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सुरेश चौधरी

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सुरेश चौधरी


हे जग स्वामी !
मैंने अनेकों अक्षम्य किये पाप,
शीघ्रातिशीघ्र आ इन्हें क्षमा करें आप,
अज्ञान के सूत्र से बंधा मेरा चरित्र,
क्रोध में वशीभूत,
मोह में आसक्त,
सब शिक्षाओं को भूल,
नियंत्रण खो उठा,
मेरे मस्तिष्क को
शांत करें,
संतुलित करें,
मुझ पर उपकार करें ।
 
ज्यूँ मेघों की काली घटा,
क्षण भर के लिए व्योम पर
आच्छादित हो
अन्धकार ला देती है,
वैसे ही,
मुझ अल्पज्ञानी के पटल पर
क्रोध-मोह की काली-घटा छाई हुई है,
प्रभु शीघ्र पधार कर,
ज्ञान दें
इस कालिमा को दूर करें,
शरण में लें ।
 
##############################

©सुरेश चौधरी

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सुरेश चौधरी

एक निर्गुण भजन जाते जाते (998)
2 अगस्त 2023

तेरे  वश  में  कुछ  नहीं  बन्दे,  तू  तो  क्या  कर पायेगा
इकदिन यम आ केश पकड़ कर,'  पटक तुझे ले जाएगा
तू  रो  रो  खुब  चिल्लायेगा',  कुछ भी   कर  ना पायेगा
….कुछ भी कर ना पायेगा।।

किया ना कभी नाम सिमरन, भगवान का भजन कीर्तन 
ना की कभी दया जीवों पर, न किया कभी चिंतन मनन
तू  तो  पापी  अपने  मुंह  पर',  चोटें   ही बस  खायेगा
….. कुछ भी कर ना पायेगा।।

जब  कर्मों  का  लेखा  जोखा,  धर्म  राज  बैठ  करेगा
मांगेगा   जबाब   पापों   का',  कर्म   जैसा  ही  भरेगा
मित्र  तब  तू   क्या  मुंह  लेकर,  उसके  द्वारे  जाएगा 
….. कुछ भी कर ना पायेगा।।

कहे  'इंदु'  लगा  ध्यान  सुन तू, संतन  भव पार लगाए
संग  से  समझ  संसार  सार, ईश  कृपा  तब  तू  पाए
नाथ  प्रभु  तू  ही दीन दयाल,  छत्र  मुझपर  लगाएगा
….. कुछ भी कर ना पायेगा।।

( श्री गुरुग्रन्थ साहेब अंग 1106 से प्रेरित)
सुरेश चौधरी 'इंदु'

©सुरेश चौधरी
  #WoSadak
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सुरेश चौधरी

20 जनवरी 2023

आज का भक्ति श्रृंगार भजन 


नैन   तरस  रहे हैं प्रियतम,   कबसे  दर्शन  पाने  को
आते  क्यों नहीं  इन दृगों में, जीवन ज्योत जगाने को।


शब्द  ढूंढते  गीत  प्रीत  के, अब  तो पिया मनाने को
आ  भी  जाओ जिह्वा पर अब, गीत प्रीत के गाने को
न  तड़पा  कण्ठ  अवरुद्ध हुए, रो कृष्ण तुझे पाने को
आ  भी  जा  निर्मोही  मोहन, प्रेम  सरिता  बहाने को।


नैन   तरस  रहे हैं प्रियतम,   कबसे  दर्शन  पाने  को
आते  क्यों नहीं  इन दृगों में, जीवन ज्योत जगाने को।


अश्रुधार  बह  रही  निरंतर,   प्रेम  सुधारस  पाने  को
चरण कमल में शीश नवाऊँ,भव सिँधु पार लगाने को
करुणा  दे  दो ओ करुणानिधि, बैठा करुणा पाने को
सोया  हूँ  पंच  विकारों  में, आओ  प्रियस जगाने को।


नैन   तरस  रहे हैं प्रियतम,   कबसे  दर्शन  पाने  को
आते  क्यों नहीं  इन दृगों में, जीवन ज्योत जगाने को।


