpendra naruka

White मेरे अज़ीज़ों की मुझ पर रहनुमाई है ,
मेरी कश्ती पतवारों ने ही डूबाई है ।

 हर मौसम ने आज़माया है मुझे,
 मेरी हर शाख सावन ने जलाई है ।

क्यूं शिकवा करें तेरी बेवफ़ाई का 'प्रीत'
 ताउम्र दर्द ने  वफ़ा निभाई है।
                          @पीयू'प्रीत'

©pushpendra naruka #तनहाई
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pushpendra naruka

मेरे अज़ीज़ों की मुझ पर रहनुमाई है,
 मेरी कश्ती पतवारों ने ही डुबाई है ।

हर मौसम ने आज़माया है मुझे,
 मेरी हर शाख सावन ने जलाई है ।

 क्यूं शिकवा करें तेरी बेवफ़ाई का 'प्रीत'
 ताउम्र दर्द ने वफ़ा निभाई है ।
 ‌ ‌  ‌          ‌  ‌       ‌             ‌ ‌ ‌@पीयू'प्रीत'

©pushpendra naruka #yaddein  'दर्द भरी शायरी'

#yaddein 'दर्द भरी शायरी'

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pushpendra naruka

Red sands and spectacular sandstone rock formations यूं ना आया कर मेरे जे़हन-ओ-जहान में,
तेरी यादों से मेरे अल्फ़ाज़ भीग जाते हैं।

ना करना सुकूं का सौदा किसी और से,
मुहब्बत में सारे जज़्बात भीग जाते हैं।

मुफ़लिसों को नवाज़ा है आशियाने से हुकूमत ने,
देखकर बारिशें मेरे हालात भीग जाते हैं।
                                       
                                            पीयू'प्रीत'

©pushpendra naruka
  # yaade
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pushpendra naruka

दिल से तेरी यादों के भंवर क्यूं नहीं जाते। नासूर बने हैं ज़ख़्म, भर क्यूं नहीं जाते ।।

अब तो गुज़र चुके हैं मौसम कई 'प्रीत'।
 बंजर पड़े हैं खेत,संवर क्यूं नहीं जाते।।
         ‌   ‍                        
                             पीयू 'प्रीत'

©pushpendra naruka #intezaar
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pushpendra naruka

दिल से तेरी यादों के भंवर नहीं जाते।
 नासूर बन हैं ज़ख्म भर क्यूं नहीं जाते ।।

अब तो गुजर चुके हैं कई मौसम 'प्रीत'।
बंजर पड़े हैं खेत,संवर क्यूं नहीं जाते।।
                                  ‌पीयू 'प्रीत'

©pushpendra naruka
  #intezaar
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pushpendra naruka

वादा करके अब  वो  मुकरने लगी है,
 मुहब्बत भी सियासत करने लगी है। 

फिज़ाओं में फैली है,अजीब -सी दहशत
 शरीफों की ज़मात अब डरने लगी हैं।

 कुदरत ने भी क्या खूब बदला रंग अपना, 
बेसबब,बेमौसम बरसात बरसने लगी है।
                                        पीयू'प्रीत'

©pushpendra naruka
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pushpendra naruka

ज़ख्म 
दर्द -ए-ज़ख़्म को ज़ख़्म से दबा लेता हूं ,
एक भरता नहीं और, दूसरा खा लेता हूं।

क्या शिकायत करूं अपने लबों से उसकी बेवफ़ाई की,
ऑनलाइन देखकर उसे, अपना दिल जला लेता हूं।

जब कभी गुमां होता है शख़्शियत पर 'प्रीत'
खा़क-ए-शमशान को, जे़हन में रमा लेता हूं।
                            पीयू 'प्रीत'

©pushpendra naruka  दर्द-ए-दिल #

दर्द-ए-दिल # #शायरी

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pushpendra naruka

अब तो इस कदर वो मुझसे कतराने लगी ,
बीनाई भी राह छोड़कर जाने लगी ।

दौलत तू क्या रुसवा हुई मेरे पहलू से ,
जमाने को मुझ में खामियां ही खामियां नजर आने लगी। 

मोहब्बत में, मोहब्बत से ज़रा आजिज़ी क्या की,
मोहब्बत हम पर ही एहसान जताने लगी।

दो चार कदम शराफ़त के रास्ते पर क्या रखे मैंने ,
मेरी परछाई भी मुझे आंख दिखाने लगी।
                                           
                              पीयू 'प्रीत'

©pushpendra naruka
  #सफ़र_ए_ज़िन्दगी
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pushpendra naruka

थामकर गै़र का दामन वो हर नज़र पाक़ हो गई।
 मैं जला कुछ इस कदर रूह तलक ख़ाक हो गई।

 चंद बूंदों ने क्या छुआ ज़मीं को 'प्रीत' ,
 मेंढकों की आवाज़ें भी बेबाक़ हो गई।
           पीयू 'प्रीत'

©pushpendra naruka #dawnn
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