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akarshmishra8050
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Akarsh Mishra

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Akarsh Mishra

गर प्रेम हो,
तो रुकना मत.... कह देना।
जो मन को भाए, तुम्हें अपनाए 
खोना मत... सदा सहेजना।


बहती नदिया... प्रेम,
अगल बगल हम दो किनारे हैं।
जो सूखने लगे कभी बीच का पानी
रोकना मत.....जाने देना।

©Akarsh Mishra mood

mood #Poetry

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Akarsh Mishra

White व दिव्य देवर्षि सबको,
बारंबार प्रणाम मेरा !

द,पुराण,उपनिषदों से,हो जीवन का उत्थान मेरा !

यायमूर्ति के चरणों में रहे सदा ही ध्यान मेरा !

वित भाव से,जग को देखूं,ऐसा हो व्यवहार मेरा !

टा सकूं मैं राग द्वेश को,ऐसा हो किरदार मेरा !

जन मनन चिंतन से सदा रहे उदगार मेरा !

व्य दिवा सा दिनकर कर दो, जीवन का श्रंगार मेरा !

णी में हो वीणा की सरगम,ऐसा हो संसार मेरा !
 
मेरे जन्मदिन के अवसर पर सर्व प्रथम जगत के पालनहार परम ब्रह्म परमेश्वर के श्री चरणों में सादर प्रणाम करते हुए आप सभी के स्नेहिल आत्मिक आत्मीय आशीष की कामनाओं, की प्रतीक्षा में।
            देवेन्द्र मिश्रा "दिवा"

©Akarsh Mishra #Moon
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Akarsh Mishra

White व दिव्य देवर्षि सबको,
बारंबार प्रणाम मेरा !

द,पुराण,उपनिषदों से,हो जीवन का उत्थान मेरा !

यायमूर्ति के चरणों में रहे सदा ही ध्यान मेरा !

वित भाव से,जग को देखूं,ऐसा हो व्यवहार मेरा !

टा सकूं मैं राग द्वेश को,ऐसा हो किरदार मेरा !

जन मनन चिंतन से सदा रहे उदगार मेरा !

व्य दिवा सा दिनकर कर दो, जीवन का श्रंगार मेरा !

णी में हो वीणा की सरगम,ऐसा हो संसार मेरा !
 
मेरे जन्मदिन के अवसर पर सर्व प्रथम जगत के पालनहार परम ब्रह्म परमेश्वर के श्री चरणों में सादर प्रणाम करते हुए आप सभी के स्नेहिल आत्मिक आत्मीय आशीष की कामनाओं, की प्रतीक्षा में।
            देवेन्द्र मिश्रा "दिवा"

©Akarsh Mishra
  #Moon
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Akarsh Mishra

देसी साइकिल और उसके डंडे में एक छोटी सीट होती थी।
ये उन दिनों की बात है जब बातें खतों और संदेशों में होती थीं।
छोटी सीट पर मैं और मेरे पीछे बब्बा जी। 🥰
बड़ा खुश होता था इस भ्रम में...
कि मैं ही इस साइकिल को दौड़ा रहा हूं...
हम रोज़ खेतों की सैर करने निकलते थे 
ये उन दिनों की बात है 
जब खेतों में इक्का दुक्का बैल भी हुआ करते थे।
चारों तरफ हरियाली बीच बीच में छोटे बड़े पोखर होते थे 
हम घंटों खेत की मेड़ों में पैदल घूमते थे।

यहां मैं उनकी उंगली थामे उनके पीछे पीछे चलता था 
छोटे से बच्चे को राह के कांटों को पहचानना और उनसे बचना जो नहीं आता था।
एक दोस्त बनकर सब कुछ सिखा गए,
बिना डांट डपट के तालीम ऊंची पढ़ा गए।
सबके गुरुबाबा और मेरे दद्दा। 😊♥️

आज भी हैं हमारे साथ 
मेरे प्यारे श्री हरिदास।🙏

©Akarsh Mishra #Exploration #grandfatherlove #love #Nostalgia
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Akarsh Mishra

कुछ बातें हैं......अनकही,
कुछ उलझने हैं मन के उस पार कहीं।

इस पार सब शांत है......स्थिर है,
एक वो किनारा है...
जहां अनवरत ज्वार तो कभी भाटा है।

कितना अच्छा होता गर शब्दों के भी पांव होते....
खुद चलकर आते और मन के विचारों को गति देकर एक जीवंत शरीर बनाते।

सतत चलते रहना प्रकृति है मन की
जो रुक कर ठहरे तो नैराश्य भंवर है 
जो चलते गए लगातार तो जीवन है, सहर है।

©Akarsh Mishra #man #uljhan #अतीतकेपन्ने
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Akarsh Mishra

Instant noodles का दौर है
आज सबको सब कुछ instant ही चाहिए होता है।
पढ़ाई, परीक्षा, परिणाम, reply....सब कुछ।
सब भाग रहे हैं ....
जैसे कोई रेस चल रही हो.....लगातार
कोई रुकना नहीं चाहता, समझना नहीं चाहता।
दूसरों को महसूस करना पुराना फैशन है...
खुद से मिलने का भी समय कहाँ है अब किसी के पास।
अपने अंतस में झांकने को बेवकूफी कहा जाता है अब।

आपकी गति के समांतर जो दौड़ रहा है,
वो आपके लिए स्थिर है
लेकिन यदि दोनों में से कोई एक जरा भी लड़खड़ाया तो दूसरा तुरंत आगे निकल जायेगा ....हां instantly.

