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Sanatani Yatri, poet, philanthropist देह भंगुर साँसे थोड़ी और समय की फांस डोरी हैं सभी सिमाए अपनी सब भरम सब खेल है मेरे भीतर है जो बैठा सत्य है बेमेल है उनके शब्दों को सुना दूँ छेड़ दिल की तान रे मै कवि हूँ मृत्यु-जीवन काव्य बिन बिरान रे https://www.yourquote.in/eternalvoice
Nadbrahm