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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

शिक्षक व कवि

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

#RIPMilkhaSingh कर कुछ ऐसा

कर कुछ ऐसा की आग लगे तन मन में

जीत की सोच  घर करे फिर हर जन में

पल  में  हासिल  हो जो सोचा हो हमनें

सिंह दहाड़ उठा हो जैसे फिर से वन में

©कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद कर कुछ ऐसा.....कीर्तिप्रद

#RIPMilkhaSingh

कर कुछ ऐसा.....कीर्तिप्रद #RIPMilkhaSingh

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

जीत की सोच

जीवन    भर   !   रोया    बहुत  तू  ;   अब    आँसू    पोंच 

हारने   की   क्यों   सोचता  है पगले  अब  जीत  की  सोच

नोच  अपने  नाखूनों   से  आज   हार  के  तन   बदन  को

ताकि गूँजें चारों दिशाओं में फिर से तेरी जीत का जयघोष

©कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद जीत की सोच..कीर्तिप्रद

#Morningvibes

जीत की सोच..कीर्तिप्रद #Morningvibes

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

मुट्ठी में आसमां

आसमां   हमनें   छुआ   समझो

या फिर किसी  की दुआ समझो

जा   रहा   जिंदगी   से  दूर  गम

न जाने  कब  क्या  हुआ समझो

©कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद मुट्ठी में आसमां... कीर्तिप्रद

#You&Me

मुट्ठी में आसमां... कीर्तिप्रद #you&Me

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

जय माता दी

मन माँगा फल मन माँगी मुराद नर नारी पाये
गर  तू  करे कृपा तो घर खुशियों से भर जाये
हो  जाये   दूर   हर    कष्ट   हर   कठिनाई 
गर  कोई  मन  से  बस  एकबार तुझे  ध्याये

©कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद जय माता दी..कीर्तिप्रद

#navratri2020

जय माता दी..कीर्तिप्रद #navratri2020

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

निराश न हो 

मौके बार बार मिलेंगे  तू निराश  क्यों होता है

कुछ  करने  से  ही  तो  यहाँ  कुछ  होता  है

बोता  है  जो अपनी  सफलता  के बीज स्वयं

सही  मायनों  में तो यहाँ वही  सफल होता है

©कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद निराश न हो...कीर्तिप्रद

#LostTracks

निराश न हो...कीर्तिप्रद #LostTracks

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

शोहरत

मिलती उसे शोहरत जो कुछ करने की सोच रखता है

नहीं   खोता  अपना   आपा  बराबर   होश  रखता है

पहुँच  रखता  है  अपने  दम  पर मंजिल को पाने की

गर  दिख  जाये हार सामने  तो उसको नोच रखता है

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

©कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद शोहरत....कीर्तिप्रद

#walkingalone

शोहरत....कीर्तिप्रद #walkingalone

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

अकेला पन

कब   तक   तन्हा    कब    तक    अकेली   रहोगी

बात  आयेगी  गर  जुबां  पर  तो   किससे  कहोगी

सहोगी कबतक दुनिया के सारे गम अकेले अकेले

निर्मल  धारा  बनकर  गंगा  की  कब  तक  बहोगी

कीर्तिप्रद

©कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद
  अकेलापन....कीर्तिप्रद

#HappyDaughtersDay2020

अकेलापन....कीर्तिप्रद #HappyDaughtersDay2020

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

तमन्ना

हर  डगर  हर  कदम  पर आसमां मिले

तू   मुसकुराये  तो    सारे   फूल   खिले

मिले  तुझे वो  जिसकी  तुझे  हो तमन्ना

विश्वास हो तुझमें इतना की अम्बर हिले

कीर्तिप्रद.... तमन्ना... कीर्तिप्रद

#alone

तमन्ना... कीर्तिप्रद #alone

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

बात का हल

जो    कल    निकला   ;   वो    आज  ,  निकलेगा  रे

रुका   काम   भी  तेरा   जैसे   तैसे  चल  निकलेगा  रे

ख्वाब   पलेगा   फिर   से   मन   में   कुछ  करने  का

गर चाहोगे तुम करना तो; हरबात का हल निकलेगा रे

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद बात का हल....कीर्तिप्रद

बात का हल....कीर्तिप्रद

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

कल नहीं आज

आज का काम  आज कर कल पर न टाल रे

डूबती कश्ती को अपनी सागर से निकाल रे

बदल   चाल   और   ठौर   ठिकाना  अपना

बेहतर  होगें   तेरे  पहले   से   हाल  चाल रे

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद कल नहीं आज.....कीर्तिप्रद

कल नहीं आज.....कीर्तिप्रद

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