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ashwanidixit6385
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Ashwani Dixit

Poet, Writer, Blogger, Follower of Modern and Ancient Science (Sanatan Dharma), Observer of World Politics, Pure Vegetarian, Teetotaler

dixitg.wordpress.com

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Ashwani Dixit

खुद को याद दिलाते रहिए
जीवन गाथा गाते रहिए

रिश्तों के नाजुक बंधन हैं
थोड़ा प्यार जताते रहिए

जो तुमसे रूठे बैठे हैं
बार बार मनाते रहिए

दूरी यदि ज्यादा हो जाये
अपने पास बुलाते रहिए

भले कभी सच न हो पाएं
खुद को स्वप्न दिखाते रहिए

- 1 अगस्त, 2021

©Ashwani Dixit #alone
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Ashwani Dixit

ख़्वाबों में उतर जाऊँ यूँ आईना लेकर
मेरे हमदम मुझे मेरा अक्स लौटा दे।

मौज में झूमूँ भी यूँ तेरी तेरी बाहों में,
रहा मरहूम मुझे मेरा रक़्स लौटा दे।।

©Ashwani Dixit #feelings
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Ashwani Dixit

मैं तुम्हारा गीत हूँ और मैं तुम्हारा साज भी हूँ
जितना था कल तक तुम्हारा, उतनी ही मैं आज भी हूँ

व्योम में रश्मि चमकतीं, रश्मियों का आदि मैं हूँ
मैं निखरता रश्मियों से, सुरमई आह्लाद भी हूँ

मैं तुम्हारी ज्योति में हूँ, जलता भी मैं ही निरन्तर
वह अनादि मौन मैं हूँ और अखंडित नाद भी हूँ

मैं तुम्हारा आभामंडल, मैं ही तो मुस्कान में हूँ
मैं तुम्हारा हूँ समर्पण, मैं ही तो अभिमान भी हूँ

मैं तुम्हारे भाव में हूँ और तुम्हारा गान मैं हूँ
प्राण तुम मेरे हृदय की और तुम्हारे प्राण मैं हूँ

14 अप्रैल, 2021

©Ashwani Dixit 🤓
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Ashwani Dixit

जिन पन्नों में तुमने गुलाब रखे थे #dixitg

जिन पन्नों में तुमने गुलाब रखे थे #dixitg #कविता #nojotovideo

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Ashwani Dixit

हम तो हंसते गाते ही चले थे रास्ते परखने को,
शायद हमें परखने मौसम बिगड़ गया।
कल तक लगा करता था कद आसमान का ऊंचा,
लेकिन जब हम उड़े तो ये कम पड़ गया।
© अश्वनी दीक्षित #Life
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Ashwani Dixit

जीवन बीता जीवों को हत कर,
रक्त पिपासु मन को मथ कर,
तुम्हें खुशी हो इसीलिए बस,
क्या पाया हथिनी का वध कर?
- अश्वनी दीक्षित #elephant
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Ashwani Dixit

गर्म रातों में भी लौ जला रहा हूँ मैं,
लीक से हटकर चला जा रहा हूँ मैं।
मातम पसरा है, मालूम मुझे भी है,
पर बर्बादी पर मुस्कुरा रहा हूँ मैं।।
- अश्वनी दीक्षित #Fire #Life
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Ashwani Dixit

चुभती है अब रौशनी भी चरागों की,
दिलो-दिमाग पर छाया अंधेरा है।
रात का सफर भी है कि कटता नहीं,
नाराज ज़िन्दगी है या सबेरा है?

- अश्वनी दीक्षित #LookingDeep #Life
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Ashwani Dixit

वक़्त रिसता रहा सीने से लहू की तरह,
सांस दर सांस मौत बुलाती ही रही।
यूँही मरने के लिए कोई जीता है भला,
ताउम्र तन्हाई ही अगर जलाती रही।

- अश्वनी दीक्षित #Life #Poetry #lifelesson
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Ashwani Dixit

सुनसान दश्त में जलता हुआ दरख़्त देखा है
आईने तक सिमटता हुआ यूं अपना अक्स देखा है
खो गईं हैं मंजिलें मेरी, रास्ते उलझ से गये
मैंने मोम सा पिघलता हुआ भी वक़्त देखा है

- अश्वनी दीक्षित #poor #circumstances  #Time
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