दोनों  बहियाँ  तड़प  रही  प्रिय, प्रेमालिंगन  पाने  को
बाहों मध्य आते क्यूँ नही, सुख मिलन का दिलाने को
देख सांध्य लालिमा हृदय गति, हो चली मंद जाने को
इंदु  समय  अर्ध्य  का हो चला, तुमसे हमे मिलाने को।


नैन   तरस  रहे हैं प्रियतम,   कबसे  दर्शन  पाने  को
आते  क्यों नहीं  इन दृगों में, जीवन ज्योत जगाने को।

©सुरेश चौधरी
  भजन
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सुरेश चौधरी

3 दिसम्बर 2022
आज की भजन पदावली

नाथ दरस को तरस रहे मेरे नैना।
तेरे   दरस   को  नेह   स्पर्श  को,  तरस  रहे  मेरे  नैना
ओ  मेरे  व्याकुल मन  आकर, लाओ तुम  दिल मे चैना
ज्ञान  सुधा रस पान कराकर, प्रभु उर को दरस कराकर 
ओ अन्तर्यामी प्रज्ज्वलित कर, दैदिप्त ज्ञान ज्यूँ दिनकर
माना तुम  ही हो  मात्र अचल,  समस्त विश्व है चलाचल
हो तेरा संग कल  आज कल,  इंदु   प्रार्थनाओं का फल
कर  श्रृंगारित अन्तस् विवेक से, बीते भजन में दिन रैना
नाथ दरस को तरस रहे मेरे नैना।

दोहा:
नाथ  दरस बिन क्या कहूँ, तरस  रहे ये नैन
ज्ञान सुधा रस पान दे, भजन करूँ दिन रैन

सुरेश चौधरी 'इंदु'

©सुरेश चौधरी  निर्गुण पदावली 3 दिसम्बर 22

निर्गुण पदावली 3 दिसम्बर 22 #कविता

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सुरेश चौधरी

12 नवम्बर 2022
आज की श्रृंगार पदावली

श्याम तन लाग्यो हियो प्रभु सुध लीज्यो।
चपल चितवन मुख अलकावली, मोहनी सूरत मन उलझ्यो
वेणु  धुन  नाच  बावरी  भई, उर छब नटवर की धर दीज्यो
श्याम तन लाग्यो हियो प्रभु सुध लीज्यो।

चंचल लोचन मुख मोर मुकुट, कटि करधनी केयूर माणिक
बांकी  चितवन  बांको  खड्यो, मेरो  बांके  बिहारी  तनिक
नैनन  आन  बस्यो  सांवरो, पलक  निर्मल बन्द कर दीज्यो
श्याम तन लाग्यो हियो प्रभु सुध लीज्यो।

कालिंदी  तट कदम्बन  डार, वेणु स्वर कलकल सरित गान
रास  मदिर  गोपी  संग  नाच,  माधव मोहक  मंजीर  तान
प्रीत भरी प्रभु सूरत प्यारी, इंदु मति सुमति अनुपम कीज्यो
श्याम तन लाग्यो हियो प्रभु सुध लीज्यो।


दोहा:
तिरछी चितवन चंचला, चपल कटीले नैन
बैठ  मुस्काय   सांवरो,  मीठे  मादक  बैन

सुरेश चौधरी 'इंदु'

©सुरेश चौधरी  कृष्ण श्रृंगार पदावली

कृष्ण श्रृंगार पदावली #कविता

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सुरेश चौधरी

राधाष्टमी पर

#Geetkaar

राधाष्टमी पर #Geetkaar #कविता

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सुरेश चौधरी

16 जुलाई 2022
(कृष्ण अनुरक्ति भजन)

