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Rj_Rajesh_बली

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Rj_Rajesh_बली

क्या लिखूँ रखता हूं ख़ुद को खामोश और चिंतनशील 
ये सोचकर ,
कभी लबों पर मीठे बोल फूटेंगे ।
कभी मिलेगा हमें नसीब से ज्यादा ।।
छोटी छोटी उपलब्धियों या उपहारों पर,
मुस्कुराने से क्या फ़ायदा ??

जिन्दगी एक जंग है,
लड़ाई हर सांस के लिए ।
कोई रखे तो कैसे रखे जगह 
दिलों में एहसास के लिए ??
चलो माना राजेश ,
नहीं बचा सके वक्त सभी के लिए ।
कुछ तो वक्त बचाना चाहिए था तुम्हे,
तुम्हारे अपने खास के लिए ।।

अपनी ही उलझनों में उलझकर,
भुल जाते हैं लोग अपना ही वायदा ।
छोटी छोटी उपलब्धियों और उपहारों पर 
मुस्कुराने का क्या फ़ायदा??

©Rj_Rajesh_बली #PoetInYou
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Rj_Rajesh_बली

इस दुनियां के दलदल में,अगर पैर रखोगे।
यकीनन अपने आप से भी, वैर रखोगे।
चल रहीं चहुंओर,ज़ख्म खरोचने वाली हवा
आख़िर किस किस को तुम गैर कहोगे

माना हुए तुम पत्थर सा,
तुम्हें किसी से गिला नहीं
इस बंजर भूमि पर अब,
फसल चक्र का सिलसिला नहीं

छोड़ो मतलबी बारिश का हाथ,
जीवाश्म गलाओ तुम
इस बंजर भूमि से,
कोई ईंधन निकालो तुम
वैर तुमसे कोई रख ही ना पाए
अपनी कीमत ऐसा बढ़ाओ तुम

©Rj_Rajesh_बली #DesertWalk
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Rj_Rajesh_बली

क्या लिखूँ  
प्रधानमंत्री संग्रहालय में ai जनित selfie with PM की एक सुविधा है।
मुझसे पूछा गया, आप भारत के किस प्रधानमंत्री के साथ तस्वीर लेना पसंद करेंगे। 
कुछ सोचने के बाद मैंने देश की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री
आयरन लेडी इंदिरा गांधी के नाम पर मुहर लगा दी।
बाद में मेरे मित्र ने मुझसे सवाल किया। देश में इतने प्रधानमंत्री हुए लेकिन
 इंदिरा गांधी में ऐसा क्या खास है कि तुमने उन्हें ही salect किया??
मैंने कहा, मित्र
भारत रूढ़िवादी तौर पर पुरुष प्रधान देश है, जहां 
महिला के लिए प्रधानमंत्री बनना तो दूर मुख्यमंत्री बनना भी बहुत मुश्किल है। 
लेकिन मैं सिर्फ़ महिला होने के आधार पर उन्हें select नहीं किया बल्कि 
इंदिरा गांधी के कार्यकाल के उन शानदार निर्णय के लिए किया जो
 एक पुरुष प्रधानमंत्री के लिए भी निर्णय लेना आसान नहीं होता।
जैसे की -
1-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 291 और अनुच्छेद 362 में रियासतों के शासकों को
 "प्रिवी पर्स" भुगतान को शासकों के कड़े विरोध के बाबजूद समाप्त करना
• भारत में चिट फंड बैंक आम आदमी को लुभावने लालच में फंसाकर
 रुपयों की उगाही कर भाग जाते थे। बैंकिंग सेवा आम आदमी के लिए दुष्भर था। 
ऐसे में इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई, 1969 को बैंकों के राष्ट्रीयकरण का अध्यादेश लाई।
 ताकि लोगों के पैसे सरकार के निगरानी में सुरक्षित रहे।
•भारत के शत्रु राष्ट्र पकिस्तान का अबतक का सबसे बढ़िया इलाज
 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े करके किया गया और बांग्लादेश को आज़ादी दिलाई।
• 1984 में ऑपरेशन मेघदूत में सियाचिन पर भारत का कब्जा
• अमेरिका द्वारा परमाणु बम बनाने हेतु प्रतिबंध बाबजूद इंदिरा ने 
अपने कूटनीतिक शक्ति का इस्तेमाल कर 1974 में परमाणु परीक्षण करके
 भारत माता का मस्तक ऊंचा की और दुनियां को 
भारत के संप्रभुता और आत्मनिर्भरता का एहसास कराई
बेशक इंदिरा गांधी के द्वारा लगाई गई आपातकाल
 उसके द्वारा किए गए सभी महत्वपूर्ण कार्यों पर पानी फेर दिया। 
लेकिन भारत को आपातकाल को छोड़कर उनके द्वारा की गई
 अन्य महत्वपूर्ण कार्यों पर गौरवान्वित महसूस करना चाहिए।
जय हिंद जय भारत

©Rj_Rajesh_बली #PoetInYou
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Rj_Rajesh_बली

क्या लिखूँ जख्मों और सपनों के बीच द्वंध,
मासूम आंखें  आंकें  किसे  कम।
अच्छा  रहता, दोनों  के  सामने ,
काश  पलकें   झुका   पाते  हम ।।

यादें कंकर फेंकती हैं,
आंसु मुझे सहेजतीं हैं ।
पृथक ना हो दिल के टुकड़े,
आरजू  मेरी  कहतीं  हैं ।।

जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं ?
हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं ??
मिलती मुश्किल से मानव जीवन,
फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है ???

ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ??
क्यूं  है मानव  के  मन  में, मानव से ही  द्वेष ??
पूछ  ही  लिए  हो  तो, एक  कटु  सत्य  समझो ,
लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश ।।

©Rj_Rajesh_बली #PoetInYou
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Rj_Rajesh_बली

क्या लिखूँ  जख्मों और सपनों के बीच द्वंध,
मासूम आंखें  आंकें  किसे  कम।
अच्छा  रहता, दोनों  के  सामने ,
काश  पलकें   झुका   पाते  हम ।।

यादें कंकर फेंकती हैं,
आंसु मुझे सहेजतीं हैं ।
पृथक ना हो दिल के टुकड़े,
आरजू  मेरी  कहतीं  हैं ।।

जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं ?
हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं ??
मिलती मुश्किल से मानव जीवन,
फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है ???

ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ??
क्यूं  है मानव  के  मन  में, मानव से ही  द्वेष ??
पूछ  ही  लिए  हो  तो, एक  कटु  सत्य  समझो ,
लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश ।।

©Rj_Rajesh_बली #PoetInYou
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Rj_Rajesh_बली

क्या लिखूँ जख्मों और सपनों के बीच द्वंध,
मासूम आंखें  आंकें  किसे  कम।
अच्छा  रहता, दोनों  के  सामने ,
काश  पलकें   झुका   पाते  हम ।।

यादें कंकर फेंकती हैं,
आंसु मुझे सहेजतीं हैं ।
पृथक ना हो दिल टुकड़े,
आरजू  मेरी  कहतीं  हैं ।।

जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं ?
हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं ??
मिलती मुश्किल से मानव जीवन,
फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है ???

ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ??
क्यूं  है मानव  के  मन  में, मानव से ही  द्वेष ??
पूछ  ही  लिए  हो  तो, एक  कटु  सत्य  समझो ,
लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश ।।

©Rj_Rajesh_बली #PoetInYou
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Rj_Rajesh_बली

जख्मों और सपनों के बीच द्वंध,
मासूम आंखें  आंकें  किसे  कम।
अच्छा  रहता, दोनों  के  सामने ,
काश  पलकें   झुका   पाते  हम ।।

यादें कंकर फेंकती हैं,
आंसु मुझे सहेजतीं हैं ।
पृथक ना हो दिल टुकड़े,
आरजू  मेरी  कहतीं  हैं ।।

जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं ?
हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं ??
मिलती मुश्किल से मानव जीवन,
फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है ???

ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ??
क्यूं  है मानव  के  मन  में, मानव से ही  द्वेष ??
पूछ  ही  लिए  हो  तो, एक  कटु  सत्य  समझो ,
लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश ।।

©Rj_Rajesh #yogaday
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Rj_Rajesh_बली

जख्मों और सपनों के बीच द्वंध
मासूम आंखें  आंकें  किसे  कम
अच्छा  रहता, दोनों  के  सामने
काश  पलकें  झुका  पाते  हम 

यादें कंकर फेंकती हैं,
आंसु मुझे सहेजतीं हैं
पृथक ना हो दिल टुकड़े
आरजू मेरी कहतीं हैं

जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं
हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं 
मिलती मुश्किल से मानव जीवन
फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है

ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ??
क्यूं है मानव के मन में ,मानव से ही द्वेष ??
पूछ ही लिए हो तो, एक कटु सत्य समझो 
लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश

©Rj_Rajesh #DearKanha
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Rj_Rajesh_बली

Dear Diary क्यूं सुनना हमें, गैरों की जुबानी
लिखनी हमें है, खुद की कहानी
जीवन में हर मौसम,होता नहीं रुहानी
संघर्षपथ का दूसरा नाम है जवानी

©Rj_Rajesh #DEAR_DIARY
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Rj_Rajesh_बली

Nojoto कुछ तो टूटा मुझमें,
कुछ तो आंखों से छलका है।
राहत के बूंदों से मानो,
मन कुछ तो हुआ हल्का है।।

परंतु अपनी नाकामी को, 
कैसे छुपाऊं मैं ??
पढ़े लिखे होने का प्रमाण,
कहां से लाऊं मैं ??

या तो मैं या मुझे, न समझ सका है दुनियां
कुछ भी है पर है ये, शायद मेरी ही कमियां

अपनी कमियों को,
कैसे दूर भगाऊं मैं ??
पढ़े लिखे होने का प्रमाण,
कहां से लाऊं मैं ??

मैं और मेरा जिद्दी मन,
चाहता तो है छूना गगन ।।
आलोचनाओं के बादल को,
पंरतु नहीं कर सकता सहन।।

अपने भीतर सहनशीलता,
कैसे उपजाऊं मैं ??
पढ़े लिखे होने का प्रमाण,
कहां से लाऊं मैं ??

©Rj_Rajesh #WForWriters
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