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mdgulamrasul7924
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Md gulam Rasul

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Md gulam Rasul

फेसबुक और इंस्टाग्राम पर चल रही इन reels को देखकर अहसास हो रहा है कि आखिर क्यों हमारे बजुर्गों ने औरत को पर्दे में रखा था....

अरे ये माँस के लोथड़े हैं जो पुरुषों को कम और स्त्री को थोड़े ज्यादा दे दिए गए हैं।

नीचता कि इतनी हद कि तुम चंद likes और views पाने के लिए कभी वक्षस्थलों और नितंबों को हिला रही हो तो कभी जांघों को खोलकर अपने जननांग की तरफ भद्दा इशारा कर रही हो....

तुम्हारी इन reels को देखकर कुछ युवा उन reels को तुम्हारे व्यक्तित्व के साथ जोड़ कर देखने लगते हैं जिसके चलते कई बार तुम्हारे साथ दुराचार हो जाता है ।

और फिर किसी टेलीविजन चैनल पर उस मुद्दे पर चर्चा में कुछ तथाकथित नारी संरक्षण संस्थाएं समस्त पुरुष जाति की मानसिकता और चरित्र को लेकर उल जलूल शब्दावली का इस्तेमाल करती हैं तो यकीन मानिए हम अपनी ही लाड़ी और बेटी के सामने खुद को उस गुनाह के लिए शर्मिंदा महसूस करते हैं जो हमने किया ही नहीं......

चलो ठीक है...आपने कैसे कपड़े पहनने हैं हमें इससे कोई वास्ता नहीं लेकिन अमार्धनग्न वस्त्र आप अपने वक्षस्थलों और नितंबों को हिला-हिला कर reels डालोगे तो हमें आपत्ति है क्योंकि यदा-कदा हमारा फोन हमारे बच्चों के पास भी होता है और आपकी इन कामुक reels से उनके दिमाग पर नकरात्मक प्रभाव पड़ सकता है .....

मुझे उम्मीद नहीं है कि चन्द औरतों की इन हरकतों के कारण हो रहे समस्त नारी जाति के अपमान को रोकने के लिए भी कोई नारी संरक्षण संस्था मुहिम छेड़ेगी..

©Md gulam Rasul
  #TeriMaKiJaiMeriMaaKiViru 
#Chut
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Md gulam Rasul

White रात के दो बज रहे हैं पर मुझे नींद नहीं आ रही है। मन बहुत उदास है। एक बार पलट कर पति वीरेन की तरफ देखा तो वो बड़ी ही सुकून भरी नींद में सो रहे थे। एक बार तो देख कर मन घृणा से भर गया। पिछले कुछ दिनों में जो कुछ भी घटा है मेरे साथ, उसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है। मेरा तो कोई अस्तित्व ही नहीं है। जिसने जैसा चाहा वैसा चलाया। और अब जैसा चाह रहे हैं वैसे ही सांचे में ढालने की कोशिश कर रहे हैं। और उसमें मेरे पति का योगदान सबसे ज्यादा

है।

मेरा नाम रिया वर्मा है। मैं अपने ससुराल में छोटी बहू हूं। मेरे ससुराल में मेरी सास सरला जी, मेरे पति वीरेन और मैं और हमारा एक बेटा है।

अब आते हैं असल मुद्दे पर। दरअसल अभी एक महीने पहले मेरे पिता का आकस्मिक निधन हो गया। घर में मां के अलावा कोई नहीं बचा। मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हूं। मम्मी पापा बताते थे कि मेरे जन्म के दो साल बाद एक बेटा हुआ था पर वह दो दिन से ज्यादा जी नहीं पाया। इसे अपनी नियति मानकर उन्होने मेरी परवरिश पर ही ध्यान दिया और दूसरे बच्चे की आस छोड़ दी।

खैर, पिताजी की मृत्यु के बाद अब कई फैसले लेने थे। सबसे बड़ा फैसला की मां कहां रहेगी? क्योंकि मां अब बिल्कुल अकेली हो चुकी थी इसलिए मैं उन्हें अकेला छोड़ना नहीं चाहती थी, लेकिन ससुराल में मां को लाने को भी तैयार नहीं थी। कारण, जब मेरे बेटे ने जन्म लिया था उस समय मेरी मां यहां एक महीने के लिए आई थी। मेरी सास और मेरे पति ने तो उन्हें नौकरानी ही समझ लिया था। बेचारी मेरी मां सुबह से रात तक काम ही लगी रहती थी। पर मजाल है कि दोनों मां-बेटे में से कोई उनकी मदद तो करा दे।

लेकिन इस बारे में वीरेन को कोई चिंता नहीं थी, बल्कि वह तो दिन-रात यही बातें करता था कि प्रॉपर्टी का क्या करना है? क्योंकि उसे अच्छे से पता था कि मां ने पूरा फैसला मेरे ऊपर डाल दिया है। लेकिन मैं तो यह देख कर हैरान थी कि ससुराल में तो मुझे कभी निर्णय लेने नहीं दिया जाता था। आज मेरे मायके में भी मुझे फैसले लेने का हक नहीं था। वीरेन मुझे अपने हिसाब से चलाने की कोशिश कर रहे थे।

इस एक महीने में मुझसे कई बार कह चुके हैं कि अपनी मां से कहो कि प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दे तो मैं उनकी जिम्मेदारी उठाने को तैयार हूं। वैसे भी अब वह अकेली क्या कर लेंगी? किसी ना किसी सहारे की जरूरत तो पड़ेगी ही ना।

