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vijaysinhshivaji7753
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vijaysinh

I am कवि

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vijaysinh

कविता चंद लकीरें होती है

जो कागज पर सोई होती हैं

औरों की नजर से,

लेखक की भावना होती है कविता,

शायर का इरादा होती हैं कविता

बस साधक होती है कलम 

उसका साध्य होती है कविता,

मन का तड़पना होती है कविता,

जीने का मकसद होती हैं कविता,

दिल उसका नैना है तो 

उसका कजरा होती है  कविता

यूं तो कजरा होता है सुंदर

पर ,आंख का स्वाभिमान होता है #World_Poetry_Day
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vijaysinh

कोरोना नाम का बवाल चल रहा  है।

वह उस समय का फल हैं ,जो कुछ 

दशकों पहले इंसान कि सोच थी,

उस जमाने में  छू त  अछूत की बाते करते थे

उस कर्म का ही फल हैं 

आज,

 हर कोई सब की नज़रों में अछूत हैं,

कोई किसी को  अछूत समझ रहा है,

स्पर्श करने से भी डरते हैं। #Corona
#go corona

#corona #go corona

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vijaysinh

कुत्ते के भोकने पर,

और,

नेता के बकने पर

विश्वास न रखें
,
,

बेंचोद 

दोनों को खुजली होती हैं , #दिल में आया बोल दिया
#viral

#दिल में आया बोल दिया #viral

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vijaysinh

सुरुवातीला स्वप्नात यायची ,
 स्वप्नात देखील स्वप्ने दाखवायची
मग सगळे भारी भारी वाटायचे
अंधार पण उजेड दाखवायचा
कडू पण गोड जाणवायच
पहाट पण रात्र जाणवायची
बरे ना वाटणे देखील बरे वाटायचे
एवढ्या आयुष्यात जीवन दिसायचे
मला वाटे मलाच होतंय हे सगळे,
        पण नाही

गावात बऱ्याच जणांना असे होत होते,
आम्ही सावरू लागलो स्वतःला
           आता काय ...काय..काय

उशाला सळुता घेवून झोपतो #कविता
#विरह कविता
#viral
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vijaysinh

वाट असायची ह्या निषेची,

झोपी जाण्याची, अपेक्षा असायची

स्वप्नी यावी राणी माझ्या मनाची

आतुरता असायची  अलींगणाची

.असा भास होता अमुचा
.
.
.
 
 आता आम्ही सावधच झोपतो # दिल में आया बोल दिया
#कविता
#poet and poem

# दिल में आया बोल दिया #कविता #Poet and poem

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vijaysinh

काग़ज़ी कल्मो के लिये,

हम इंसान इंसान लढ रहे हैं,

रस्तो पर यह फसाद  कर के,

इंसानियात का कतले आम कर रहे हैं

गुलिस्तां को हम क़ब्रस्तां बना रहें हैं,

"हम" # दिल में आया बोल दिया  पर सच बोल दिया

# दिल में आया बोल दिया पर सच बोल दिया

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vijaysinh

गणतंत्र में जनता का एक ही दिन होता हैं,

वो हम एक m p तय करते हैं

बाकी पाच साल  mp ही देश का क्या करना 

तय करता हैं # दिल में आया बोल दिया

# दिल में आया बोल दिया

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vijaysinh

writing quotes in hindi  मन पीढ़ा से बैचेन हो जाता है,

तब जा के क़लम कागज स्याही रोता है।

क़लम खुद का नहीं,औरों का  दुख 

रोता हैं।

हर पन्ने पर क्रांति की बीज बोता है।

दुनिया में सब से ज्यादा दुखी  क़लम हैं,

हर वक़्त खून के आंसू रोता है,

खून रूपांतर चंद लकीरों में होता है।

अब लोक उसे अल्फ़ाज़ समजते हैं

पर वह अल्फ़ाज़ नहीं लब होते हैं

जो क़लम के दिलसे निकले होते है। #कविता 
#क़लम कविता
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vijaysinh

हम विधायक चुनते हैं,

हम mp चुनते हैं,

फिर भी हमको  आंदोलन करना पड़ता है,

हम को ही सब बंद करना पड़ता हैं,

इसका ज्यादा नुकसान भी हमारा होता है

जब हम बंद करते हैं ,

तो वो बेचने वाला ,और खरीदने वाला 

आम आदमी होता है,

बस जलाते हैं  जब भी,

वो बस में बैठने वाला भी 

आम आदमी , होता है,

चलाने वाला भी आम आदमी #Dil में आया बोल दिया

#Dil में आया बोल दिया

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vijaysinh

आंदोलन से मस्ला हल नहीं होता

बेंचोद नया नेता पैदा होता है,

ऐसा पैदा होता है,

सारी नेतागिरी का  ,

रिकॉर्ड तोड देता है,

आम आदमी कल भी आम था,

आज भी हैं,

और कल भी रहेगा , # दिल में आया बोल दिया
#कविता

# दिल में आया बोल दिया #कविता

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