मित्रता निभाने के लिए अगर मुझे पाप कर्म करना पड़े, नर्क भोगना पड़े तो मुझे वो भी मंजूर है। ~ श्री राम (रामानंद सागर की रामायण)
ये वाक्य श्री राम ने सुग्रिव से कहे थे।
ये सुन कर मेरे मन में विचार आया कि जब श्री राम सही थे तो कर्ण कैसे गलत हो सकता है अगर मित्रता निभाने के लिए उसने दुर्योधन का साथ दिया?
बहुत देर सोचा, फिर अंदर से आवाज आई कि सुग्रीव वो था जिसके साथ गलत हुआ था और दुर्योधन वो था जिसने गलत किया था। शायद इसीलिए श्री राम गलत कर के भी सही थे और कर्ण को दुनिया हमेशा गलत मानती है।
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