पर मेरा मन नहीं मानता। जो इंसान अपनी बीवी के हाथ में खर्चे देने से पहले दस बार सवाल जवाब करता है। दस बातें सुनाता है, वो उसकी मां की खर्चा उठा ले ऐसा हो नहीं सकता।

और दूसरी और जरूरी बात, उनके माँ ने कौन सी अपनी प्रॉपर्टी उनके नाम कर दी, पर फिर भी खुशी-खुशी उनका खर्चा तो उठा रहे हैं ना। तुम्हारे भैया भाभी तो बाहर रहते हैं। साल में दो-तीन बार आते हैं सारा खर्चा विरेन ही तो उठाते हैं। तो ये इंसान मेरी मां से सौदेबाजी क्यों करना चाहता है। बस यही बात मेरे दिल को चुभ रही है।

कल रात जब सासू मां से इस बारे में बात की तो उन्होंने मुझे ही डांट दिया,

"क्या गलत कह रहा है वो? मेरा बेटा तुम्हारी मां के खर्चे क्यों उठाएगा? बेचारे को कोल्हू का बैल समझ रखा है क्या?"

" पर माँजी जैसे आप हमारी जिम्मेदारी हो, वैसे ही मेरी मां भी तो हमारी जिम्मेदारी है ना"

" तू मेरी बराबरी अपनी मां से कर रही है? मैंने अपने बेटे को जन्म दिया है, पाल पोस कर बड़ा किया है। बदले में वह मेरी सेवा कर रहा है तो तुझे देखकर जलन हो रही है। इतना ही सेवा करवाने का शौक था तो एक बेटा और पैदा कर लेती तेरी मां। और वैसे भी औरत को क्या पता कि किस तरह से फैसले लेने है। तेरे पापा तो रहे नहीं अब तो निर्णय वीरेन ही लेगा ना"

इसके आगे मैं कुछ कह ना सकी। गलत तो कुछ कह नहीं रही थी वो। मैं बेटी हूं, बेटा नहीं, यह मेरी सास ने बता दिया था। पर बेटा मजबूत हो और बेटी कमजोर, ऐसा हो नहीं सकता। अब मेरे दिमाग में एक ही बात है। मैं निर्णय ले चुकी हूं कि मुझे क्या करना है। बस वह निर्णय लेकर मैं सो गई।

सुबह जब उठी तो आज की सुबह कुछ अलग ही लगी। मैं जल्दी जल्दी घर के काम कर रही थी। मुझे देखकर मेरी सासू मां वीरेन से बोली,

" आज बहू को कहीं जाना है क्या? बड़ी जल्दी जल्दी काम निपटा रही है"

मुझे देखकर वीरेन ने कहा,

" कहीं जा रही हो क्या तुम?"

" हां, मां के पास जा रही हूँ"

" क्यों? तुमने तो मुझसे पूछा भी नहीं "

" सोच रही हूँ कि वहां का घर बेच दूँ "

बात सुनकर वीरेन के चेहरे पर चमक आ गई। इससे पहले की वीरेन कुछ कहता, मैंने कहा,

" सोच रही हूँ कि वहां की प्रॉपर्टी बेचकर यहां मां के नाम से एक छोटा सा मकान ले लूँ और बाकी पैसे मां के नाम से अकाउंट में ट्रांसफर कर दूं। माँ के खर्चों में काम आएंगे। माँ पास में रहेगी तो मैं भी उन्हें आसानी से दिन में जाकर संभाल लूंगी"

" तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम मेरे फैसले के ऊपर जाओ। देख रहा हूं बहुत ज्यादा बोलने लगी हो आजकल"

"मैं आपके फैसले के ऊपर कहाँ जा रही हूँ? मैंने कभी ससुराल में बीच में नहीं बोला। कभी किसी निर्णय में आपने मुझे साथ में नहीं लिया। पर अब तो मेरे मायके से संबंधित फैसला लेना है और वह मैं ले सकती हूं। मेरी मां है, उन्होंने मुझे जन्म दिया है, तो उनके बारे में सोचने की जिम्मेदारी मेरी है ना। अगर मैं नहीं सोचूंगी तो लोग सौदेबाजी करने को तैयार हो जाएंगे। और वो मुझे मंजूर नहीं"

" बहु अपनी मां के लिए तू हम से लड़ने को तैयार है"

अबकी बार बीच में मेरी सास बोली।

"देखिए माँजी, कल आप ही ने मुझे यह रास्ता बताया था। आपने कहा था ना कि मेरा बेटा है वह तुम्हारी मां की जिम्मेदारी क्यों उठाएगा? इसी तरह मैं अपनी मां की बेटी हूं, अगर मुझे रोका तो मैं आपकी जिम्मेदारी नहीं उठाऊंगी। आप अच्छी तरह से याद रखिएगा आपका बेटा सिर्फ कमाता है पर इस मकान को घर मैं बनाती हूं"

मेरी बात सुनकर दोनों में से किसी ने कुछ नहीं कहा। जानती हूं नाराज है, तो नाराज रहने दो। इनकी नाराजगी के चलते मेरी मां को मुझे मोहताज थोड़ी ना करना है। बस फटाफट अपना काम निपटा कर मैं चल पड़ी थी अपने फैसले को अमल करने।

©Md gulam Rasul
  #pyar_ka_ehsaas 
#Pyaar_Ki_Do_Baatein
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Md gulam Rasul

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