एक बार प्रिये तुम भी!
दरखत होकर देखो न।
तुम भी समझोगे हाल मेरा
धोखा खाकर देखो न।
तुम क्या पाओगे क्या खोओगे?
खुद का समर्पण करके देखो न।
इक बार प्रिये तुम भी!
दरखत होकर देखो न। #Poetry
Bazirao Ashish
#एक बार प्रिये तुम भी;
दरखत होकर देखो न।
तुम भी समझोगे हाल मेरा;
धोखा खाकर देखो न।
तुम क्या पाओगे क्या खोओगे?
खुद का समर्पण करके देखो न।
इक बार प्रिये तुम भी;
दरखत होकर देखो न। #Poetry
Bazirao Ashish
#Sad_Status
आसान नहीं है दरखत होना
परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने
उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने
रह जाता है दरखत अकेला
आसान नहीं है दरखत होना।
-आशीष द्विवेदी #Poetry
वही लोग बेरोजगार हैं जिनके अभिभावक धैर्य व साहस रखते हैं सरकारी व्यवस्था में प्रवेश करने की प्रतीक्षा करने का।
वरना अब तक वे किसी न किसी रोजगार में अवश्य होते।
...
@आशीष_द्विवेदी #विचार
Bazirao Ashish
हमने तमाम उम्र अकेले सफ़र तय किया।
हम पर सदा सर्वव्यापी की ही इनायत रही।।
🚩🔱🚩🔱🚩 #भक्ति
Bazirao Ashish
#short_shyari
अपनों की कब्र पर एक बीज बोते चलें।
रोने के बाद भी खुश होते चलें।।
शहर वालों को तो नसीब ही नहीं ये खुशी।
खुश होना है तो वृक्ष लगाते चलें।।
दुआएं देंगी आने वाली पीढ़ियाँ उम्र भर।
मेरे पुरखों ने दी हरियाली गुज़र कर।।
#विचार