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आशीष गर्ग 'रायसाहब'

ना नाराज कभी हो पाएंगे तुमसे मुहब्बत ही इतनी की है हमने तुमसे

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आशीष गर्ग 'रायसाहब'

तेरी-मेरी बात सुन रहा है जमाना , 
तेरी मेरी बात 
कर रहा है जमाना,
तेरी -मेरी बात तेरी मेरी बात

तेरी मेरी बात

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आशीष गर्ग 'रायसाहब'

तेरी फ़िक्र में असर ये हुआ, कि हम भूल गए सब ख्वाहिशें ....
दिल मे रह गयी बस तुम्हे पाने की चाहतें .. #ख्वाहिशें
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आशीष गर्ग 'रायसाहब'

काश होते तुम मेरी बांहो में,
रात कटती ना यूँ आहों में ... #तुम
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आशीष गर्ग 'रायसाहब'

#आशु
#स्वरचित
#आम_आदमी
मैं कोई शायर नही 
जिसकी शायरी पर वाहवाही हो 
मैं कोई नेता नही 
जिसके #भाषण पर तालियां हो 
मैं कोई अभिनेता नही 
जिसकी एक्टिंग पर सीटियां बजें
मैं कोई आशिक़ नही
जिसपर कहानी लिखी जाए
मैं हूँ एक आम इंसान
जिसकी पूछ परख कहीं भी नहीं 
जानता नहीं जिसे कोई
रोज जूझता है जो बाजारों से 
हर चीज बाजार की 
जिसे मंहगी लगने लगी है 
बस अपनी ही मेहनत 
उसे अब छोटी लगने लगी है 
मैं वो किसान हूँ ,
जिसे #फसल का भाव नही मिलता 
मैं वो दुकानदार हूँ
जो रोज मन्दी की मार झेलता है 
मैं वो #तरकारी वाला हूँ
जिसका ठेला भरा का भरा रह जाता है 
मैं वो ग्राहक हूँ जो
अपनी ख्वाहिशों को मार देता है 
मैं वो पागल इंसान हूँ
जो #बिजली का बिल ज्यादा आने पर भी भर देता है 
मैं वो बेख्याल हूँ
जो 1.5Gb नेट में सब भूल जाता है
जो हो रहा है आजकल
देख कर भी आंखे मूंद लेता है
मैं वही आदमी हूँ 
जो #ट्रैफिक पुलिस को देखकर राह बदल लेता है
मैं वही इंसान हूँ 
जो घूमता है बाजारों में खानाबदोश सा
घर से लंबी लिस्ट बना
समान अपनी जेब के हिसाब से खरीदता है
झूठ बोल देता हूँ 
घर पर की ये समान मिला ही नही बाजार में
मैं वही हूँ जो 
मुस्कुरा देता हूँ अपने बच्चों का चेहरा देखकर
भूल जाता हूँ मैं 
अपना हर गम ,शिकवे शिकायतें ,सब चाहतें 
मैं वही तो हूँ 
जो टूटी हुई चप्पलों से साल गुजार देता है
लेकिन अपनी बेटी को 
बाजार से महंगे सैंडल दिलवा कर लाता है 
बात करता हूँ मंहगी शिक्षा की
लेकिन अपने बच्चे सरकारी में पढ़ाता है
अरे वही तो हूँ 
जो 370 हटने की खुशी मानता है 
लेकिन वो भी हूँ
जो ट्रैफिक के मंहगे चालानों से डरता है 
कौन पूछता है मुझे 
इस शहर की भरी हुई सड़कों पर 
लेकिन चुनावों के वक़्त
नेता लोग से तलवे चटवाता है 
बाद में वो घास न डालें 
लेकिन इतने में ही खुशी मनाता है 
मैं कौन हूँ 
ये तो मैं भी नही जानता 
सरकार कहती है 
की मैं एक आम आदमी हूँ 
हाँ मैं हूँ आम 
जो खास आदमियो के काम आता है 
सड़को पर आजकल
धरने प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है 
परवाह किसीको नही मेरी 
लेकिन हर जगह बात मेरी ही होती है 
#संसद में बातें 
आम आदमी की भलाई की होती है
भला तो लेकिन
मालूम है सबको किसका हो रहा है 
मैं हूँ या नहीं हूँ
फर्क किसको पड़ता है यहां 
मेरे मरने पर 
कौन इक्कीस #तोपों की सलामी देगा 
मिल जाएं चार कंधे 
इतना ही मेरे लिए काफी है 
जय हिंद
#copyright
#ashish_kumar #आदमी
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आशीष गर्ग 'रायसाहब'

