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udayveersingh2539
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UDAYVEER SINGH

गर्व है मुझे मैं भारती हूं 75वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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UDAYVEER SINGH

 इश्क आजादी बाहरी जिस्त का समान है. 
इश्क मेरी जिंदगी आजादी मेरा ईमान है.
 इश्क पर कर दूं फ़िदा में अपनी सारी जिंदगी.
 लेकिन आजादी पर मेरा इश्क भी कुर्बान है।

©UDAYVEER SINGH
  #Idayroyal
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UDAYVEER SINGH

#Udayroyal
#Udaysinger
मेरी आवाज hai दोस्तों
जल्द ही लाइव गाकर सुनाएंगे

#Udayroyal #Udaysinger मेरी आवाज hai दोस्तों जल्द ही लाइव गाकर सुनाएंगे #शायरी

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UDAYVEER SINGH

#Udayroyal
#Udaysongs
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UDAYVEER SINGH

#Udayroyal
#Udaysongs
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UDAYVEER SINGH

मेरी ज़मी तू मेरा जहां है
तू ही मेरी जिन्दगी है सनम
तेरी आहट से दिल मेरा धड़के 
तेरी कसम हाँ हाँ तेरी कसम

©UDAYVEER SINGH 
  #Udayroyal
#Udayshayri
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UDAYVEER SINGH

साधू

एक शहर में पुलिस

 ने सभी चौरो की 

नाक में दम कर 

दिया था | सारे

 चौर एक के बाद

 एक पकड़ा रहे थे | 

बस एक चौर जैसे

 तैसे बच कर एक

 जगह जा छिपा था। 

 तब ही उसे एक

 ख्याल आया कि

 क्यूँ न वो भगवा

 पहनकर साधू बन

 जाये | ये दूनियाँ 

चौरो को तो जूता

 मारती हैं लेकिन 

अगर वही चौर

 भगवा पहन ले तो

 उसके पैर में पड़ी

 रहती थी |

 इस प्रकार चौर

 साधू बनकर घुमने

 लगता हैं |

कुछ दिनों बाद,

पाखंडी साधू में एक

 कला थी कि वो

 बोलने में बहुत

 माहिर था |

 प्रवचन तो उसके

 बायें हाथ का खेल 

 था। इस कारण 

साधू की निकल 

पड़ती हैं | उसके

 बहुत से शिष्य बन 

जाते हैं | कई लोग 

उसके आगे पीछे 

घुमने लगते हैं | 

उसे मुफ्त में खाने 

को मिलने लगता हैं |

बस उसे सांसारिक 

जीवन छूटने का

 दुःख रहता हैं |

 पाखंडी साधू जंगल 

में अपने शिष्यों के

 साथ रह रहा था |

 तभी उसके आश्रम

 में एक सेठ आया |

 सेठ को भी पाखंडी 

साधू ने अपने बोलने 

की कला से प्रभावित 

कर दिया।। 

साधू से मिलकर जब 

सेठ अपने घर पहुंचा 

तो उसे एक ख्याल 

आया | असल में सेठ

 को एक दुविधा थी | 

उसके पास बहुत 

सोना था जिसे चौरों 

के डर के कारण वो 

अपने घर में नहीं रख 

सकता था | उसने

 सोचा क्यूँ न ये सोना

 साधू के आश्रम में

 रख दिया जाये 

क्यूंकि साधू को कभी

 कोई मोह माया नहीं

 रहती | वो तो भगवान्

 का रूप होते हैं| किसी 

को ऐसे देवता पर 

शक भी नहीं होगा कि

 उनके आश्रम में सोना 

गड़ा हुआ हैं | ऐसा

 सोचकर सेठ दुसरे 

दिन सोना लेकर 

पाखंडी साधू के 

आश्रम आता हैं  

और उससे पूरी 

बात बताता हैं | 

फिर क्या था पाखंडी 

साधू का तो दिल

 गदगद हो गया | 

उसकी आँखे तो उस 

सोने की पोटली से

 हट ही नहीं रही थी | 

उस सेठ ने वो सोने

 की पोटली आश्रम

 के एक पेड़ के नीचे

 दबा दी और

 वहाँ से चला गया |

अब साधू को नींद 

कहाँ आनी थी | 

वो रात भर उस 

सोने की पोटली के 

बारे में सोचता रहा |

 उसने सोचा अगर

 ये सोना मिल जाये 

तो जीवन तर जायेगा | 

सांसारिक सुख भी

 मिलेगा जो इस 

भगवा कपड़ो ने 

छीन लिया हैं | 

इस तरह साधू ने 

कई सपने देख डाले |

 दूसरी तरफ सेठ

 सोने को आश्रम 

में रख कर सन्तुष

 होकर सो रहा था |

कुछ समय बीतने

 पर साधू ने एक 

योजना बनाई |

 उसने सोचा कि 

वो इस सोने को

 लेकर चला जायेगा 

और सेठ को शक

 ना हो इसलिए वो

 उसके घर जाकर

 जाने की बात 

कहेगा ताकि सेठ 

को ये ना लगे कि

 साधू सोना 

लेकर भागा हैं।।

©UDAYVEER SINGH 
  #Udayroyal


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