Nojoto: Largest Storytelling Platform
harshitsingh3821
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Harshit Singh

अंधेरी रातों का जुगनू हूं मैं, रात के अंधेरे को गुरूर है खुद पर, पर हमारे उजाले के सामने वह फीका है हम खुद की रोशनी पर नाज करते हैं कभी किसी से उधार लेना नहीं सीखा है.

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Harshit Singh

jala do jism ko mere
mita kr bhuk apna  tum 
ma ki rotiyo ki takat 
behn ki pyar ki chadar 
jo tere sath rhta hai 
mai bhi kisi ki ma 
behen hu 
fir mere sath
 esa kyu krta hai

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Harshit Singh

साइंस फिजिक्स जुगराफिया बहुत पढ़ी होगी तुमने मगर ,
मेरी आंखों को पढ़ना जानती हो क्या?

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Harshit Singh

बेटी   बस इतना ही आप सब से कह जाती हूं मैं
समाज की ओछी मानसिकता की बेड़ियों से बंध जाती हूं मैं
लाखों सपने लिए आंखों में घर में ही रह जाती हूं मैं
बस एक ही जुर्म है मेरा की ""बेटी ""हूं मैं #nojoto
बस इतना ही आप सब से कह जाती हूं मैं
समाज की ओछी मानसिकता की बेड़ियों से बंध जाती हूं मैं
लाखों सपने लिए आंखों में घर में ही रह जाती हूं मैं
बस एक ही जुर्म है मेरा की ""बेटी ""हूं मैं

 Indeevar Joshi Haksh Pandey Fateh Chauhan Divya Joshi नयनसी परमार

nojoto बस इतना ही आप सब से कह जाती हूं मैं समाज की ओछी मानसिकता की बेड़ियों से बंध जाती हूं मैं लाखों सपने लिए आंखों में घर में ही रह जाती हूं मैं बस एक ही जुर्म है मेरा की ""बेटी ""हूं मैं Indeevar Joshi Haksh Pandey Fateh Chauhan Divya Joshi नयनसी परमार

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Harshit Singh

बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ यही बिहार का नारा है
कूड़े कचरे चुनचुन कर हो रहा इनका गुजारा है बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ यही बिहार का नारा है
कूड़े कचरे चुनचुन कर हो रहा इनका गुजारा है
#nojoto

बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ यही बिहार का नारा है कूड़े कचरे चुनचुन कर हो रहा इनका गुजारा है nojoto

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Harshit Singh

तूमरे रस में पिया डूबा है तन मन मोरा
तनीक छुअन से यूं बलखाए जैसे कोई कागज कोरा तूमरे रस में पिया डूबा है तन मन मोरा
तनीक छुअन से यूं बलखाए जैसे कोई कागज कोरा Internet Jockey नयनसी परमार Fateh Chauhan Divya Joshi Haksh Pandey

तूमरे रस में पिया डूबा है तन मन मोरा तनीक छुअन से यूं बलखाए जैसे कोई कागज कोरा Internet Jockey नयनसी परमार Fateh Chauhan Divya Joshi Haksh Pandey

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Harshit Singh

मशहूर  मैं तुमसे बिछड़कर प्रेम रोगी नहीं शायर बना हूं
अपने तर्पण को कोरे कागज पर उतार कर मशहूर हुआ हूं मैं तुमसे बिछड़कर प्रेम रोगी नहीं शायर बना हूं
अपने तर्पण को कोरे कागज पर उतार कर मशहूर हुआ हूं Aadarsha singh Haksh Pandey Fateh Chauhan Divya Joshi Kajal Kapoor

मैं तुमसे बिछड़कर प्रेम रोगी नहीं शायर बना हूं अपने तर्पण को कोरे कागज पर उतार कर मशहूर हुआ हूं Aadarsha singh Haksh Pandey Fateh Chauhan Divya Joshi Kajal Kapoor

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Harshit Singh

मेरे बदन पर कपड़े नहीं है यह अलग बात है कि तुम सोने के चम्मच से खाते हो
मैं तो टूटी फूटी झोपड़ियों में गुजारा कर लेता हूं तुम महलों में रात बिताते हो मेरे बदन पर कपड़े नहीं है यह अलग बात है कि तुम सोने के चम्मच से खाते हो
मैं तो टूटी फूटी झोपड़ियों में गुजारा कर लेता हूं तुम महलों में रात बिताते हो

मेरे बदन पर कपड़े नहीं है यह अलग बात है कि तुम सोने के चम्मच से खाते हो मैं तो टूटी फूटी झोपड़ियों में गुजारा कर लेता हूं तुम महलों में रात बिताते हो

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Harshit Singh

हवस की आंधी चली और मेरा साया उड़ गया
दरिंदगी में वह मां बहनों का पहचान भूल गया
 नोच खाया है उसने मेरे पूरे बदन को
शरीर पर कपड़े भी नहीं बचे हैं अब कफन को
 क्या कहूंगी मैं इस गूंगे बहरे समाज को
एक पल की भूख मिटाने को मुझे कलंकित कर गया
पूरा जीवन नजरे छुपाने को मुझे जिंदा छोड़ गया हवस की आंधी चली और मेरा साया उड़ गया
दरिंदगी में वह मां बहनों का पहचान भूल गया
 नोच खाया है उसने मेरे पूरे बदन को
शरीर पर कपड़े भी नहीं बचे हैं अब कफन को
 क्या कहूंगी मैं इस गूंगे बहरे समाज को
एक पल की भूख मिटाने को मुझे कलंकित कर गया
पूरा जीवन नजरे छुपाने को मुझे जिंदा छोड़ गया
 Internet Jockey नयनसी परमार Indeevar Joshi Aadarsha singh

हवस की आंधी चली और मेरा साया उड़ गया दरिंदगी में वह मां बहनों का पहचान भूल गया नोच खाया है उसने मेरे पूरे बदन को शरीर पर कपड़े भी नहीं बचे हैं अब कफन को क्या कहूंगी मैं इस गूंगे बहरे समाज को एक पल की भूख मिटाने को मुझे कलंकित कर गया पूरा जीवन नजरे छुपाने को मुझे जिंदा छोड़ गया Internet Jockey नयनसी परमार Indeevar Joshi Aadarsha singh

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Harshit Singh

पिंजरे में अगर चांद को कैद करोगे
फिर रोशनी से मोहब्बत तुम कैसे करोगे

हर शाम कोई ही चांद आता है मेरी खिड़की पर
और अपनी रोशनी की वफा की कहानियां सुनाता है पिंजरे में अगर चांद को कैद करोगे
फिर रोशनी से मोहब्बत तुम कैसे करोगे

हर शाम कोई ही चांद आता है मेरी खिड़की पर
और अपनी रोशनी की वफा की कहानियां सुनाता है

पिंजरे में अगर चांद को कैद करोगे फिर रोशनी से मोहब्बत तुम कैसे करोगे हर शाम कोई ही चांद आता है मेरी खिड़की पर और अपनी रोशनी की वफा की कहानियां सुनाता है

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Harshit Singh

फसलों की बुनियाद पर टिकी परी है जीवन की गाथा
भूख लगे तो काम ना आवे कोई भी रघुवर की गाथा फसलों की बुनियाद पर टिकी परी है जीवन की गाथा
भूख लगे तो काम ना आवे कोई भी रघुवर की गाथा

फसलों की बुनियाद पर टिकी परी है जीवन की गाथा भूख लगे तो काम ना आवे कोई भी रघुवर की गाथा

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