मरुभूमि का पुष्प-
शब्द की परिभाषा से परे,
कुछ भाव उपजते हैं,
ठीक उसी तरह जैसे अनायास ही मरूभूमि पर बारिश
की बूंदों से उपजीत पुष्प ।
निर्जन पड़े भूमि पर यूं ही खिल उठता है,
सौंदर्य को परिभाषित करते हुए । #बात
R Kumar
सच्चा झूठ
मुस्कुराते हुए फूलों सा,
एक सच्चा झूठ है मेरा,
बसंत की हवावो में फैले इत्र सा
मैं भी जिवंत हो उठा हूं,
तुझ में ।
मौन थे जो कल तक हम,
R Kumar
सच्चा झूठ
मुस्कुराते हुए फूलों सा,
एक सच्चा झूठ है मेरा,
बसंत की हवावो में फैले इत्र सा
मैं भी जिवंत हो उठा हूं,
तुझ में ।
मौन थे जो कल तक हम,
the ultimate reality
When the last breath flew,
From this mortal being,
There is an only wish,
The Corpus soul and all Cremate,
In my eternal fire .
Not much desires there, #Life#Death#Englishpoetry#theultimatereality