घर में बने कोटरों में से झांकता है एक भिखारी वो जो देखना चाहता है,उसे वो दिख नहीं पाता कभी अंदाज़ा मत लगाना मेरे हालातों के दर्द का जितना महसूस करता हूँ, मैं उतना लिख नहीं पाता।
Varshit soni
Varshit soni
Varshit soni
Varshit soni
Varshit soni
Varshit soni
Varshit soni
Varshit soni