पांच वार्षिक उत्सव देखो, फ़िर से लौट आया,
कुएं में जो मेंढ़क था, फुदक के बाहर आया।
' पुरानी' गलियां साफ़ हो रहीं, साफ़ हो रहे नाले,
रंग बदलता बहुत खूब तू, वाह रेे कुर्सी वाले।
जन सेवक भी कहता खुद को, आम आदमी मानता है,
फिर भी तेरा बेटा कहता, " मेरे बाप को जानता है?"