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kamlasingh5106
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Kamla Singh

मैं एक हिंदी और उर्दू की शायरा (कवित्री) और एक लेखिका हूं।हर विधा में लिखने की कोशिश की है।जो मेरी किताबों के मार्फत आपलोगों को हासिल है।

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Kamla Singh

ज़लज़ला
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ताश का महल था
झूट की दीवारें थी
बेईमानी का जोड़ था
नींव लापता 
हवाएँ रिश्वतखोर थीं
ज़लज़ला आ गया अचानक 
हिल गया राजमहल 
ढह गया ताशमहल।

कमला सिंह "जी़नत" #qismat#kavita#jaljalaa
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Kamla Singh

प्यार और फ़रेब प्यार  या फरेब है, है ये  जिंदगी का रंग
प्यार तो सुकून है वरना जिंदगी बदरंग
-----कमला सिंह ज़ीनत #प्यार#फ़रेब
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Kamla Singh

 अमन#चैन#प्यार# मुहब्बत

अमनचैनप्यार# मुहब्बत #nojotophoto

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Kamla Singh

आज   की   रात  को   ज़हर    कर दे 
ज़िंदगी     मेरी      मुख़्तसर    कर दे 

या  तो   मुझको  तमाम  कर  खुद में 
या   तो   खुदको   मेरी  नज़र  कर दे 

उम्र    अपनी     मेरी    मुहब्बत    में 
एक    सजदे   में   तू   बसर   कर दे 

मैं    तुझे    चाहती    हूँ   ऐ   ज़ालिम 
तू    ज़माने   को   ये   ख़बर  कर  दे 

नाम    से     तेरे     जानी    जाऊँ  मैं 
मुझपे   बस  इतनी  सी  मेहर  कर दे 

कुछ न हो सकता हो 'ज़ीनत' के लिए 
आ  मेरी   पुतलियों   को  तर  कर दे 

----- कमला सिंह 'ज़ीनत'

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Kamla Singh

 gazal
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Kamla Singh

बडी़ साँस बेवफा़ है उलझ इसका तानाबाना
फकत हारना लिखा है यहाँ कुछ नहीं है पाना
इन्हीं महफ़िलों में होगी मेरे नाम पर बहस भी
किसी  रंग में  करेगा  मेरा  ज़िक्र  ये  ज़माना

 ____कमला सिंह 'ज़ीनत'

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Kamla Singh

पाक  दामन  थी  मैं  छीटों  पे गवाही के लिये
रु - ब - रु  हक़  में  नहीं  सामने  आया चेहरा 
 कमला सिंह 'ज़ीनत' मेरे शेर

मेरे शेर

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Kamla Singh

नयनों की बुनकारी देखूँ
बाँसुरिया गुणकारी देखूँ
                   तिरछे नयन खु़मारी देखूँ
                     सुधबुध  हारी- हारी देखूँ

__कमला सिंह "जी़नत"

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Kamla Singh

टूटने का ,सिलसिला  अब छोड़िये
दिल कोई पत्थर नहीं, जो तोड़िये

टुकडे़-टुकडे़ ,हो गये हैं  लोग  सब
है हुनर तो फिर से सबको जोड़िये

___कमला सिंह "जी़नत" #
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Kamla Singh

जीवन के दिन चार हैं, मत कर तू अभिमान |
 साथ न कुछ भी जाएगा, धन दौलत सामान ||
----कमला सिंह ज़ीनत # अभिमान

# अभिमान

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