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sufiaz6251267617742
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Sufi Az

Sufi Musafir

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Sufi Az

पहले यकीन तो कामिल कर।।
फिर मुरीद बन ना।।

जब यकिन कामिल होगा तो।।
अपने मुर्शीद के करीब की हर सय

में जलवे उसी के दिखेंगे ।

ओर पीर भाई वो है 
जो हस्र में एक साथ  अपने पीर के पीछे सर झुकाए खड़े होंगे।।
तुम  यहां भी साथ रहो।।अल्लाह तुम्हे वहा भी साथ। रखेगा ।।।इंशाअल्लाह

©Sufi Az
  peer bhai
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Sufi Az

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Sufi Az

 पीर__ मकसद नही है।।
पीर __जरिया है।।
पीर __रास्ता है।।
पीर __वासिला है।।
ओर हमारा मकसद सिर्फ अल्लाह है ।।
ओर उस मकसद पे सिर्फ हमें सिर्फ ।।हमारा पीर ही पहुंचाता है।।
इस लिए ।।।इंसान कामिल पीरो की दरवेशो की सोहबत में पहुंच जा ।।ताकि तू अपनी मंजिल e मकसूद को पा सके।।।

©Sufi Az
  peer ki sohbat

peer ki sohbat #शायरी

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Sufi Az

कहा अब लुत्फ रौनक ए जहा में आता है।।
मजा तो तेरे इश्क की वफा में आता 
है।।
बरसो से देखा नहीं हां मैने आइना
केसे कहूं की हर जगह मुझे तू ही तू नजर आता है ।।



( अगर मार्फत के समुंदर में गोते लगाना चाहते हो ।।
( अगर खुदा के इसरार ( कुरब ए इलाही को पाना चाहते हो )
तो सिर्फ एक ही वसीला काफी है।।वो सिर्फ (मोहब्बत) और मोहब्बत सिर्फ अपने रूहानी पेसवा यानी अपने मुर्शीद ए पाक (पीरो मुर्शीद ) से करो जो तुम्हारे दिल को मूतमइन कर तुम्हारे दिल को हबलूल वरिद से जोड़ दे

©Sufi Az मोहब्बत

मोहब्बत #शायरी

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Sufi Az

( जिक्र की हकीकत  )
जिक्र एक तरफ अल्लाह कि तरीफ  व बढ़ाई करने  के लिए है।।और दूसरी तरफ अल्लाह की रहमत व साया हसिल करने के लिए है।।
जिक्र वो इबादत है ।।जिसको खुदा ने  हर इबादत से आला रखा है ।।रोजा नमाज हज जकात एक वक्त पे  मना है । सिर्फ जिक्र ही वो इबादत है जो हर एक  लम्हा   हक है।।अल्लाह ने कुरआन ऐ करीम में इरशाद फरमाया।।। बंदे तू मेरा जिक्र महफिलों में करेगा तो में तेरा ज़िक्र फरिसतो के दर्मियां करूंगा।।।और अगर तू मेरा जिक्र तनहाई में करेगा तो में तेरा ज़िक्र मेरी साने तन्हाई में करूंगा।।।ये फजिलते है जिक्र की।

