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minakshikumari7427
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ranjit Kumar rathour

jharkhand

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ranjit Kumar rathour

ऐसा पहली बार हुआ हैं 
16-17 सालो मे 
लव कुश 
हर्ष हर्षित 
भोलू छोटू 
क्षितिज अक्षांश 
अलग अलग 
एक पटना 
दूसरा गोड्डा 
मे

©ranjit Kumar rathour जुदा जुदा जन्मदिन

जुदा जुदा जन्मदिन #कविता

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ranjit Kumar rathour

, 5ए वक्त इतनी जल्दी क्या हैं 
थोड़ा रुक जाया कर 
ज़ब तक होश सम्हालता हुँ 
देर हो जाती हैं 
पता नहीं तू जल्दी मे हैं 
या फिर मैं धीमा हुँ 
चलो कोई बात नहीं क्या हुआ 
जो तू आगे निकल गया 
थोड़ी देर से सही आऊंगा मैं 
लेकिन वक्त तो दे 
जिससे खुद क़ो सम्हाल पाऊं 
हां सम्हाल पाऊ

©ranjit Kumar rathour थोड़ा वक्त तो दे

थोड़ा वक्त तो दे #कविता

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ranjit Kumar rathour

एक सम्मान उसे 
जिससे रिश्ता रहा हमारा 
सुबह के अभिवादन का 
चैत की दोपहरी मे 
एक ग्लास पानी पिलाने का 
चेहरे उदासी क़ो 
पहली नजर मे पढ़ लेने का 
चौक डस्टर या फिर 
जरुरी फ़ाइल क़ो पहुंचाने का 
थे उनसे हमारे भी वादे 
सालो गुजारें रिश्तो क़ो निभाने का
हम उऋण नहीं हुए 
हो भी नहीं सकते कर्ज से 
लेकिन एक फर्ज तो बनता था 
सो रत्ती भर सही निभाया 
हां बस निभाया

©ranjit Kumar rathour एक ग्लास पानी

एक ग्लास पानी #कविता

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ranjit Kumar rathour

हिंदी दिवस 
*********
मौका था हिंदी दिवस का 
लेकिन बिडंबना की 
हिंदी घबराई हुईं हैं 
लग रहा था सब 
औपचारिकता हैं और डरी सहमी 
हिंदी कह रही थी 
छोड़ो न मुझे याद करना 
बोली मैं रहूँगा अभी लबे समय 
थोड़ी कमजोर सी 
गिरती पड़ती अपाहिज़ सी 
बाजार से दूर कसबो मे 
गांव जवार मे 
सरकारी स्कूलों मे 
हा यादो मे

©ranjit Kumar rathour हिंदी दिवस

हिंदी दिवस #कविता

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ranjit Kumar rathour

अतीत क़ो देखना 
अच्छा लगता हैं 
तस्वीर होता तो
तो निहारता मै 
लेकिन तस्वीर क़ो 
अब बनाना होता हैं 
मैं ऐसा था वैसा था 
सोचना महशुस करना 
अच्छा लगता हैं

©ranjit Kumar rathour
  पुरानी तस्वीर

पुरानी तस्वीर #शायरी

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ranjit Kumar rathour

थी बातूनी सी 
उसकी बक बक से 
सब रहते थे परेशान 
लेकिन वो बेहतरीन थी 
जरूरत थी उसके मनोबल 
क़ो बढ़ाने कि 
उम्मीद खूब आगे जाना बाबू मेरा आशीर्वाद तुम्हे 
ताउम्र होगा हाँ होगा

©ranjit Kumar rathour थी एक बक बक

थी एक बक बक #कविता

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ranjit Kumar rathour

एक अतीत 
छुपे हैं कई राज 
जो सिर्फ हमें पता हैं 
और उसको भी 
लेकिन राज  अच्छा हैं 
जिसे महशुस करना बेहतर हैं

©ranjit Kumar rathour अतीत

अतीत #कविता

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ranjit Kumar rathour

था कोई साथ खड़ा 
खरीददारी कर रहा था 
ये वाला लोजिये साहब पर 
खूब जचेगा 
हम एक दूसरे क़ो देखते रहा गए 
कुछ नहीं बोल पाए थे 
हा वो वाला ले लिए थे 
आज़ यू ही दिख गया था 
तो सब कुछ यादव आ गया 
यका यक वो लम्हा भी तैर गया

©ranjit Kumar rathour
  वो लम्हा

वो लम्हा #कविता

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ranjit Kumar rathour

उसे तब तक निहारता रहा 
तब तक निहारता रहा 
ज़ब तक कि वो नजरो से ओझल न हो गयी 
आखिर उसमे ऐसा क्या था 
ये सब कुछ मेरी आदतों मे शुमार था 
वापसी के वक्त भी एक चाहत 
होती थी कि उसे इंतज़ार हो 
होता.. कभी नहीं होता 
ज़ब भी सोचता तो लगता 
क्या यही प्यार हैं 
जवाब मिलता हा यही हैं

©ranjit Kumar rathour
  यही प्यार हैं

यही प्यार हैं #कविता

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ranjit Kumar rathour

जा रहे हो 
एक आवाज़ निकली थी 
दिल से 
लेकिन बोल नहीं पाया था 
उम्मीद थी 
खुद ही पलट देखेगी और 
कहेगी कि 
हा आउंगी कल फिर 
ऐसा कुछ 
हुआ नहीं था लेकिन 
क्यों लगा कि
मेरी बात उसने सुन ली
लेकिन 
दूसरे दिन आयी और ज़ब गयी 
तो मुड़कर 
बोली जा रही हुँ कल आउंगी

©ranjit Kumar rathour
  दिल कि बात

दिल कि बात #कविता

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