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rishipalbhati5135
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Rishipal Bhati

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Rishipal Bhati

या फैशन ने अंत तार दई लग रही आग घरानो मे

बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो में

बेशर्मी ने करवट बदली कलयुग कू समझान लगी 

आधो दीखे गात उघाड़ो मने देख शर्म सी आन लगी

कहीं जींस की पैंट फटी या निक्कर में काम चलाय रहे

नही दुपट्टा तन पे पावे अब सीनो साफ दीखाए रहे

जनरेशन कू भाय रहे अब जाते क्यू मयखानो मे

बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो मे

इज्जत बारह बाट हुई है  यू नो वापस आने की

मां बापू खुद नही समझते बात करे समझाने की 

माथे की बिंदिया ले डुबो अब मांग सिंदूरी नोय पावे 

पैर के बिछवा गायब है गए ये धोती टीपी नोय

भावे

बाखल बैठक नोय पावे अब रहवे मरद जनानो मे

बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो में

सुल्पा गांजा दारू पीते होटल मे खाना खाते है

गाउरमेंट ने दई सुविधा ओयो मे रात बिताते है 

खानो और कमानो छोड़ो हां लूट खसोटी करन लगे

दूध दही अब नही दीखते हां पीजा बरगर भरण लगे 

नई उमर में मरण लगे लगे चक्कर चौकी थानो मे

बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो मे


ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati #फैशन
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Rishipal Bhati

नन्हीं सी परी मेरी लाडली आंगन को 
महकाती है
हसती खेले बीच चौबारे मन ही मन 
मुश्काती है
ज्योति जैसी उज्जवल बेटी अंधकारों पे
भारी है 
मम्मी की है घणी लाडली पापा की राज
दुलारी है
मां लक्ष्मी का वास हो बेटी मां सरस्वती 
का साज है
कभी भवानी मां कल्याणी दुष्टों का
अभिशाप है 
जीवन की मुस्कान है बेटी तभी तो पूजी
जाती है
खिला कमल सा सुंदर बेटी मन मंदिर 
में बस जाती है
रही चंद्र सी सीतल बेटी गंगाजल से 
पावन है
बिना पाप के निश्चल बेटी लगे धूप मन
भावन है
ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati
  #नन्ही_सी_परी
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Rishipal Bhati

जिन्दा मुर्दे कुछ भारत मे वो कब जगने 

वाले हैं

कभी यहां से कभी वहां से सारे भगने 

वाले हैं 

हद होती है यार सहन की कायर बनके 

बैठ गए

बस थोडी सी धन माया पाई लेके ऐठन 

ऐठ गए 

नही जुर्म पे जुबा खुले ये पग पग डरने 

वाले हैं 

कभी यहां से कभी वहां से सारे भगने 

वाले हैं 

अंत पाप का निश्चित हो पर कुछ करना 

खुद होगा

आज धर्म की खातिर यारो फिर अधर्म 

से युद्ध होगा 

नही सुरक्षित धरा पाप से दर दर ठगने

वाले हैं

कभी यहां से कभी वहां से सारे भगने 

वाले हैं 

कायरता का तारो चोला रण भीषण की

तैयारी हो

गोली खाने को हम आगे हाजिर जान

हमारी हो

देश धर्म पे जान समर्पित हम भी करने

वाले हैं

कभी यहां से कभी वहां से सारे भगने 

वाले हैं 


ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati
  #जिन्दे_मुर्दे
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Rishipal Bhati

