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vikassharma9284
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Vikas Sharma

Ek shikayat hai, mujhe aap se, yun dekha na karo mujhe tapak se.

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Vikas Sharma

मेरी इजाजत के बैगर, गर तू छलक गया आँखो से,
इसे मोहब्बत नहीं बगावत का एलान समझा जाए! 

-विकास भारद्वाज

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Vikas Sharma

आस का एक दिया जला के बैठी है, 
एक बेटी अपने पिता की आमद में, 
जर्रा-जर्रा गवाह है जिनकी वीरता का,
 कतरा कतरा बहा है गलवान की खुशामद में! #jaihind 
#hindkisena 
#poems 
#shayari
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Vikas Sharma

सवाल पूछना लाजमी है तो हम हलक में सवाल घुसेडेंगे,
 
जवाब देते बने तो दिजिये या ओढ लिजिये चादर फ़र्जी  राष्ट्रवाद की ! #standoffwithchina
#jaihind
#hindkisena
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Vikas Sharma

दम्भ दुश्मन का तोड -फ़ोड कर आया, 
विजयी स्मृतियों में एक पन्ना जोड कर आया ,
तिरंगा ले गया था घर से जो फ़हराने के लिये, 
फ़हरा कर वही आते वक्त ओढ कर आया! #standoffwithchina
#jaihind
#hindkisena
#Bharatmatakijai
#vandematram
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Vikas Sharma

चटख रंग मोहब्बत का ढल गया अना की धूप में,

न अब मनाने में वो शिद्दत है ,न रुठने में वो तडप है! #याद तुम्हारी

#याद तुम्हारी

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Vikas Sharma

जाने का जो तरीका चुना वो कतई सही नहीं था,
यों हार कर तुम्हारा चले जाना हमे बहुत अखरेगा !

RIP सुशांत सिंह राजपूत! जाने का जो तरीका चुना वो कतई सही नहीं था,
यों हार कर तुम्हारा चले जाना हमे बहुत अखरेगा !

RIP सुशांत सिंह राजपूत!

जाने का जो तरीका चुना वो कतई सही नहीं था, यों हार कर तुम्हारा चले जाना हमे बहुत अखरेगा ! RIP सुशांत सिंह राजपूत!

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Vikas Sharma

ये स्वछ्न्द नैत्रज नयनों के,
मानते नहीं अंकुश कारा को !
पलकों के बांध रोक सके ना ,
हियज वेगवती धारा को ।

नैत्रज - आँसू 
कारा - बंधन (जेल)
हियज - दिल से निकले 

-विकास शर्मा

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Vikas Sharma

एक नादान बेजुबान, 
लिये पेट में नन्ही जान 
इंसानी फ़ितरत से अंजान ।
वो इंसान!! 
जो दोपहर के खाने में, 
भुने माँस को चटका के !
 जा पहुंचा टीवी डिबेट में 
 कि जानवरों पर रहम करो ।

मारे भूख और मित्रवत भाव के, 
कुछ मिलेगा खाने को इस चाव से !
गर्भवती हथिनी पास आई  ,
ममता की छाया मुस्काई, 
नीचता की सभी सीमाएँ, लाँघ दी नीच ने, 
धोखे से रख दिया बारुद, जबड़ों के बीच में ।

 बारुद फ़टा और लटक गया जबडा, 
ऐसा क्रूर मजाक एक बेजुबान से,
फ़ैल गया जहर पूरे जिस्म में, 
जानवर जीत गया आचरण में इंसान से! 

वो मरी नहीं बारुद के जहर से, 
उसे मारा है उसके विश्वास ने, 
भरोसा किया जहरीले मानव पर 
प्राण देकर कीमत चुकाई इसकी! 

दया, करुणा, प्रेम ये गुण महकते हैं 
जिन्दा लाश हो , अगर तुममें ये महक नहीं! 
 जब त्याग कर ही दिया मानवीय गुणों का 
 तो इन्सान कहलाने का तुम्हे कोई हक नहीं 

(विकास शर्मा ) #elephantLifematters
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Vikas Sharma

एक प्रणय गीत 
चाहा था जिस लगन से तुम्हे, 
 हो शामिल भूलाने में फ़िर वही लगन 
आग दिल की मेरे, कैसे बुझेगी? 
भडका देते हैं तेरे बरसते नयन 

आँसू मेरे सब तेरे निमित्त हैं, 
मन मैला नहीं रति भर तेरे लिए, 
दिलों में आग पावन जली थी, 
 पीडा ने संग मिल फ़ेरे लिये! 
संजोये स्वपनो को जाती राह तज
आह भरी डगर का किया चयन 

आग दिल की मेरे, कैसे बुझेगी? 
भडका देते हैं तेरे बरसते नयन 

 भावनाओं के तार जुडे इस कद्र, 
पत्थर स्मृति का जो घिसता हूँ !
भीग जाती है तूँ कोसों दूर, 
उर की दरारों से जो रिसता हूँ !
 होंठों से छूकर जाग्रत किया जिन्हें 
 वो आँखें भूल गयी क्या होता शयन ?
 
आग दिल की मेरे, कैसे बुझेगी? 
भडका देते हैं तेरे बरसते नयन ! एक प्रणय गीत 
चाहा था जिस लगन से तुम्हे, 
 हो शामिल भूलाने में फ़िर वही लगन 
आग दिल की मेरे, कैसे बुझेगी? 
भडका देते हैं तेरे बरसते नयन 

आँसू मेरे सब तेरे निमित्त हैं, 
मन मैला नहीं रति भर तेरे लिए,

एक प्रणय गीत चाहा था जिस लगन से तुम्हे, हो शामिल भूलाने में फ़िर वही लगन आग दिल की मेरे, कैसे बुझेगी? भडका देते हैं तेरे बरसते नयन आँसू मेरे सब तेरे निमित्त हैं, मन मैला नहीं रति भर तेरे लिए,

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Vikas Sharma

मकतल से उतार दिया, यही थी सजा, 

मरने से बच गया तो जीना पडा मुझे! #याद तुम्हारी

#याद तुम्हारी

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