"दफ्तर से लौटते वक्त मेरे लिये ये सामान ले आना", कहते हुए गीता ने सामान की लिस्ट अपने पति राकेश के हाथों में थमा दी...लिस्ट आधा सा देखकर राकेश ने कहा, "क्या तुम्हारे ये सामान की लिस्ट कभी खत्म ही नहीं होती"
"और क्या मँगाया है मैंने बस घर का कुछ ज़रुरी सामान ही लिखा है" नाक चढ़ाते हुए गीता ने कहा
"ठीक है, देखता हूँ अगर वक्त मिला तो"....कहकर राकेश ने अपना लेपटोप वाला बैग, बाइक की चाभी और हेलमेट उठा के दफ्तर की ओर चल दिया....
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