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vinitachundawat6054
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vinita chundawat

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vinita chundawat

नदी नदी समुंद्र समुंद्र, नाव चले।
पर मुझे टूटे हुए उन दिलों की बिखरी हुई 
रेत पर नाव चलानी है
जिन आँखों में सदा बारिश रही उन आँखों में 
भरी बरसात में मशाल जलानी हैं
ना जाने कितने बेबस मन,जाड़ें की धूप में जले
नदी नदी समुंद्र समुंद्र, नाव चले।

_mirror of words #flowers
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vinita chundawat

kite
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vinita chundawat

शरीर का पिंजरा,उस पर भी साँसो का कठोर ताला,
आँखो के झरोखे से मंदिर-मस्जिद में 
बैठे थानेदार को झाँक रहा मतवाला!
टपकती अश्रु बूंद से ही हर रोज़ जल रहा हूँ,
हारा हुआ ना समझो मुझे लोहे के पिंजरे को सोने में बदल रहा हँू।

_mirror of words #ColdMoon
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vinita chundawat

"अपनी सांसो की लेस को इस 
तरह किसी के दिल से मत जोड़िए कि
दिल के दूर होते हैं कच्ची
लेस टूट जाए,
ख़ूबसूरत जिंदगी तुम्हारी होकर भी तुमसे
रूठ जाए"

_mirror of words #Dil
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vinita chundawat

"शतरंज सी दुनिया में मोहरों सा लेते जनम
बनी खिलाड़ी माया और कठपुतली रह गए हम
जिस पर हाथ तेरा वो ना नाच दिखाता है,
सजा के दिल में तुझको माया को नचाता है।"

_mirror of words #Mdh
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vinita chundawat

बिन पंख का घायल मन का पंछी मेरा,
संसारी वृक्ष की पतली सी,एक डाल पर बैठकर
निहारे रास्ता तेरा,
टप-टप गिरते आंसुओं की स्याही से अनगिनत खत तुम्हें लिखें
बैरी गौरैया,गिलहरी,सुवा,कौवा,कोयल,नन्ही ं चींंंंंटी
सब हँसते हैं मुझे,यह कह कर कि तेरे प्यारे को
 ख़त मात्र भीगे कागज़ दिखे!

                                                  (कैप्शन) #Dhanteras
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vinita chundawat

संसारी जंगल में दौड़ मची है,
यह आँखें मृगतृष्णा सी खोज़ रही 
आख़िर किसने यह मृत्यु दिखाने 
वाली धधकती 'क्रोध' की 
अग्नि जलाई,
जब टूटती हुई श्वास माला ने जकड़ लिया पैरों को,
तो थम कर पता चला मेरे भीतर ही जल रही 
एक दियासलाई!

_mirror of words #me
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vinita chundawat

मैं मीन,तो संसार गहरी नदियाँ,
तट को देखो मैं कैसे बाज़ की मुझ पर नज़र है,

नित नई रचना बनाऊं पर कलम भी मेरी,'बुलबुले हैं!'
इस नदी का खारा है पानी क्योंकि नदी के मध्य अश्रु की डगर है,
तट पर पड़ी लाशें नाच रही और गा रही मृत्यु हीं ज़फ़र है
मृत्यु ही ज़फ़र है।

_mirror of words नदियाँ!!

नदियाँ!!

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vinita chundawat

मैं जब भी  प्रातः जाती हूँ टहलने तो रोज़ देखती हूँ 
एक गर्भवती स्त्री को।
हमेशा मेरी नजरें उसके उदर पर इस तरह थम जाती हैं
जैसे थम जाती है बर्फ पहाड़ों पर। 
और माँ मुझे हमेशा कहती हैं कि ऐसे 
मत देखा करो उसको!
आज मैंने माँ से कहाँ की मुझे उसके उदर को देखकर ऐसा 
लगता है मानो ईश्वर ने टाँक दिया हो गोल चाँद इसके आंचल में। 
माँ कहने लगी की कुछ महीने पहले अख़बार में एक दुष्कर्म की 
ख़बर आई थी ना ये वही लड़की है!
इस लड़की के माता पिता ने ब्याह दिया इसे उसी दुष्ट लड़के से।
यह सुनते ही मेरी शून्य पड़ी देह पर रेंगने लगे यह भाव कि किस 
तरह उस स्त्री का बढ़ता हुआ पेट मात्र होगा भार उसके लिए ,
जिसके नीचे दब गए उसके सारे स्वपन,इच्छाएँ,ताज़गी, भरोसा,आस्था
प्रेम खत और आत्मसम्मान। जिसके कारण उसे उस खूबसूरत 
चाँद में चमक से अधिक दिखते होंगे दाग़ और इसी कारण उसकी ममता मात्र 
परछाई बनकर रह गई होगी।

_mirror of words #rape
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vinita chundawat

माता-पिता को जागने के लिए किसी यंत्र का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता
शायद इसलिए क्योंकि माता-पिता के कंधों पर जिन जिम्मेदारियों ने बसेरा 
किया हुआ है, वहींं ं जिम्मेदारियां नित प्रातः कंधों से उनके कानों तक
 उछल-उछल कर शोर मचाने लगती है।
और कहींंं ं बार यही जिम्मेदारियां बन जाती है बाधक उनके सपनों में।

_mirror of words माता-पिता और नींद#parents

माता-पिता और नींदparents

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