हम थोड़ा अलग हैं...
हम ठहर जाते हैं...कभी कभी ठिठक के रह जाते हैं एक जगह।
दुनिया की चाल तेज हो रही है लगातार,
ये स्वाभाविक रूप से आवश्यक समय भी नहीं देती है,
तुरंत...तुरंत एक्शन की डिमांड करती है,
तुरंत निर्णय की आशा रखती है।

हम कहते हैं इस अनवरत यात्रा में सर्दी गर्मी धूप छांव तो आते जाते रहेंगे,
लेकिन हर एक को ठहर के महसूस करना ...जीना
हमारे ऊपर है न।
सोचो...थोड़ा देर से पहुंचेंगे पर साथ तो होंगे न।

क्या कर लोगे ऐसे भागकर भी,
जब अंत पर पहुंचके अकेला होना ही है।
तो अभी साथ का आनंद क्यों नहीं उठाते ?

संघर्ष केवल तब तक है 
जब तक हम सब अलग अलग हैं,
जब सब साथ हैं... आपस में सहयोग है
तो चहुंओर आनंद है...यात्रा सुखद है।

©Akarsh Mishra life
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Akarsh Mishra

अनन्त ताप सोखता है अहर्निश,
पर बदले में हमेशा शीतलता ही देता है।
गर्मी सहता है सूरज की,
पर धरती को हमेशा अपनी चांदनी से नहलाता है।

सुनो....ऐसा ही एक चांद धरती पर भी है,
मेरे करीब.....बेहद करीब!
दिन भर में कई सूरजों से पाला पड़ता है उसका...
पर मेरे हिस्से हमेशा ठंडी छांव लेकर आता है।

देखी हैं मैने उसकी आंखों में गर्म ज्वालाएं,
जो इस धरती के सूरजों के अपकारों का प्रतिकर्षण है।
तमाम युद्धों से विजयी हो,
जब देखती हैं उसकी नीली गहरी आंखें मुझे...यही उसका आकर्षण है।

©Akarsh Mishra #TakeMeToTheMoon
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Akarsh Mishra

संवाद....
जो किसी भाषा का सहारा लिए बिना किए जाएं.... 
उनसे ज्यादा सुकूनदेह शायद ही दुनिया में अन्य कोई चीज होगी !

एक संवाद वे.... जो किए जाते हैं...
और एक वे, जो कुछ किए बिना ही हो जाते हैं....💕

ऐसे मौके हम पढ़ाकुओं....कमरे में बंद रहने वालों को यदा कदा ही मिलते हैं।
और जब मिलते हैं तो लगता है.... स्वयं प्रकृति भेंट करने चली आई हो।🙏🏻

©Akarsh Mishra संवाद ❤️💕

संवाद ❤️💕 #कविता

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Akarsh Mishra

न जाने क्यों एक सुकून है 
"वो पास है"....इस एहसास भर से,
न जाने आंखों को राहत क्यों है
जबकि घूरा नहीं है उसको सालों से।

बेअदबी सारी उसी के आगे हैं...
वरना अदब का पुतला हूं...
बाकी दुनिया के आगे मेरी कहाँ चल पाती है।
नखरे नाज़ तो कभी नायाब शरारतें मेरी
वो नजरें झुकाकर पलकों पर उठाती है।

झुकी पलकों को जब उठाती है...
नजरों से मेरी जब नजरें मिलाती है,
उसे पता नही है नजरों के रास्ते, 
दिल को भी छू जाती है।

समंदर को बूंदों का हिसाब कहां देना है,
वो बारिश है....
जितनी मिलती जाती है...
मैं उतना बढ़ता जाता हूं।

©Akarsh Mishra #Memories न जाने सुकून क्यों है

#Memories न जाने सुकून क्यों है #Poetry

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Akarsh Mishra

न जाने क्यों एक सुकून है,
"वो पास है", इस एहसास भर से ;
न जाने आंखों को राहत क्यों है...
जबकि घूरा नहीं है उसको सालों से।

बेअदबी सारी उसी के आगे हैं,
वरना अदब का पुतला हूं...
बाकी दुनिया के आगे मेरी कहाँ चल पाती है।
नखरे नाज़ तो कभी नायाब शरारतें मेरी
वो नजरें झुकाकर पलकों पर उठाती है।

झुकी पलकों को जब उठाती है,
नजरों से मेरी जब नजरें मिलाती है...
उसे पता नही है नजरों के रास्ते, दिल को भी छू जाती है।

समंदर को बूंदों का हिसाब कहां देना है
वो बारिश है....
जितनी मिलती जाती है..
मैं उतना बढ़ता जाता हूं।

©Akarsh Mishra
  सुकून न जाने क्यों है...

सुकून न जाने क्यों है... #Poetry

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