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ashish2025607841127
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Er Writer Fauji Ashish

देशसेवा, कवितायें लिखना

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Er Writer Fauji Ashish

#kahosurma, #Taliban #Pyar #Nafrat #geet 

#myvoice
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Er Writer Fauji Ashish

#lovepoetry 

#AzaadKalakaar
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Er Writer Fauji Ashish

#shrikrishnajanmashtami  
#BestWishes 
#ashishashish 
#janmashtami
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Er Writer Fauji Ashish

वह तिथि 
कि जब स्वयं 
आदि-अनादि, चर-अचर एवं काल चक्र से परे, 
नियति-नियंता, अनंत स्वरूप भगवान  
अपनी समस्त कलाओं के साथ
 अवतरित हुए 
कितनी पवित्र होगी! 
अकल्पनीय है। 

भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि 
 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

की आपको अनंत शुभकामनाएं। 

शुभेच्छु 
आशीष आशीष

©Er Writer Fauji Ashish #janmashtami 

#DearKanha
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Er Writer Fauji Ashish

कि जैसे 
प्यासे को नीर 
राँझे को हीर

©Er Writer Fauji Ashish

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Er Writer Fauji Ashish

15 August independence day

#Strings

15 August independence day #Strings

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Er Writer Fauji Ashish

वर्षों से की पराधीनता से थी भारत माता ग्रस्त

समय सुहाना सैंतालिस का आया पंद्रह अगस्त


आया पंद्रह अगस्त हुआ था नया सवेरा

देश हुआ आज़ाद  फिरंगी भारत छोड़ा


गैरों की मर्ज़ी से था, जो चलता जीवन

अपने बस में हुआ, खिल गए वन औ' उपवन


खिंजा हटी बागों से, आया था बासंती मौसम

नयी कोंपलें निकली, खिला था जन का तन-मन


आओ याद करें उस दिन को, याद करें बलिदान

लें सौगंध की हिंद के लिए, देंगे अपनी जान


आशीष यादव

©Er Writer Fauji Ashish 15 Aug

#India2021

15 Aug #India2021

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Er Writer Fauji Ashish

वर्षों से की पराधीनता से थी भारत माता ग्रस्त
समय सुहाना सैंतालिस का आया पंद्रह अगस्त

आया पंद्रह अगस्त हुआ था नया सवेरा
देश हुआ आज़ाद  फिरंगी भारत छोड़ा

गैरों की मर्ज़ी से था, जो चलता जीवन
अपने बस में हुआ, खिल गए वन औ' उपवन

खिंजा हटी बागों से, आया था बासंती मौसम
नयी कोंपलें निकली, खिला था जन का तन-मन

आओ याद करें उस दिन को, याद करें बलिदान
लें सौगंध की हिंद के लिए, देंगे अपनी जान

आशीष यादव

©Er Writer Fauji Ashish 15 august

15 august

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Er Writer Fauji Ashish

याद तुम्हारी क्या बतलाऊँ
कैसे कैसे आ रही है

चलने का अंदाज़ ठुमक कर
मचल-मचल कर और चहक कर
हाथों को लहरा-लहरा कर
अदा-अदा से और विहँस कर

तेरी सुंदर-सुंदर बातें
मन हर्षित है गाते-गाते
मैं कब से आवाज दे रहा
आ जाते हँसते-मुस्काते

तेरे गालों वाले डिम्पल
याद आते हैं मुझको पल-पल
मिसरी में पागे होठों के
नाज़ुक चुम्बन कोमल-कोमल

एक छवि मुस्कान बटोरे
मुझको अपने परितः घेरे
सुंदर सुखद समीर बहाती
बदली बन कर छा रही है

याद तुम्हारी क्या बतलाऊँ
कैसे कैसे आ रही है

©Er Writer Fauji Ashish #lovepoetry 

#Rose
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Er Writer Fauji Ashish

#beunite #ashishashish

#myvoice
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