किसी के हिस्से में ख़ुशी थी,
किसी के हिस्से में ग़म था..
मेरे हिस्से जो भी था बो बहुत कम था।
Rahul Ashesh
तुम करुणामयी तुम ममतामयी
तुम सरल ह्रदय हो मेरी दी।
ख़ुद को छोड़ के औरों का,
कल्याण जो सोचे मेरी दी।
Rahul Ashesh
सूर्य पे छाए हैं बादल उनका भी हटना तय है न,
जन्म हुआ गर दुःख का तो सुख का भी घटना तय है न।
हम विजयश्री के रथ पर है चिंता की कोई बात नहीं,
जीवन रण में शत्रु है तो उनका भी मिटना तय है।
Rahul Ashesh
फ़िर हुई है सुबह तो दिनकर भी नया सा है,
पुराना कुछ भी नहीं है हर मंज़र भी नया सा है।
आज फ़िर देह रूपी रथ को निडर निश्वार्थ हाँकना है,
मुश्किल नई सी है तो अवसर भी नया सा है।
Rahul Ashesh
हर बार में हार जाता हूँ,
तुम्हें जिताने के लिए।
राहुल 'अशेष'
#HerQuestions