जिस दिन समझा दर्द पिता का तुम इंसा बन जाओगे

वरना ये चैलेंज मेरा हे तुम कुछ भी नही कर पाओगे

सुब्हा को जाता शाम को आता कितना दर्द कमाता हे

झुके हुए हे कंधा उसके फिर भी हाथ बढ़ाता हे

तुमको चाहिए धन खर्चे को वो मेहनत रोज कमाता हे

हर गम खाता चुप हो जाता कितना और सताओगे

जिस दिन समझा दर्द पिता का  तुम इंसा बन जाओगे

वरना ये चैलेंज मेरा हे तुम कुछ भी नही कर पाओगे

गर्मी सर्दी या बारिश हो उसको फर्ज निभाना हे

घरका खर्चे उसके सर पे महीना खर्च चलाना हे

तुम्हे देख मन हर्षित कर्ता दुख का दौर घटाना हे

के जीना उस दर्द डगर पर सपने तोड़ बगाओगे

जिस दिन समझा दर्द पिता का तुम इंसा बन जाओगे

वरना ये चैलेंज मेरा हे तुम कुछ भी नही कर पाओगेे

तुमको पढ़ाया और लिखाया कितने लाड लड़ाए थे

दौर जवानी अब आयेगा कितने ख्वाब सजाए थे

फ्यूचर की उम्मीद तुम्ही हो यू अरमान जगाए थे

खुद मर मिटना हे उनका बढ़िया गर तुम रोज मिटाओगे

जिस दिन समझा दर्द  पिता का तुम इंसा बन जाओगे

वरना ये चैलेंज मेरा हे तुम कुछ भी नहीं कर पाओगे

लालन पालन किया तुम्हारा क्या क्या कष्ट उठाए हे

उमर बुढ़ापा बनो सहारा क्या क्या ख्वाब सजाए हे

बेबस क्यू लाचार दीखते जो दुनिया में लाए हे

पता चलेगा उस दिन तुमको जब बापु तुम बन जाओगे

वरना ये चैलेंज मेरा हे तुम कुछ भी नही कर पाओगे

जिस दिन समझा दर्द पिता का तुम इंसा बन जाओगे



कवि ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati
  #FathersDay
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Rishipal Bhati

दिल दीवाना हमने माना ये हुआ है आपका

हश्र तो अब तुम ही जानो अब क्या होगा ख्वाब का

जब खुले आंखे मेरी तुम सामने पाते नहीं

हम जगे यादों मे तेरे जिंदगी जी पाते नही

रास्ता हमने चुना क्यू हां डर हमे अंजाम का

दिल दीवाना हमने माना ये हुआ है आपका

है नशा दिल पे मेरे तू दूर कब मुझको बता

चाहना है चाह दिल की बोल दे मेरी खता

तुमसे बहतर क्या जाने फैसला ये जान का

दिल दीवाना हमने माना ये हुआ है आपका

धड़कने है दिल की तुमसे तुम कहो तो छोड़ दू

दो दिलो के दरमिया हां गम से नाता मोड दू

दो नशीली आंख तेरी काम हे शराब का

दिल दीवाना हमने माना ये हुआ है आपका


ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati
  #DilDiwana
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Rishipal Bhati

कोई अब्दुल दीवाना है कोई अब्दुल दीवानी है 

लगाए रोक हम कैसे ये घर घर की कहानी है 

मिले शिक्षा भला कैसी जरा सा ध्यान तो देना

पढ़े बेशक बहन बेटी पर धर्म का ज्ञान तो देना

चले रस्ता भला किसका कहां ये लाभ हानि है 

कोई अब्दुल दीवाना है कोई अब्दुल दीवानी है

कभी बैठो पढ़ो मन की इरादे भाप लेना जी

करो संग सहमति उनसे फैसले आप लेना जी

हवा लगती उमर ऐसी बडी चंचल जवानी है

कोई अब्दुल दीवाना है कोई अब्दुल दीवानी है 

बने भवरे यू ही लड़के उन्हें भी रोकना होगा

करे पीछा भला क्यू वो हमे ये सोचना होगा

युक्ति मेरी मैने कहीं हां अब हमे आजमानी है

कोई अब्दुल दीवाना है कोई अब्दुल दीवानी है 

लगाए रोक हम कैसे ये घर घर की कहानी है 


ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati
  #love
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Rishipal Bhati

श्रद्धा सुमन मन अर्पित करता याद हमे बलिदान तेरा

तुम जैसे वीरों की खातिर, है जिंदा अभिमान मेरा

युग युग याद रहोगे  सबको गौरवशाली मान रहा

वंशज है हम आज आपके श्री चरणों में ध्यान रहा

देश धर्म पर मरने वाले हम करते गुणगान तेरा  श्रद्धा सुमन मन अर्पित करता याद हमे बलिदान तेरा

