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vidushimishra1923
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vidushi MISHRA

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vidushi MISHRA

White भला बताओ तो कैसे आ सकती है
 मुझे नींद 
आंखों की राहत के लिए एक दो झपकी
 ले भी लूं 
पर 
नींद तो नहीं आ सकती 
वजह न पूछना
 क्योंकि 
वो बातें इतनी गहरी है कि 
तुम उतर भी नहीं पाओगे मुझमें 
और उतर भी गए तो यकीन मानो 
डूब जाओगे तैर नहीं पाओगे 
ये मैं ही जानती हूॅं मैं कैसे तैरती  हूॅं 
उन तमाम बातों के 
साथ......

©vidushi MISHRA #sad_qoute  poetry in hindi Hinduism

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vidushi MISHRA

तुम्हें सिर्फ सुनती नहीं हूॅं 
तुम आहिस्ता आहिस्ता ठहर जाते हो 
मुझ में ही....

©vidushi MISHRA  poetry for kids

poetry for kids #Poetry

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vidushi MISHRA

White बेहद लगाव नहीं रखना चाहती मैं
 अब किसी से भी
 क्योंकि 
खुद को फिर से खोना नहीं चाहती 
 बिखरी थीं जो पिछली दफा
 अब तक पूरी ना सीमट सकी
 मैं.....

©vidushi MISHRA #sad_shayari  poetry hindi poetry

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vidushi MISHRA

White  कोई बता सकता है कि
 कितना झूठ बोलना चाहिए 
कैसे बोलना चाहिए 
और हाॅं 
किस हद तक चलाक हो जाना चाहिए 
कि 
बस अपना काम बन जाए
 हैरान है सब की  
इस युग में भी मुझे यें सब नहीं आता 
उन्हें कैसे समझाऊं कि
 यें सब करके मुझे सुकून नहीं 
आता अंततः  मैं वही करती हूॅं 
जो वास्तविक होता है
 फिर 
चाहे परिणाम जो भी 
हो.....

©vidushi MISHRA #love_shayari  hindi poetry on life  hindi poetry poetry

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vidushi MISHRA

White  माना कि
 मैं हर गली हर चौराहे से गुजरती हूॅं 
पर यकीन मानो दस्तक  सिर्फ और सिर्फ 
तुम पर ही देती हूॅं
 क्योंकि
 मेरी पहली आरजू  हो सिर्फ और सिर्फ 
 तुम ही हो 
मैं ये भी जानती हूॅं की
 वास्तविक रूप नहीं है तुम्हारा 
पर फिर भी तुम्हारे नाम से जुड़ने
 की चाहत मुझे आखरी सांस 
तक रहेंगी.....

©vidushi MISHRA #good_morning_quotes  आज का विचार  कविताएं

#good_morning_quotes आज का विचार कविताएं

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vidushi MISHRA

White जब कभी हम अपने ही वेदना में 
अपने  अक्षु  तक को व्यक्त 
नहीं कर पाते तो
 ये आसमान के बादल बारिश 
की बूंदे बनकर हम पर गिरते हैं 
लेकिन 
कमबख्त ये जमाना उसे भी
 किच-किच कहता है....

©vidushi MISHRA pppp
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vidushi MISHRA

White सभी अवगत होते हैं 
प्रभाव और उसके माध्यम से 
पर
 पर्दा लोग अक्सर माध्यम
 पर ही डालते हैं...

©vidushi MISHRA
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vidushi MISHRA

White अपने भावों को अगर शब्दों में समेटने  
की कला आ जाए 
तो मुझे नहीं लगता की 
व्यक्त करने का माध्यम इससे बेहतर 
भी हो सकता है
 क्योंकि 
मनुष्य ने तो हमेशा 
भावों का भावों से ही 
हरड़ किया 
है

©vidushi MISHRA 22agust
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vidushi MISHRA

White लोग अपशब्द बोलकर 
सोचते हैं कि 
उन्हें सुकून मिल गया 
और 
सामने वाले को सजा 
पर 
वास्तविकता इससे बहोत अलग होती है.,

©vidushi MISHRA
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vidushi MISHRA

स्पर्श चाहे जिस भी प्राणी 
का हो 
अगर मन को स्पर्श कर ले
 तो 
मनुष्य परत दर परत 
खुलता जाता
 है

©vidushi MISHRA #Journey
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