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panditsavya7785
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Savyasachi 'savya '

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Savyasachi 'savya '

White हिंदी हूं मैं ! हाय सखी !
हिंद सुता भाग्य  पर,
हालत हमारी ये कि,
हिंद में हराम हूं,
संविधान में है आब,
पर यथार्थ बना ख्वाब,
भले रहूं कंठ में,
हृदय में ताधडाम हूं ,
मेरा ये वजूद, जैसे बने लहू, दूध,
बहना ही काम क्योंकि,
खास नही आम हूं,
थामे मेरा पल्लू, इठलाती ये आज़ादी आई,
आज सारे कहते कि ,मैं ही नाकाम हूं,
मेरे कृति - कर्म पे, दिखाओ युग - धर्म अब,
न्याय दे मुझे यूं लोक - न्याय को निखार दो,
संवैधानिक अधिकार,आए व्यवहार में तो,
तीन -सौ - तैतालिस देख, मेरा अधिकार दो...

©Savyasachi 'savya ' #hindi_diwas
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Savyasachi 'savya '

White मृत्युदाता नाम तेरा औ' महिमा अमिट अपार है,
पूरे जग में जोगी मेरे , बस तेरी सरकार है।

नेत्र रजोतम -मोह विप्लवा, शुद्ध ज्ञान की ज्वाला है,
तन तेरा जग पूर्ण - काम, सम्मोहनकारी हाला है।
सृष्टि- सिद्ध - सृष्टा - समष्टि तू  परम् सिद्ध व्यवहार है,
पूरे जग....

होश तू , मदहोश  तू  ही, तू  ही  जड़  है,  चेतन भी,
वर्षों साधे तप ओ भोला! , प्रतिक्षण करता नर्तन भी,
मृत्युदाता   नाश   देव   तू  ,  तू   ही   जियावनहार   है,
पूरे जग...

©Savyasachi 'savya ' #sawan_2024
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Savyasachi 'savya '

White रे बुलबुल! पूछ करके आ,
कैसे मां बना डाली ?
दुखों को करके दरकिनार
सुखों का गूंथ करके हार
दिल में ममता बेशुमार 
आंचल अहर्निश पतवार 
स्वर्ग को गढ़ के तूने साज 
इक काया बना डाली

रे बुलबुल ....

मुझे होली दिवाली क्या?
मुझे रंगों की डाली क्या?
मेरी धानी - धरा लहलह
मुझे चंदा की प्याली क्या?
सिसकती रात छट जाती,
कसक से प्यास नट जाती,
तेरी सिंदूरी छइयां में,
यूं हर फरियाद मिट जाती,

दुपहरी कर सहज शीतल,
तरल शम्मा बना डाली
री बुलबुल...

©Savyasachi 'savya ' #mothers_day #Panditsavya
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Savyasachi 'savya '

आत्म पर उन्मुक्ति औ' अह्वलाद का घेरा लिखूंगा,
शून्य  में  सर्वस्व  घोले , मैं ,  मुझे   तेरा   लिखूंगा,
स्वप्न की धुंधली शिखा पर,
कल्पना अस्तित्व पाती,
स्व की एकाकी धरोहर,
साम्य  होकर   द्वित्व  गाती,
उम्र  अंबुधि में  सरस , दिनमान  का  भेरा लिखूंगा,
शून्य में सर्वस्व घोले , मैं , मुझे   तेरा  लिखूंगा ...

©Savyasachi 'savya ' #khoj
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Savyasachi 'savya '

आत्म पर उन्मुक्ति औ' अह्वलाद का घेरा लिखूंगा,
शून्य  में  सर्वस्व  घोले , मैं ,  मुझे   तेरा   लिखूंगा,
स्वप्न की धुंधली शिखा पर,
कल्पना अस्तित्व पाती,
स्व की एकाकी धरोहर,
साम्य  होकर   द्वित्व  गाती,
उम्र  अंबुधि में  सरस , दिनमान  का  भेरा लिखूंगा,
शून्य में सर्वस्व घोले  , मैं , मुझे   तेरा  लिखूंगा ...

