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Anand singh बबुआन

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Anand singh बबुआन

White पापा की थी आँख का तारा,माँ की थी मैं परछाई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।

वो अंगना बाबुल का घर,वो माँ का आँचल छूट गया।
मेरा जो भगवान था अब तक,लागे जैसे रुठ गया।।2
डूब रही थी मैं अंदर से,थी दर्द की ऐसी गहराई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।

मोल लगा कर रिश्ता जोड़े,सब कहते संसार उसे।
मोह से जो जोड़ा जाता है,कैसे कहे परिवार उसे।2
कोई पलट के हाल जा बुझे,और कैसा वो घर पाई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।

इस घर भी मैं पराई थी,अब उस घर भी मैं पराई हूं।
सब हंस के ताने कसते है,मैं और कंही से आई हूं।2
अपना जीवन बाबुल घर था,जितना वंहा बताई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।

©Anand singh बबुआन #sad_shayari
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Anand singh बबुआन

White करी तीज के बरतिया,जिये जुग जुग संघतिया।
माई पार्वती संघे जइसे राउर दिनवा रतिया।2
जुडल इनका से नाता बा सौभाग्य ये भोला।
रहे हरदम बनल मोर सुहाग ये भोला।2

उनके से सजल कुल सिंगार बा हमार।
चूड़ियां कलाई मेंहदी प्यार बा हमार।2
जइसे सुर के साथे सोहेला राग ये भोला।
रहे हरदम बनल मोर सुहाग ये भोला।2

उनके ही पउवा में त,बाटे चारो धाम जी।
बन के हम सीता रही,उ हमार राम जी।2
भाग उनके से गइल मोर जाग ये भोला।
रहे हरदम बनल मोर सुहाग ये भोला।2

हीरा लेखा पिया मोर,हम उनकर सोना।
लागे नाही उनका पे कवनो जादू टोना।2
दिहले जइसे सेंहूरा,देवे आग ये भोला।
रहे हरदम बनल मोर सुहाग ये भोला।

©Anand singh बबुआन #Shiva
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Anand singh बबुआन

तेरी तरफ ना जाने क्यूँ,बढ़ने लगा है दिल।3
नज़रे किताब आप की,पढ़ने लगा है दिल।2

पहले ना हाले दिल कभी,ऐसा हुआ मेरा।
हाल दीदार से तुम्हारे अब,जैसा हुआ मेरा।2
तकरीर तेरी चाहत में,गढ़ने लगा है दिल।।2
नज़रे किताब आप की,पढ़ने लगा है दिल।2

ज़ुल्फ़ें घटा को अपने यूं,बांधा ना किजिए।
मर जायेंगे सितम हमपे,ज्यादा ना किजिए।2
बस ज़िक्र पे ही तेरे तो,अड़ने लगा है दिल।2
नज़रे किताब आप की,पढ़ने लगा है दिल।2

मुझको बता दो कैसे बयां,लिख के मैं करू।
हासिल तुम्हे कीमत मेरी,तो बिक के मैं करू।2
ऊंचे पहाड़ ख्वाबो के,चढ़ने लगा है दिल।।2
नज़रे किताब आप की,पढ़ने लगा है दिल।2

©Anand singh बबुआन #chaandsifarish
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Anand singh बबुआन

White गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है।
एक दोस्त परदेश को जाए,जब दूजा घर आता है।

वो पीपल का पेड़ वन्ही है,उसकी छांव में कोई नही है।
ऐसा लगता गांव में आके,जैसे गांव में कोई नही है।
पुरवा की पुरवइया भी,मन को नही लुभाता है।
गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है।।

इट के पक्के घर सजे है,कूलर या फिर ए.सी से।
इतना विदेशी पन भरा है,दूर हुए पन देशी से।
वही गांव के डीह बाबा,वोही मंदिर और विधाता है।
गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है।

हवा ही दुसित नही हुई है,अब हीन भावना फैली है।
बस मतलब ही है भरा हुआ,दजनीति की शैली है।
द्वेष भावना इतनी भरी है,मन कुंठित हो जाता है।
गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है।

©Anand singh बबुआन #Road
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Anand singh बबुआन

जब मंजर हो गया हासिल,मुझे मेरी तबाही का।
सफाई क्या ही देना फिर,अपनी बेगुनाही का।

सितम जब है भरे दमन में,मेरे फूल की तरह।
फिर क्या ही करेंगे आरज़ू ,हम दर्दे दवाई का।

अपनो से ही जब सुननी पड़े गैरत भरी बाते।
खुदा से क्या करे सजदा,फिर हम दुहाई का।

सज़ा भी है मुकर्रर अब,जब मेरी कहानी में।
जुबां से नाम क्या लेना,फिर उस हरजाई का।

फटे जाते है अब भी कान के पर्दे मेरे साहब।
सुना रख्खा है जब से शोर,मैंने शहनाई का।

©Anand singh बबुआन #achievement
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Anand singh बबुआन

