कभी देखा है उन पुरानी अलमारियों में कभी अल्बामो तो कभी मेरी सहेली के बीच दबे पीले पड़ चुके पन्नो को? उन पे वो स्याह और ने नीले फैले हुए दाग, जिनके नीचे के शब्दों को अब तो धुंधले पड़ चुके हैं मां की उन सुरमई आंखों के जैसे जो उम्र से समझौता कर चुकी हैं। पर वो शब्द भी कभी उतने ही भावपूर्ण थे जैसे खिलखिलाते बच्चे की हंसी या नई पेन घुम जाने के दर्द से , वो देखी है कभी बच्चों की आंखों में? वो पन्ने ना महज़ पन्ने थे ना उन पे लिखे वो अक्षर किसी स्वर्ण या व्यंजन की व्याख्या। वो पत्र हैं, जहां छुपी हैं अन #poem#letters
Getting carried to the hospital, the loud tocsin of the ambulance and the vehicles passing by were whirling like a whirlpool, her sense which was already fading like setting sun finally slipped into the darkness of unconsciousness.
She never imagined herself in her situation. Although she never cherished her life or might have unlearnt it after that incident of her life. Yet this time she feared leaving like this. This once she wished not to die. Wanting to live the summer and witness the winte #ShortStory#yourquotebaba#novella#yourquotedidi#longform#pickingupthepieces