भूखे प्यासे रण में लड़ते एक पल मान घटाया ना

दुश्मन के सर चढ़कर बोले पीछे कदम बढ़ाया ना

जन्मे कितने शेर शुरमा ना नाम कभी अंजान तेरा

श्रद्धा सुमन मन अर्पित करता याद हमे बलिदान

तेरा

अकबर के अरमान धरा पे  तुमने तोड़ बगाए थे

मुगलों से कभी हार ना मानी रण मे खूब हराए थे

हम जन्मो तक तार सके ना है सबपे एहसान तेरा

श्रद्धा सुमन मन अर्पित करता याद हमें बलिदान तेरा

गर धरती पर तुमने देखा देख घना पछताओगे

कायर वंशज आज तुम्हारे किस-किस की धीर बंधाओगे 

जात-पात में बटा पड़ा क्यू हिन्दू का हिंदुस्तान  मेरा

श्रद्धा सुमन अर्पित करता याद हमें बलिदान तेरा


कवि ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati
  #maharanapratap
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Rishipal Bhati

पैड धरा का आभूषण है है जीवन का आधार

रहम करो मत काटो इनको करते यही पुकार

प्रकृति की देन है हमको जीवन का आनन्द

छेड़छाड़ क्यू करते क्यू बुद्धि पड़ गई मंद 

नही रुके तो पड़े भुगतना जीवन मे अंधकार

 रहम करो मत काटो इनको करते यही पुकार

बारिश कम है गर्मी ज्यादा क्यू माहोल बिंगाड़ा

दस महीने में गर्मी पड़ती पंद्रह दिन बस जाड़ा 

बना बनाया खेल बिंगाड़ो मिला था जो उपहार

रहम करो मत काटो इनको करते यही पुकार


ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati
  #पर्यावरण_दिवस
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Rishipal Bhati

मैं चाहता हूं हर पल तुम्हे इनकार मत करना

दे दो जगह दिल मे भले तुम प्यार मत करना 

काबिल नही माना तेरे पर चाह रखते है

समझें तुझे दिल जान हम आह भरते है 

सपने तेरे दिल में मेरे कभी बेजार मत करना 

दे दो जगह दिल मे भले तुम प्यार मत करना

हसरत यही दिल की दिल की तम्मन्ना है

तुम ख्वाब हो दिल का तू पहला पन्ना है

जीना तुझे बांहों मे ले कभी दुश्वार मत करना

दे दो जगह दिल में भले तुम प्यार मत करना

सांसे मेरी तुझ्से बंधी अरमान तुमसे है

इस दीवाने दिल की पहचान तुमसे है

टूटे मेरा दिल तोड़ दे मगर व्यापार मत करना

दे दो जगह दिल मे भले तुम प्यार मत करना

मैं चाहता हूं हर पल तुम्हे इन्कार मत करना


ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati
  #love❤️

love❤️ #लव

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Rishipal Bhati

अदब से चलना कलम जरा जब अपनी मां 
का नाम लिखूं
जब तक जिन्दा है चरणों मे मां के चारो धाम 
लिखूं
नो महीने मां गर्भ मे रखती गीले मे सो जाती 
है
लाल मेरे की आंख खुले ना मंद मंद मुश्काती 
है
लॉरी रोज सुनाती है हम सुनते सुबहो शाम
लिखूं
जब तक जिन्दा है चरणों मे मां के चारो धाम लिखूं 
पूत सपूत मिले किस्मत से पर मां हरदम 
उपकारी हो
मां ममता का मन्दिर होती शर पे सारी 
जिम्मेदारी हो 
हम किस्मत के आभारी हो ईश्वर का दूजा 
नाम लिखूं
जब तक जिन्दा है चरणों मे मां के चारो धाम लिखूं 
बेशक छोटा नाम धरा पे मां को बड़ा मुकाम मिला
भूखी रहजा समय काट ले बच्चों पे हरदम 
ध्यान मिला
मां को ऊंचा स्थान मिला मां चरणों मे प्रणाम लिखूं
जब तक जिन्दा है चरणों मे मां के चारो धाम लिखूं 

ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati
  #MothersDay
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