होकर हमें तुम हासिल,हासिल नही हुए।
कश्ती का मेरे तुम तो,साहिल नही हुए।2
बेसक जेहन में अपने,लाखो सवाल रखना।2
बस इतनी बात मानो,अपना ख्याल रखना।2

तुम खुद को हुर कहना,या कोहिनूर कहना।
हो जाओ तुम दफ़ा अब,हमसे हुजूर कहना।2
काबिल ना थे तुम्हारे,दिल मे मलाल रखना।
बस इतनी बात मानो,अपना ख्याल रखना।2

हम खुद भी मानते है,हमी बेवफा हुए है।
सब मेरी गलतियां थी,जिसपे खफा हुए है।2
अब छुप के भी किसी से,ना मेरा हाल रखना।
बस इतनी बात मानो,अपना ख्याल रखना।।2

©Anand singh बबुआन #Affection
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Anand singh बबुआन

अब साबित मेरी,उस दिन बेगुनाही होगी।
जब दीवार की,तस्वीरों से गवाही होगी।2

मैं गुनेहगार हूं तो,दो बेसक सज़ा मुझको।
दलीलों में तो बस बातों की उगाही होगी।

मेरे अपनो की निगाहों ने है किया चोटिल।
मेरे इस दर्द की ज़हर ही अब दवाई होगी।

याद रखना हमे ये बेअदब बताने वालों।
रस्मे उलफ़त तो हमने भी निभाई होगी।

मेरा मंजर मेरा घरोंदा तबाह करने वालो।
तरीके एहतराम करना जब तबाही होगी।

©Anand singh बबुआन #achievement
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Anand singh बबुआन

धड़कनों की जिद से,जल रही है सांसे।
यूँ मेरा ही बोझ लेकर,चल रही है सांसे।

वैसे तो हर दफ़ा ही,उन्मांद की कमी थी।
फिर किस लिए अब मचल रही है सांसे।
यूँ मेरा ही बोझ लेकर,चल रही है सांसे।

मुमकिन मुकाम हासिल,ना हमसे हो सका।
फिर भी तो संग हमारे,टहल रही है सांसे।
यूँ मेरा ही बोझ लेकर,चल रही है सांसे।

इस उम्र के पड़ाव पे,जब देखता हूं खुद को।
आहिस्ता रुख अपना,बदल रही है सांसे।
यूँ मेरा ही बोझ लेकर,चल रही है सांसे।

सौदा था उम्र भर का,वो उसको निभा रहा।
हो कोई बर्फ जैसे,बन पिघल रही है सांसे।
यूँ मेरा ही बोझ लेकर,चल रही है सांसे।

©Anand singh बबुआन #fog
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Anand singh बबुआन

नही जिना तुम्हारे बिन,ये बाते सुन चुकी हूं मैं।
रही बाते वफ़ा की तो,उसे भी चुन चुकी हूं मैं।2
तुम्ही हो खुदा मेरे,तो कुछ ऐसा कर जाओ।
मेरे मरने पे क्या रोना,मेरे रोने पे मर जाओ।2

उमर भर की दिलासा से,ना मन को सवारों तुम।
हकीकत के बस दो पल,मेरे संग में गुजरो तुम।
संवारो चाहत से मुझको,खुद भी संवर जाओ।
मेरे मरने पे क्या रोना,मेरे रोने पे मर जाओ।2

मैं प्यासी हु मोहब्बत की,कुछ बूंदे तो बरसा वो।
तड़प के मर ही जांऊ मैं,मुझे ना इतना तड़पा वो।
मुझे खुद में समेटो या,कह दो बिखर जाओ।
मेरे मरने पे क्या रोना,मेरे रोने पे मर जाओ।2

ये मेरी सांसे तेरी चाहत,तेरी चाहत मेरा जीना।
चली जाऊंगी दुनिया से,ज़हर पड़ जायेगा पीना।
मुझी को ढूंढोगे हरदम,फिर चाहे जिधर जाओ।
मेरे मरने पे क्या रोना,मेरे रोने पे मर जाओ।2

©Anand singh बबुआन #ballet
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Anand singh बबुआन

बुला कर देखेंगे तुमको,हम अपने भी ख्वाबो में।
तुम्ही को लिख रहे है हम,सवालों के जबाबो में।
करेंगे ऐसी हम चाहत,कोई भी जान ना पाए।
पढ़ेंगे रोज़ अब तुमको,मोहब्बत की किताबो में।

लगे है झील के जैसी,तुम्हारी सुरमई आंखे।
खटकती है मुझे हरदम,कोई चुपके से है झांके।
नशा जितना नज़र में है,कंहा होता शराबों में।
पढ़ेंगे रोज़ अब तुमको,सनम हम तो किताबो में।

जो खुसबू ढूंढने में,तितलीयां भी बहकती है।
महक तेरे बदन की तो,फिज़ाओ में मेहकती है।
नज़र आता है ये चेहरा,हमे फिर तो गुलाबो में।
पढ़ेंगे रोज़ अब तुमको,सनम हम तो किताबो में।

©Anand singh बबुआन #GoldenHour
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