देख श्याम की सूरत खिली मुख कली।
पूर्ण वेग से जैसे नदिया , उदधि  मिलन  को  दौड़ चली
बृज बालाएं  श्याम प्रीत में, काम  धाम  सब छोड़ चली
मनमोहन  प्रीत ऐसी लगी , गृहस्थ   से  मुख  मोड़ चली
मानत   नहीं   लोक   मर्यादा, हरि  रंग में  निचोड़  चली
वृषभान लली श्याम की गली, ऐसी  चली कभी न टली
रँगरेज   ने   उर  ऐसा   रँगा, हल्द  चून  मिल लाल बनी
लगता  नहीं मनवा अब कहीँ, श्याम  बिन संगरोध टली
इंदु हृदय समर्पित कृष्ण को, अति संकरी प्रीत की गली
देख श्याम की सूरत खिली मुख कली।

दोहा:
सुध बुध  खोई  सांवरे, जागी  उर मा प्रीत
लोक लाज तज बावरी, भागी मिलने मीत

सुरेश चौधरी 'इंदु'

©सुरेश चौधरी #Ocean
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सुरेश चौधरी

मृत्युंजय स्त्रोत्र
#hindiwritings

मृत्युंजय स्त्रोत्र #hindiwritings #समाज

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सुरेश चौधरी

5 जुलाई 2022

मृत्युंजय स्त्रोत्र भावानुवाद अंतिम कड़ी

कलामूर्ति कालअग्नि जैसे, देव कालकण्ठ  कालरक्षित
नीलकण्ठ विकराल नेत्र हैं, अत्यंत निर्मल उपद्रव रहित
पदाम्बुज युगल  शीश झुकाए, तेरा करूँ कोटिश: वंदन
शरणागत  प्रलयंकर के हूँ, मृत्यु भय का हो जाये शमन

वामदेव   महादेव   जग्गुरु,  विश्वनाथ  नाम   धरणकर्ता
सुर नर मुनि पूजित आराध्य, जगत स्वामी सर्व दुखहर्ता
वृषभचिन्ह जिनकी पताका, महादेव अभ्यंकर को नमन 
शरणागत  प्रलयंकर के हूँ, मृत्यु भय का हो जाये शमन

ओम शांत अनन्त अविकारी, प्रणम्य रुद्राक्ष माला धारी
सर्व  दु:ख  हारी त्रिपुरारी, नमामि  शिव शम्भु जटाधारी
परमानंद  केवल्यं  रूप, मोक्ष प्राप्ति के कारक  भगवन
शरणागत  प्रलयंकर के हूँ, मृत्यु भय का हो जाये शमन

सुरेश चौधरी 'इंदु'

©सुरेश चौधरी मृत्युंजय स्त्रोत्र 

#SunSet

मृत्युंजय स्त्रोत्र #SunSet #पौराणिककथा

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सुरेश चौधरी

29 जून 2022
आज की अध्यात्म पदावली 

यः षट् सपत्नान विजिगीषमाणो गृहेषु निर्विश्य यतेत पूर्वम्
अत्येति दुर्गाश्रित उर्जितारीन क्षीणेषु कामं विचरेद्विपश्रीत् ॥
श्रीमद भाग्वतम्  ५।१।१८ 

नाथ ज्ञान शक्ति देकर मुझे प्रबल किया।
पराजित कर सकूं रिपुओं को, ऐसा निर्मित तन दुर्ग दिया।
गृहस्थाश्रम में रह कर मनुज, ज्ञानेंद्रियों कों प्रभु जीत कर
बलशाली  नृप  सा  होता  है, विरत  देह दुर्ग सुरक्षित कर।
कर  प्रशिक्षित मुझे प्रभु ऐसा, कामेक्षाओं  को क्षीण करूँ
अभय हो विचरण करूँ स्वामी, देह संपत्ति का ऋण भरूँ।
प्रभु इतनी सामर्थ्य दीजिये, कभी न जलाऊँ मद का दिया
इंदु  न  मांगे  अन्य  से मुक्ति, टटोल  ढूंढे  स्वयं  का हिया।
नाथ ज्ञान शक्ति देकर मुझे प्रबल किया।

दोहा:
ज्ञान शक्ति से बल मिला, हुई सुरक्षित देह
झांक  हृदय  में  देख तू, बरसे  कंचन म

©सुरेश चौधरी
  आध्यात्मिक पदावली

आध्यात्मिक पदावली #विचार

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