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Anand singh बबुआन

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Anand singh बबुआन

White          ।सनम हो हमारे। 
तुमहें चाहता हूं चाहा करूगा। 
जुदा तुझसे में ना कभी हो सकूंगा। 
करो लाख कोशिस रहो दुर हमसे। 
सनम हो हमारे सनम ही कहूंगा।।

मुरादों से हासिल हुए तुम हमे हो। 
कर कर के मिन्नत मनाता रहूगा। 
सिद्वत से कितनो रुलाओ हमे तुम। 
मैं हर बार तुमको हँसता रहुँगा। 
करो लाख कोशिस रहो दुर हमसे। 
सनम हो हमारे सनम ही कहूंगा।।

तुम्हे नफरत हमसे करो जख्म जितना। 
में फिर भी सुनों गुनगुनाता रहूँगा। 
छुपा आंसुओ को इन ऑँखों मे अपने। 
मैं आनन्द हु सदा मुस्कुराता रहूँगा। 
करो लाख कोशिस रहो दुर हमसे। 
सनम हो हमारे सनम ही कहूंगा।।

©Anand singh बबुआन #good_night
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Anand singh बबुआन

White एक पल का भी दूरी दूरी लगने लगा।
तू जरूरी हा जरूरी सा लगने लगा।।

अब देखता हूं तझे सोचता हूं तुझे।
तुम ही तो कहो क्या हुआ है मुझे।।
ख़्वाब भी अब सिंदूरी सा लगने लगा।
तू जरूरी हा जरूरी सा लगने लगा।।

कब हा कैसे तू सामिल मुझमे हुआ।
तेरे बिन अब मैं तन्हा खुद में हुआ।
जिना बिन तेरे मजबूरी सा लगने लगा।
तू जरूरी हा जरूरी सा लगने लगा।।

बन के कोई करार तू समा सा गया।
जिंदगी में मेरे तू जब आ सा गया।।
दिल करने जीहजूरी सा लगने लगा।
तू जरूरी हा जरूरी सा लगने लगा।।

©Anand singh बबुआन #sad_quotes
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Anand singh बबुआन

White जो रहे बेचैन दिल तेरा,मैं करार हो जाऊं।
सजे जो चेहरे पे तेरे,मैं वो सिंगार हो जांऊ।
मिलना है नही किस्मत,नही कोई शिकायत है।
तू मेरा यार हो जाये,मैं तेरा यार हो जाऊं।
सजे जो चेहरे पे तेरे,मैं वो सिंगार हो जांऊ।

कोई पूछे पता तेरा,तो दिल को घर बता दु मैं।
दुनिया की सभी खुशियां,बस तुझपे लुटा दु मैं।
जो पूछे हाले दिल कोई,उन्हें इतना बताना है।
रखे खामोश खुद को तू,मैं इनकार हो जाऊं।
तू मेरा यार हो जाये,मैं तेरा यार हो जाऊं।
सजे जो चेहरे पे तेरे,मैं वो सिंगार हो जांऊ।

सितम दुनिया के मैने भी,दामन में लिखाए है।
वफ़ा जब भी किया हमने,दर्द चुन के पाए है।
अब तूम अपने कदमो को रखो मेरी हथेली पे।
तेरे पायल के छन छन की मैं झंकार हो जाऊं।
तू मेरा यार हो जाये,मैं तेरा यार हो जाऊं।
सजे जो चेहरे पे तेरे,मैं वो सिंगार हो जांऊ।

©Anand singh बबुआन #GoodMorning
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Anand singh बबुआन

झूम के मन मेरा,भीग रहा है,रिमझिम सावन में।
तुम तुलसी जैसे सजने लगी हो,दिल के आंगन में।

मन हो पपीहा गीत सुनाए,कोई मधुर घुन जैसी।
पांव के पायल जैसे बजते,कानो में रुनझुन जैसी।
कोयल जैसे बोल रही हो,आम के मेरे बागन में।
तुम तुलसी जैसे सजने लगी हो,दिल के आंगन में।

बन के बाँसुरिया मोहन की,छेड रही हो तान कोई।
मंगा रहा हो तड़प के जैसे,रब से अपनी जान कोई।
दिल ये हमारा बिन तेरे अब,लगता अभागन में।
तुम तुलसी जैसे सजने लगी हो,दिल के आंगन में।

डोर ये कैसी बांध दिया रब,तुहि लगे है मेरा तो सब।
कोई किसी का होता होगा,मेरा तो रब भी तू है अब।
दिल झोली ले हाथ पसारे,खड़ा हुआ है ये मांगन में।
तुम तुलसी जैसे सजने लगी हो,दिल के आंगन में।

©Anand singh बबुआन
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Anand singh बबुआन

White कभी वो चाँद लगता है,कभी वो तारा लगता है।
मुझे अब मेरा ये दिल भी,बड़ा आवारा लगता है।
चले तो बहता है झरना,पहाड़ो की पारी सी है।
उसी की धुन में पागल दिल,हुआ बंजारा लगता है।
कभी वो चाँद लगता है,कभी वो तारा लगता है।

हंसी अधरों पे है मोती,लगे जलती हुई ज्योति।
लहर बन के समन्दर का,मन को है भिगो देती।
उसी के होने से ही तो,जंहा ये प्यारा लगता है।
कभी वो चाँद लगता है,कभी वो तारा लगता है।