©Savyasachi 'savya ' #Likho #savyakabir #panditsavya
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Savyasachi 'savya '

रीति रघुकुल, सज्ज शरीरा,
मति -मानस सब राम,
सीता -श्री - सुख, सार -समन्वित,
घर हो अयोध्या धाम...

 दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ,
🙏😊🙏

©Savyasachi 'savya ' #diwalifestival #Panditsavya
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Savyasachi 'savya '

तू जिस सुकून की मिन्नत करता है
मैं जिंदा मिन्नत दिखा दूंगा,
कभी आ मेरे घर, मैं जमीन पर,
जन्नत दिखा दूंगा,
प्यार, इकरार , इज्जत ओ ' बहार
दर - ब- दर भटकता है ,तू जिसकी खोज में,
वो हर चीज यूं ही मिल जाती, मेरी मां की गोद में,
या रब!!
मेरी बुराइयों पर अंकुश रख,
बड़े दुख झेले है मेरी मां ने मेरी परवरिश में,
या खुदा!!!
उसे हमेशा खुश रख...।

©Savyasachi 'savya ' #MothersDay #panditsavya
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Savyasachi 'savya '

कसक देती ठसक ठोकर, 
ठोकरों में ठांव मेरा.
राम तुम्हरी राजधानी , 
राम ही है गांव मेरा...
अवतरण है संचरण इक, 
दिव्यता से मानुजता का.
पर मनुज ही देवता है, 
साक्ष्य इसका राम मेरा...
शीलगत उद्दात में उद्दाम उत्तम राम मेरा!!
# ऋद्धिरम्य रामनवमी #

©Savyasachi 'savya ' #Ramnavami  कसक देती ठसक ठोकर, 
ठोकरों में ठांव मेरा.
राम तुम्हरी राजधानी , 
राम ही है गांव मेरा...
अवतरण है संचरण इक, 
दिव्यता से मानुजता का.
पर मनुज ही देवता है, 
साक्ष्य इसका राम मेरा...

Ramnavami कसक देती ठसक ठोकर, ठोकरों में ठांव मेरा. राम तुम्हरी राजधानी , राम ही है गांव मेरा... अवतरण है संचरण इक, दिव्यता से मानुजता का. पर मनुज ही देवता है, साक्ष्य इसका राम मेरा...

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Savyasachi 'savya '

मैं मोहन को समझा लूंगा, 
समझा तुमने?
राधा को भी बहला लूंगा, 
समझा तुमने?
उद्धव -गोपी के द्वंदों को धता बताकर...
यमुना से भी बदला लूंगा,
समझा तुमने?

भंजित भाव भले पर, कहां गुनाह हुआ है ?
हाय!मनुज का निरा बुद्धि से ब्याह हुआ है!!

©Savyasachi 'savya ' #Likho  मैं मोहन को समझा लूंगा, 
समझा तुमने?
राधा को भी बहला लूंगा, 
समझा तुमने?
उद्धव -गोपी के द्वंदों को धता बताकर...
यमुना से भी बदला लूंगा,
समझा तुमने?

#Likho मैं मोहन को समझा लूंगा, समझा तुमने? राधा को भी बहला लूंगा, समझा तुमने? उद्धव -गोपी के द्वंदों को धता बताकर... यमुना से भी बदला लूंगा, समझा तुमने? #poem #शायरी #Panditsavya

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Savyasachi 'savya '

अबकी होली बाबू लक्ष्मण भैया हों श्रीराम
सीता जैसी भाभी हों औ' घर हो अयोध्या धाम
जोगीरा सारा... रा... रा... रा २...
ब्रज - मथुरा, विदेह - अवध औ' रंगी मसानी काशी,
सियाराम मन कृष्ण राधिका, तन गिरिजा कैलाशी...
जोगीरा सा... रा... रा... रा...

❤️

©Savyasachi 'savya ' #होली #Panditsavya
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