©Sufi Az
  जिक्र की फजीलत।।

जिक्र की फजीलत।। #शायरी

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Sufi Az

तेरे दर कामंगता हु मुझे मेरी तलब से अता कर
तेरे इश्क में तड़पता रहू मुझे वो गम अता कर
तेरा नाम लू में जब जब दिल  रोए ये तब तब पढू तेरे नाम की तस्बीह मुझे 
ऐसा विर्द अता कर
सब कुछ छीन के दुनिया बोली बचा क्या तेरा ,मेरे मुर्शीद इनको दिखा सकूं मुझे अपना लकब अता कर
बेघर हुआ हू में उजड़ा मेरा चमन हैं
तेरे दर पे सदा रहू में ऐसी गुलामी अता कर
होके फना जो पहुचु या खुदा रोज ऐ महशर,,है दुआ इतनी उस रोज तेरा दस्त ऐ करम अता कर
रुकती है ज़बान मेरी  मुर्शीद यकिन तुम पे है कामिल,,जब जाऊ लहद को,,तो रुसवा करना हो से तो दीदार अपना अता कर
रह लूंगा कब्र में ,,में हस्र के रोज तक
देखू वहा रोज तुझको ,मुझे ऐसी निशानी अता कर
हू फूल तेरे चमन का ऐ मेरे मुर्शीद 
हश्र तक  महकु मुझे ऐसी खुसबू अता कर
सब कुछ दिया तूने लेकिन एक आरजू है 
फिर मिले जो जिंदगी।तो साथ अपना अता कर

©Sufi Az
  मेरे मुर्शीद तेरा करम अता कर

मेरे मुर्शीद तेरा करम अता कर #शायरी

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Sufi Az

अल्लाह ने मेरे पीरो मुर्शीद को वो शान दी है।।की आपने हजारों मुर्दा दिलो को रोशन किया है।और आपकी दुआ ओ के सदके हजारों घरों को और दिलो को रोशन करती है।।अल्लाह ने आपके नाम _ऐ।_(हजरत सूफी शराफत अली शाह ) सिफाती में वो तजलियात दी है ।।।जो बेमिसाल है।।। वैसे तो कोई मेरे मुर्शीद के ओसाफ बयान नही कर सकता लेकिन इस गुलाम ने कुछ अदना सा बयान किया है।
आपके नाम का (श)__शरीयत सफाअत शिफा
आपके नाम का (र)__रहमत रियाजत राहत
आपके नाम का (फ)__फैज फकीरी फलां
आपके नाम। का (त)__तोहिद तालीम तर्बियत
ये सब मेरे पीरो मुर्शीद के नाम की तजलियात है ये अदना सी है 
जो इस गुलाम के  कल्ब यकिन ऐ कामिल ने बयान की है वरना
मेरे मुर्शीद की शान ऐ अजीम दुनिया की कोई कलम बयान नही कर सकती ।,

©Sufi Az
  मेरे पीरो मुर्शीद।।

मेरे पीरो मुर्शीद।। #शायरी

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Sufi Az

खाली था ये दिल और रूह भी बेजान थी
दुनिया की गफलतों में हक से अंजान थी 
पहुंच के दर ऐ  मुर्शीद पे ये जाना है 
थी तो है जो हक का दीवाना है
उसी के कदमों में गिर के मेने 
उसी की शोनी अदाओं को मांगा है
मुर्शीद ने दस्ते हक को रख के सिर पे जो 
दुआ दी है।कसम से मेरे मुर्शीद इस
 खाकशर  को देख हैरत में जमाना है
दुनिया को क्या खबर मेरे यकीन ऐ कामिल का ।मेरा मुर्शीद हक की शम्मा है
तो ये गुलाम उस शम्मा का परवाना है

©Sufi Az
  मेरे पीरो मुर्शीद।।

मेरे पीरो मुर्शीद।। #शायरी

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Sufi Az

अपने आप को किसी और पे निर्भर ना करो
वर्ना ऐसे मोड़ पे खुदको।अकेला पाओगे 
जहा आपको किसी की  की सख्त जरूरत होगी ।।।
किसी पे ऐतबार न कर 
ऐ यार 
यहां अपना कहने वाले ज्यादा लुटते है

©Sufi Az
  किसी पे ऐतबार न कर

किसी पे ऐतबार न कर #शायरी

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Sufi Az

दिखाके मुहब्बत वो इस कदर ।
जैसे उसका सब कुछ मुझ से है
उसने ही आज बोल दिया 
दुनिया में मुझे नफरत। बस तुझ से है
ये वक्त वक्त की बात है जनाब 
कभी महोब्बत हम से है कभी तुम से है

©Sufi Az
  kesi hai ye mahobbat

kesi hai ye mahobbat #शायरी

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