नज़र है आईना उसका,मुझे दर्पन सी लगती है।
बिना सिंगार के भी वो,मुझे दुल्हन सी लगती है।
जंहा क्या देखना है अब,जंहा वो सारा लगता है।
कभी वो चाँद लगता है,कभी वो तारा लगता है।

मुझे मिलता सुकु उससे,जब उनसे बात होती है।
उसी से दिन सुरु होता,और उसी से रात होती है।
उसी से है फ़िज़ा महकी,हंसी नजारा लगता है।
कभी वो चाँद लगता है,कभी वो तारा लगता है।

©Anand singh बबुआन #International_Day_Of_Peace
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Anand singh बबुआन

White पापा की थी आँख का तारा,माँ की थी मैं परछाई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।

वो अंगना बाबुल का घर,वो माँ का आँचल छूट गया।
मेरा जो भगवान था अब तक,लागे जैसे रुठ गया।।2
डूब रही थी मैं अंदर से,थी दर्द की ऐसी गहराई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।

मोल लगा कर रिश्ता जोड़े,सब कहते संसार उसे।
मोह से जो जोड़ा जाता है,कैसे कहे परिवार उसे।2
कोई पलट के हाल जा बुझे,और कैसा वो घर पाई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।

इस घर भी मैं पराई थी,अब उस घर भी मैं पराई हूं।
सब हंस के ताने कसते है,मैं और कंही से आई हूं।2
अपना जीवन बाबुल घर था,जितना वंहा बताई।
सबसे जुदा मुझे करके गयी,घर पे बजती सहनाई।

©Anand singh बबुआन #sad_shayari
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Anand singh बबुआन

White करी तीज के बरतिया,जिये जुग जुग संघतिया।
माई पार्वती संघे जइसे राउर दिनवा रतिया।2
जुडल इनका से नाता बा सौभाग्य ये भोला।
रहे हरदम बनल मोर सुहाग ये भोला।2

उनके से सजल कुल सिंगार बा हमार।
चूड़ियां कलाई मेंहदी प्यार बा हमार।2
जइसे सुर के साथे सोहेला राग ये भोला।
रहे हरदम बनल मोर सुहाग ये भोला।2

उनके ही पउवा में त,बाटे चारो धाम जी।
बन के हम सीता रही,उ हमार राम जी।2
भाग उनके से गइल मोर जाग ये भोला।
रहे हरदम बनल मोर सुहाग ये भोला।2

हीरा लेखा पिया मोर,हम उनकर सोना।
लागे नाही उनका पे कवनो जादू टोना।2
दिहले जइसे सेंहूरा,देवे आग ये भोला।
रहे हरदम बनल मोर सुहाग ये भोला।

©Anand singh बबुआन #Shiva
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Anand singh बबुआन

तेरी तरफ ना जाने क्यूँ,बढ़ने लगा है दिल।3
नज़रे किताब आप की,पढ़ने लगा है दिल।2

पहले ना हाले दिल कभी,ऐसा हुआ मेरा।
हाल दीदार से तुम्हारे अब,जैसा हुआ मेरा।2
तकरीर तेरी चाहत में,गढ़ने लगा है दिल।।2
नज़रे किताब आप की,पढ़ने लगा है दिल।2

ज़ुल्फ़ें घटा को अपने यूं,बांधा ना किजिए।
मर जायेंगे सितम हमपे,ज्यादा ना किजिए।2
बस ज़िक्र पे ही तेरे तो,अड़ने लगा है दिल।2
नज़रे किताब आप की,पढ़ने लगा है दिल।2

मुझको बता दो कैसे बयां,लिख के मैं करू।
हासिल तुम्हे कीमत मेरी,तो बिक के मैं करू।2
ऊंचे पहाड़ ख्वाबो के,चढ़ने लगा है दिल।।2
नज़रे किताब आप की,पढ़ने लगा है दिल।2

©Anand singh बबुआन #chaandsifarish
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Anand singh बबुआन

White गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है।
एक दोस्त परदेश को जाए,जब दूजा घर आता है।

वो पीपल का पेड़ वन्ही है,उसकी छांव में कोई नही है।
ऐसा लगता गांव में आके,जैसे गांव में कोई नही है।
पुरवा की पुरवइया भी,मन को नही लुभाता है।
गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है।।

इट के पक्के घर सजे है,कूलर या फिर ए.सी से।
इतना विदेशी पन भरा है,दूर हुए पन देशी से।
वही गांव के डीह बाबा,वोही मंदिर और विधाता है।
गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है।

हवा ही दुसित नही हुई है,अब हीन भावना फैली है।
बस मतलब ही है भरा हुआ,दजनीति की शैली है।
द्वेष भावना इतनी भरी है,मन कुंठित हो जाता है।
गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है।

©Anand singh बबुआन #Road
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Anand singh बबुआन

जब मंजर हो गया हासिल,मुझे मेरी तबाही का।
सफाई क्या ही देना फिर,अपनी बेगुनाही का।

सितम जब है भरे दमन में,मेरे फूल की तरह।
फिर क्या ही करेंगे आरज़ू ,हम दर्दे दवाई का।

अपनो से ही जब सुननी पड़े गैरत भरी बाते।
खुदा से क्या करे सजदा,फिर हम दुहाई का।

सज़ा भी है मुकर्रर अब,जब मेरी कहानी में।
जुबां से नाम क्या लेना,फिर उस हरजाई का।

फटे जाते है अब भी कान के पर्दे मेरे साहब।
सुना रख्खा है जब से शोर,मैंने शहनाई का।

©Anand singh बबुआन #achievement
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