याद तो वो तब आएं ,
जब हम उन्हें दिल से भूला पाएं .....
दरवाजा दिल का बन्द रखते हैं ,
कहीं चुपके से वो दिल से निकल ना जाएं... #याद
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आशीष गर्ग 'रायसाहब'

बदनसीबों के नसीब में आशिक़ी कहाँ नसीब होती है ,
ठुकराए जाते हैं आशिक़ यहां ,
वफ़ाएँ किसी किसी को नसीब होती हैं.. आशिक़ी

आशिक़ी

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आशीष गर्ग 'रायसाहब'

ए चाँद तु मुस्कुरा जी भर कर ,
आज भी ना आई वो वादा कर ,
आज भी देखूंगा मेहबूब को तेरे चेहरे में ,
मुस्कुरा लूँगा मैं भी तुझमे मेहबूब देखकर... #चाँद
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आशीष गर्ग 'रायसाहब'

#आशु
#स्वरचित
#मेरी_रचना
#आम_आदमी
मैं कोई शायर नही 
जिसकी शायरी पर वाहवाही हो 
मैं कोई नेता नही 
जिसके #भाषण पर तालियां हो 
मैं कोई अभिनेता नही 
जिसकी एक्टिंग पर सीटियां बजें
मैं कोई आशिक़ नही
जिसपर कहानी लिखी जाए
मैं हूँ एक आम इंसान
जिसकी पूछ परख कहीं भी नहीं 
जानता नहीं जिसे कोई
रोज जूझता है जो बाजारों से 
हर चीज बाजार की 
जिसे मंहगी लगने लगी है 
बस अपनी ही मेहनत 
उसे अब छोटी लगने लगी है 
मैं वो किसान हूँ ,
जिसे #फसल का भाव नही मिलता 
मैं वो दुकानदार हूँ
जो रोज मन्दी की मार झेलता है 
मैं वो #तरकारी वाला हूँ
जिसका ठेला भरा का भरा रह जाता है 
मैं वो ग्राहक हूँ जो 
अपनी ख्वाहिशों को मार देता है 
मैं वो पागल इंसान हूँ
जो #बिजली का बिल ज्यादा आने पर भी भर देता है 
मैं वो बेख्याल हूँ
जो 1.5Gb नेट में सब भूल जाता है
जो हो रहा है आजकल
देख कर भी आंखे मूंद लेता है
मैं वही आदमी हूँ 
जो #ट्रैफिक पुलिस को देखकर राह बदल लेता है
मैं वही इंसान हूँ 
जो घूमता है बाजारों में खानाबदोश सा
घर से लंबी लिस्ट बना
समान अपनी जेब के हिसाब से खरीदता है
झूठ बोल देता हूँ 
घर पर की ये समान मिला ही नही बाजार में
मैं वही हूँ जो 
मुस्कुरा देता हूँ अपने बच्चों का चेहरा देखकर
भूल जाता हूँ मैं 
अपना हर गम ,शिकवे शिकायतें ,सब चाहतें 
मैं वही तो हूँ 
जो टूटी हुई चप्पलों से साल गुजार देता है
लेकिन अपनी बेटी को 
बाजार से महंगे सैंडल दिलवा कर लाता है 
बात करता हूँ मंहगी शिक्षा की
लेकिन अपने बच्चे सरकारी में पढ़ाता है
अरे वही तो हूँ 
जो 370 हटने की खुशी मानता है 
लेकिन वो भी हूँ
जो ट्रैफिक के मंहगे चालानों से डरता है 
कौन पूछता है मुझे 
इस शहर की भरी हुई सड़कों पर 
लेकिन चुनावों के वक़्त
नेता लोग से तलवे चटवाता है 
बाद में वो घास न डालें 
लेकिन इतने में ही खुशी मनाता है 
मैं कौन हूँ 
ये तो मैं भी नही जानता 
सरकार कहती है 
की मैं एक आम आदमी हूँ 
हाँ मैं हूँ आम 
जो खास आदमियो के काम आता है 
सड़को पर आजकल
धरने प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है 
परवाह किसीको नही मेरी 
लेकिन हर जगह बात मेरी ही होती है 
#संसद में बातें 
आम आदमी की भलाई की होती है
भला तो लेकिन
मालूम है सबको किसका हो रहा है 
मैं हूँ या नहीं हूँ
फर्क किसको पड़ता है यहां 
मेरे मरने पर 
कौन इक्कीस #तोपों की सलामी देगा 
मिल जाएं चार कंधे 
इतना ही मेरे लिए काफी है 
जय हिंद
#copyright
#ashish_kumar #आमआदमी
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आशीष गर्ग 'रायसाहब'

