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drmushtaqueahmad7030
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DR MUSHTAQUE AHMAD

लेखक को जानें,,, डॉ.मुश्ताक़ अहमद शाह. वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी -  मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़  शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट,  होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील  हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि -  हरदा  व्यवसाय -  फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- dr.m.a.shaholo2@gmail.com , उर्दू ,हिंदी ,और  इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख  लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत  ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा,  राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर  विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक 1200 से अधिक रचनाएँ प्रकाशित, अभी तक 9 साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं  का प्रकाशन, हाल ही में  5 साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित,1. मधुमालती, 2. कोविड 19,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे  कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,और  जील इन फिक्स  पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह  तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें,  और  नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5  ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन  से  प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,, Email  dr.m.a.shah0102@gmail.com Contect     7000374086 9993901625

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DR MUSHTAQUE AHMAD

जब भी ये दिल  उदास होता है,
जाने कौन आस पास होता है,,,
आइना देखता है तक मुझको,,
एक मासूम सा सवाल लिये,,,

©DR MUSHTAQUE AHMAD #alone
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DR MUSHTAQUE AHMAD

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DR MUSHTAQUE AHMAD

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DR MUSHTAQUE AHMAD

Understand yourself, 
culture tells how family is, 
conversation tells how a person is, 
debate tells how knowledge is,
 eyes tell how character  
Stumbling tells how meditation is, 
touch tells how destiny is, 
humility tells how education is, 
difficulties tell how courage is, 
speech tells what is nature,
 death tells what life is.  " .

©DR MUSHTAQUE AHMAD #Books
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DR MUSHTAQUE AHMAD

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DR MUSHTAQUE AHMAD

वो आजाएँ तो कुछ आंखों में नूर आजाए,,,,,,,,,

आफ़ताब उम्र का ये तो ढलने वाला है,
आएं वो तो  ज़िन्दगी की बात हो जाये,

अपनी क़ीमत ज़माना  लगा नहीं सकता,
वो आजाएं तो जीने का सामान हो जाए,

डूबना मुक़द्दर है मेरा तो कोई बात नहीं,
आजाएं तो साहिल की उम्मीद हो जाए,

हर फर्द में फ़र्क़,नुमाया है  ज़रा देखो  तो,
वो आजाएं तो बाहें गले का हार हो जाएं,

कहकहे खोखले हर सू अब सुनाई देते हैं,
वो आजाएं तो सुकून दिल को  हो जाए,

हर तरफ़ अंधेरा है,मुश्ताक़ मैं नाबीना सा,
वो आजाएँ तो कुछ आंखों में नूर आजाए,

डॉ. मुश्ताक़ अहमद 
सहज़
हरदा मध्यप्रदेश,,,,,

©DR MUSHTAQUE AHMAD
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DR MUSHTAQUE AHMAD

दर्द ला दवा होता है ये हिज़्र में,,,,

हसरतों के साहिल पे दिल को
अपने  यूँ बिछाया न करो,
तितलियाँ मुहब्बत की मासूम
होती हैं, उन्हें उड़ाया न करो,
खुशबू तेरे बदन की  मुझे हरदम
क्यूं बेचैन किया करती है,
सामने आकर वजूद मेरा तुम
मत पिघलाया  करो,
दर्द ला दवा होता है ये हिज़्र में
सच कहता हूं मुहब्बत का,
क़रीब आभी जाओ तुम तंहाई
में तो आके सताया न करो,
लबों का तबस्सुम आँसुओ में 
तब्दील न हो जाये कहीं,
ए बर्क़ नाज़ जिस्म में  मेरे सुरूर
कोई भी तुम बहाया न करो,
बेताबियों ने लूटा है, और  सितम 
का मारा है , मुश्ताक़,
मशवरा है,दिल अपना  किसी से 
भी भी तुम लगाया न करो,

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह
सहज़  हरदा
मध्यप्रदेश,

©DR MUSHTAQUE AHMAD
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DR MUSHTAQUE AHMAD

बाज़ार गर्म है कितना,,,

ये आइनों का शहर है ,
खुशनुमा कितना,
पत्थरों का  यहाँ 
बाज़ार गर्म है कितना,
उन के दीदार से 
मरीज़े इश्क़ पे रौनक़,
ग़म और खुशी के बीच
है पर्दा कितना,
अब इतने ताज्जुब से
न देखिए हमको,
अपनों के शहर में मैं
हूँ तन्हा कितना,
हर आदमी महंगाई की 
सूली पे चढ़ा है,
नमक का भी देखिये भाव 
बढ़ा है कितना,

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह
सहज़ 
मध्यप्रदेश,,,

©DR MUSHTAQUE AHMAD
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DR MUSHTAQUE AHMAD

तवज्जो कैसी है,

खुदी बेख़ुदी 
माजरा क्या है,
तेरी आँखें ,मुझे 
हुआ क्या है,
बेखबर सा मैं खुद 
से ही हो गया,
मौसमे बहार ये 
आया क्या है,
बस्ती आईनों की
भली सी है,
पत्थरों का ये 
ज़खीरा क्या है,
महफ़िल की 
तवज्जो कैसी है,
ज़खमे दिल है, 
तमाशा क्या है,
इन आँखों में बसा
है चहरा तेरा,
मुश्ताक़ पूछे है कि
इरादा क्या है,

डॉ. मुश्ताक़ अहमद
शाह
सहज़ हरदा
मध्यप्रदेश,

©DR MUSHTAQUE AHMAD
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