#यमराज
कल रात सपने में यमराज आ गए ,
बोले ,'चलो वत्स तुम्हे लेने आये हैं '
सुनकर मेरी तो सिटी पिट्टी गम हो गयी 
मैं बोला,'महाराज रहम करो मुझ पर
अभी तो दुनिया मे कुछ देखा ही नही 
टेंशन में ही निकल गए अब तक के साल 
जीवन का आनंद तो अभी लिया ही नही '
यम बोले,' वत्स ! बहुत वक़्त दिया था 
हमने तुम्हारे लिए क्या नही किया था 
मौके दिए बहुत हंसने मुस्कुराने के 
बहुत पल दिए आनंद के साथ बिताने के
लेकिन ठुकरा दिए तुमने वो छोटे पल
ढूंढ रहे थे तुम कहीं खुशियां झूठी 
चाहते थे तुम कहीं गाड़िया बड़ी बड़ी 
महलों की चाहत में कुटिया छोड़ दी 
खुशी मिलेगी तुम्हे कहाँ से अब इस जहां में
बैंको से लेकर लोन तुमने महल बनाये
फिर फाइनेंस से ही तुम गाड़ियां लाये
घर सजाने के लिए फानूस ,गलीचे लाये 
अब emi की टेंशन तुम्हे सताने लगी है 
ब्लड प्रेशर ऊपर नीचे अब जाने लगा है 
हार्ट तुम्हारा सही से पम्पिंग करता नहीं है 
ac के बिना नींद तुम्हे आती नही आजकल
दिन में सौ बार भगवान उठाले कहते हो 
अब जब लेने आया हूँ तो मना करते हो '
में बोला ,' प्रभु बात आपकी सही है 
पर एक मौका मुझे ओर भी तो दो 
हमारे देश में मरने वाले कि आखरी 
इच्छा पूरी करने का रिवाज़ भी तो है 
अब से छोटी खुशी में खुशी तलाश लूंगा
कभी आपसे कोई शिकायत ना करूँगा
छोड़ दूंगा महल ,छोड़ दूंगा गाड़ियां 
बस झोपड़ी में ही गुजर कर लूंगा 
सुबह उठ कर खुद को स्वस्थ कर लूंगा'
यम बोले ,'वत्स देता हूँ तुमको जीवनदान
समझ लो यही है मेरा तुमको वरदान 
अब से शिकायत का तुम मौका न दोगे
अन्यथा तुम अपनी जान से हाथ धो बैठोगे 
मैं नही चाहता वक़्त से पहले ही कोई 
गवा दे कम उम्र अपनी जान कोई यूँ ही 
इस लिए जिओ खुल के ,आनद लो 
छोटी छोटी खुशिओं को अपना लो '
इतने में ही खुल गयी थी नींद मेरी 
ये कोई सपना नही हक़ीक़त यही है 
आजकल इंसान इतना सोचता कहाँ है
लेकिन आज से मैं खुद को बदल दूंगा
अपने जीवन का पूरा आनंद लूंगा ....
#स्वरचित
#आशु
#कॉपीराइट_प्रतिलिपि #यमराज
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आशीष गर्ग 'रायसाहब'

मिट जाएं फासले जो तेरे मेरे दरमियान ,
तो मिल जाये मुझे मेरे जीने की वजह ...
                                 आशु वजह

वजह

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